पीरियड्स, महिलाओं के जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा है। यह हर महिला के जीवन का एक सामान्य और नेचुरल हिस्सा है। लेकिन फिर भी लोग इस शब्द को समाज के सामने बोलने में शर्म महसूस करते हैं। आज भी लोग इस पर खुलकर बात करने से कतराते हैं। ऐसा केवल गांवों में ही नहीं है, बल्कि शहरों में भी लोग इस बारे में बात करने से झिझकते हैं। अगर महिलाएं इसपर खुलकर बोलती भी है, तो सामने से लोगों द्वारा उन्हें अजीब तरह से देखा जाने लगता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि लोग इस पर खुलकर बात नहीं करते। आज भी घरों में उन्हें पीरियड शब्द तेज बोलने से रोका जाता है। अगर हर कोई इसे नॉर्मल लेने लगेगा, तो कभी किसी महिला को पीरियड ब्लड के मार्क से शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं होगी। लोगों की इसी मानसिकता को बदलने के लिए एक बार फिर HerZindagi.com और OnlyMyHealth.com ने मिलकर एक बेहद खास इवेंट ऑर्गेनाइज किया। 'Period Party 2.O' इवेंट में पीरियड्स से जुड़ी गलत धारणाओं को लेकर खुलकर बात की गई। इस इवेंट में साफ-सफाई, पैड और दूसरे मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट्स के बारे में जानकारी दी गई और लोगों को बिना झिझक इस टॉपिक पर बात करने के लिए प्रेरित किया गया।
पीरियड पार्टी में कई डॉक्टर्स, खासतौर पर गायनाकोलॉजिस्ट्स, स्पॉन्सर और एक्सपर्ट्स शामिल हुए। इस मौके पर मासिक धर्म से जुड़ी साफ-सफाई (हाइजीन), जरूरी जागरूकता और पीरियड्स के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं- इन सभी बातों पर खुलकर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि ‘पीरियड पार्टी 2.O’ लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है। अच्छी बात यह है कि अब चीजें धीरे-धीरे बदल रही है और लोग इसपर खुलकर बात करने लगे हैं। इवेंट की शुरुआत हर जिंदगी और जागरण न्यू मीडिया की मैनजर रुपषा की स्पीच से हुई। उन्होंने कहा कि HerZindagi और OnlyMyHealth इस 'पीरियड पार्टी 2.0' को होस्ट करके बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं। हमारा पहला एडिशन 2023 में हुआ था, जो बेहद खूबसूरत था।
उस कार्यक्रम ने पीरियड्स जैसे विषय पर खुलकर बातचीत को आम बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया था। लेकिन इस बार हम इसे और भी बड़ा और प्रभावशाली बना रहे हैं। हमारी कोशिश है कि पीरियड्स को लेकर लोगों में कोई शर्म, डर या चुप्पी न रहे। हम चाहते हैं कि इसे पूरी तरह से सामान्य माना जाए। उन्होंने अपनी स्पीच में वेन्यू पार्टनर ‘हाउस ऑफ मिगो’ का भी धन्यवाद करते हुए कहा कि वह पिछले साल की तरह इस साल भी हमारे साथ जुड़े रहें। साथ ही उन्होंने कहां हमें बहुत खुशी है कि माई फैमिली हमारे साथ जुड़ी है। मैनेजर रुपषा ने गिफ्टिंग पार्टनर्स 2.0 हेयर केयर- यापिद्रा, बाथ एंड केयर और कॉन्शियस लिविंग का भी दिल से शुक्रिया।
जागरण न्यू मीडिया की हेल्थ एंड लाइफस्टाइल की मैनेजिंग एडिटर मेघा ममगाईं ने इवेंट को होस्ट करते हुए कहा कि यह एक पार्टी नहीं है, बल्कि एक बदलाव की मुहिम है। यह एक जंग है, उस शर्म और चुप्पी के खिलाफ जो पीरियड्स जैसे नेचुरल टॉपिक से जुड़ा हुआ है। अब समय आ गया है कि महिलाएं आवाज उठाएं और कहें हमें यह शर्म और टैबू नहीं चाहिए। आज भी हालात ऐसे हैं कि लोग ‘पीरियड्स’ शब्द बोलने से डरते हैं। उन्होंने यूट्रस, वजाइना, ब्लीडिंग और पीरियड्स जैसे शब्द पर लोगों को खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने आगे ‘माय फैमिली’ का धन्यवाद किया, इस पीरियड पार्टी का असली दोस्त माय फैमिली ब्रांड हैं। आज की इस पार्टी को करने में उन्हीं की मदद रही है। उन्होंने ‘माय फैमिली’ के फाउंडर सलोनी और पारस को स्टेज पर बुलाते हुए उनका खास धन्यवाद किया।
