HZ Exclusive: देश की राजधानी दिल्ली में साल 2012 के दिसंबर महीने में हुई घटना को हम आज तक नहीं भूल पाए हैं। निर्भया गैंगरेप केस को आज पूरे 10 साल हो चुके हैं लेकिन सवाल यह है कि मामले के बाद से आज तक भारत में परिस्थितियां कितनी बदली हैं?
गौरतलब बात तो यह है कि निर्भया की 10वीं बरसी से 2 दिन पहले दिल्ली में एसिड अटैक की घटना हुई। ऐसे में अब प्रश्न पूछना जरूरी है कि क्या भारत की महिलाएं सच में सुरक्षित हैं? इस विषय पर हमने बात की दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) से।
आज भी वहीं खड़े हैं हम - स्वाति मालीवाल
निर्भया केस को पूरे 10 साल हो जाने पर भारत में परिस्थितियां कितनी बदली हैं इस प्रश्न के पर स्वाति मालीवाल कहती हैं, "आज भी भारत में कुछ नहींबदलाहै। हम जिन सवालों पर 10 पहले बात कर रहे थे, आज भी उन्हीं सवालों में अटके हुए हैं। इन 10 साल के दौरान राजधानी में 8 साल की बच्ची से लेकर 90 साल की महिला तक के साथ रेप हुआ है। कुछ समय पहले झारखंड में 3 साल की बच्ची का रेप करके उसकी आंखें निकाल दी गई थी और मर्डर कर दिया गया था।"
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रोजाना सामने आ रहे हैं डराने वाले मामले
वह आगे बताती हैं, "पूरे देश में कोई भी ऐसा दिन नहीं जाता जब डराने वाले मामले रिपोर्ट ना होते हों। स्थिति बदली नहीं है लेकिन कुछ लीगल चेंजेस हुए हैं। फैक्ट यही है कि हमने जहां से शुरू किया था हम आज भी वहीं पर हैं क्योंकि कानून बन गए हैं लेकिन हालात बहुत खराब है। आज ना पुलिस के पास संसाधन हैं और ना उनकी कोई जवाबदेही है।" उन्होंने बताया कि कानून के साथ-साथ साइंस लेबरोटिस और ट्रायल कोर्ट का भी यही हाल है।
सरकार क्यों नहीं ले रही है एक्शन?
स्वाति मालीवाल ने सरकार के बारे में प्रश्न पूछने पर कहा, "बिलकिस बानो रेप केस में गैंपरैप हुआ। उसके 3 साल के बच्चे को उसके सामने मार दिया गया। 6 और परिवारवालों का मारा गया। ऐसे रैपिस्ट और मडर्ड को सरकार रिलीज कर देती है यह कहकर कि बस हो गई जितनी सजा मिलनी थी मिल गई।"
महिलाओं की बातें क्यों नहीं सुनी जा रही?
स्वाति मालीवाल ने बातचीत के दौरान बताया कि उनकी खुद आज तक देश के होम मिनिस्टर के साथ बातचीत नहीं हो पाई है। ऐसे में महिलाओं की आवाज ऊपर कैसे पहुचेगी? उन्होंने कहा कि कम से कम महीने में 2 बार मुख्यमंत्री, एलजी और कमिश्नर समेत तमाम लोगों के साथ मीटिंग जरूर रखी जानी चाहिए।
एसिड की बिक्री पर क्यों नहीं लगाई जा रही है रोक?
पिछले 4 साल में 300 से ज्यादा एसिड अटैक के मामले सामने आने के बाद भी भारत में एसिड की बिक्री हो रही है। इस बारे में सवाल करने पर स्वाति कहती हैं, "बांगालादेश में एक समय पर बहुत एसिड अटैक हुआ करते थे। इसे देख वहां की सरकार ने एसिड के रिटेल सेल पर बैन लगा दिया। इसी कानून का परिणाम है कि आज बांग्लादेश में एसिड अटैक के मामले आने बंद हो गए हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "मेरे हिसाब से भारत को भी इस कानून को लेकर आना चाहिए क्योंकि ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफार्म पर लगातार एसिड की बिक्री हो रही है। साथ ही क्या एसिड अटैक बेचने से पहले दुकानदार ग्राहक की आईडी लेते हैं?"
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बदलाव लाने की है जरूरत
"अगर दिल्ली महिला आयोग में पिछले 6 साल में 1 लाख केस आए हैं तो यह वो ही महिलाएं हैं तो सिस्टम से हताश होकर हमारे पास पहुंची है। लोगों के अंदर डर पैदा करने के लिए सिस्टम को कड़ा बनाने की जरूरत है। हर हाल में सजा हो और तुरंत सजा हो। तभी हम मांइड सेट चेंज कर पाएंगे कि कुछ गलत करने पर सिस्टम हमें छोड़ेगा नहीं। साथ ही लोगों को भी जरूरत है कि वो महिलाओं पर रोक-टोक लगाने से पहले अपने बेटों को सिख दें।" - स्वाति मालीवाल
क्या महिलाएं आजाद हैं?
क्या महिलाएं आजाद हैं पूछे जाने पर स्वाति कहती हैं, "मैं नहीं मानती की हम आजाद हैं। पुरुषों को जितनी आजादी मिलती है महिलाओं को उतनी नहीं मिलती। अगर हम पारलेमेंट से लेकर राजनीति में काम कह रही महिलाओं की संख्या को भी देखें तो हमें समझ आ जाएगा की हम आजाद नहीं हैं।
योजनाओं का क्या है हाल?
महिलाओं के लिए जितनी स्कीम चल रही है उसपर अच्छे से काम करने की जरूरत है। शर्म की बात है कि महिलाओं के लिए निर्भया फंड को पहले के मुकाबले कम कर दिया गया है। स्कीम बनाने से ज्यादा जरूरी है कि आप उन्हें अच्छे से ग्राउंड पर लेकर आएं।
तो ये थी स्वाति मालीवाल द्वारा साझा की गई कुछ बातें। आपका महिलाओं की सुरक्षा पर क्या कहना है? यह हमें इस आर्टिकल के कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।
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Photo Credit: Twitter
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