गाजियाबाद के लोनी में एक 23 साल की युवती ने आत्महत्या कर ली है। युवती मूक-बधिर और मानसिक रूप से कमजोर थी और 18 अगस्त को गैंगरेप का शिकार हुई थी। परिजनों ने इस पूरे मामले में पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है और न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं। आखिरकार, इंसाफ की उम्मीद में पीड़िता ने जान दे दी। इस तरह के मामले न केवल महिला सुरक्षा पर सवाल उठाते हैं, बल्कि हमारी कानून व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा करते हैं। चलिए, आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला।
यूपी के गाजियाबाद में गैंगरेप पीड़िता ने की आत्महत्या
यूपी के गाजियाबाद में एक 23 साल की युवती ने अपनी जान दे दी है। युवती के साथ 18 अगस्त को 3 लोगों ने बलात्कार किया था। परिवार वालों ने बताया कि युवती मूक बधिर और मानसिक रूप से कमजोर थी और अक्सर बिना बताए घर से चली जाती थी। 18 तारीख को जब वह घर से गई, तो गलती से पास के एक गांव में पहुंच गई और रास्ता भटक गई। वहां जब उनसे कुछ लोगों से रास्ता पूछा, तो उन्होंने उसे दरिंदगी का शिकार बनाया। जिसके चलते कल देर रात पीड़िता ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
30 घंटे करवाया गया मेडिकल के लिए इंतजार
परिजनों ने इस मामले में पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पहले पुलिन से घंटों एफआईआर दर्ज नहीं की और मामले को टालने की कोशिश की और मेडिकल के लिए भी पीड़िता को 30 घंटे इंतजार करवाया गया। परिवारवालों का कहना है कि जांच की गति भी काफी धीमी थी और निराश होकर पीड़िता ने अपनी जान दे दी। इसके बाद मृतका के शव को भी टेंपो से पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, जो पुलिस की संवेदनहीनता दिखाता है। फिलहाल, इस मामले में जांच जारी है लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
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आखिर कितनी और बेटियों को गवानी होगी जान?
शायद ही कोई एक दिन ऐसा जाता होगा जब हमें अखबार में, टीवी पर या सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरें नजर नहीं आती हैं। आखिर ऐसा दिन हो भी कैसे सकता है क्योंकि आंकड़ों के अनुसार, हमारे देश में हर 20 मिनट में 1 लड़की रेप का शिकार होती है। कभी रेप पीड़िता शर्म और समाज के डर से शिकायत दर्ज नहीं करवा पाती है..कभी शिकायत दर्ज करवाने में ही हिम्मत जवाब दे जाती है, तो कभी सालों तक वे इंसाफ की आस में रहती हैं और कभी तो इंसाफ की टूटती उम्मीद में वे अपनी जान दी दे देती हैं। लेकिन, इस बीच अगर कुछ नहीं बदलता है तो वो है हमारी सोच और इस तरह के मामले।
इस तरह की खबरों को पढ़ते, सुनते या लिखते वक्त मैं सुन्न हो जाती हूं। हर रोज लगता है कि यह शायद अब बस ऐसे मामले थम जाएंगे लेकिन एक लड़की होने के नाते मैं निराश हो जाती हूं। कभी लोगों की वहशी सोच, कभी समाज की गंदी नजरें तो कभी लचर कानून व्यवस्था....हर बार एक लड़की, भारत की एक बेटी, इन चीजों की बलि चढ़ जाती है। इन मामलों में कड़ी सजा तो जरूरी है ही, लेकिन असल में ये मामले सिर्फ तब रुकेंगे, जब हमारी सोच बदलेगी। आप इस बारे में क्या सोचते हैं, हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं।
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