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डॉ. अंजलि वैश्य एक प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (Obstetrician and Gynaecologist), ने इस विषय पर बात करते हुए कहा कि ये हार्मोन वाली गोलियां होती हैं, जो पीरियड्स को कुछ दिनों के लिए टालने में मदद करती हैं। लेकिन अगर आप इन्हें सिर्फ एक या दो दिन पहले लेना शुरू करते हैं, जब आपके पीरियड्स आने वाले हों, तो उसका ज्यादा असर नहीं होता। इनका सही असर तब होता है जब आप इन्हें अपने पीरियड्स की डेट से कम से कम 5–6 दिन पहले लेना शुरू करते हैं।
अब सवाल आता है कि क्या ये दवाइयां हानिकारक होती हैं? तो अगर आप साल में एक या दो बार ही अपनी डेट्स को टालते हैं, तो ये ज्यादा नुकसान नहीं करतीं। लेकिन अगर आप बार-बार ऐसा करते हैं, तो इससे आपके हार्मोन्स पर असर पड़ सकता है और आपकी पीरियड साइकल गड़बड़ हो सकती है।
सीनियर क्लिनिकल और साइकोलॉजिस्ट डॉ. भावना बर्मी ने कहा कि ऐसा होना बिल्कुल नॉर्मल है। इसका कारण होता है पीरियड्स से पहले शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं। इसे PMS यानी प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम कहते हैं। अगर ये बहुत ज्यादा परेशान कर रहा हो, तो आप थोड़ी एक्सरसाइज कर सकती हैं, हेल्दी खाना खा सकती हैं और अपने मनपसंद कामों में मन लगा सकती हैं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से बात करना भी अच्छा रहेगा। हर महिला का शरीर और मन अलग तरह से रिएक्ट करता है। किसी को जब पता होता है कि पीरियड्स आने वाले हैं, तो वो पहले से ही अंदर से लो महसूस करने लगती हैं, जबकि कुछ को गुस्सा, चिड़चिड़ापन या ज्यादा इमोशनल होने लगता है। कुछ लोगों को रोने का मन करता है, तो कुछ को गुस्सा आता है और वो अक्सर उस गुस्से को किसी और पर निकाल देती हैं।
टहलना अच्छा रहता है।
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मेनोपॉज लगभग 40 की उम्र के आसपास आने लगता है। ये एक नेचुरल स्टेज है जो हर महिला की जिंदगी में आता है। इस समय शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन कम होने लगता है और इसी वजह से कई बदलाव होते हैं, जैसे, जोड़ों में दर्द या आर्थराइटिस की शुरुआत -कभी-कभी अचानक बहुत गर्म लगने लगता है और फिर कुछ ही देर में ठंड। नींद न आना, इसमें रात को नींद नहीं आती, मन बेचैन रहता है।
इसलिए ऐसी स्थिति में आपको सबसे पहले खुद को और अपने शरीर को समझने की जरूरत है। हेल्दी खाना खाएं, एक्टिव रहें। दोस्तों से बात करें, टाइम निकालें अपने लिए। अगर बहुत दिक्कत हो रही हो तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। कुल मिलाकर, मेनोपॉज कोई बीमारी नहीं है। ये एक पड़ाव है, जिसे आप समझदारी से पार कर सकती हैं।
इस इवेंट में पीरियड्स को लेकर बातचीत के साथ-साथ फन गेम्स भी हुए। इसके बाद हाउस ऑफ मिगो में लजीज खाने की महक ने महफिल को और भी खास बना दिया। अंत में केक कटिंग के बाद पार्टी का समापन हुआ।
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image credit- freepik
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