Ekadashi List August 2025: अगस्त महीने में कब-कब पड़ेंगी एकादशी तिथियां, शुभ मुहूर्त और महत्व समेत यहां लें पूरी जानकारी

Ekadashi Vrat 2025: अगर आप भी श्रद्धा और नियमपूर्वक एकादशी का व्रत करती हैं, तो इसका संपूर्ण फल पाने के लिए व्रत की सही तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। ऐसे में हम आपको यहां अगस्त महीने में पड़ने वाली दोनों प्रमुख एकादशियों की तिथि और इससे जुड़ी अन्य बातों के बारे में बता रहे हैं। 
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हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है और यह पर्व पूरी तरह से भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन को एकादशी के रूप में मनाया जाता है और विष्णु भक्त इस दिन व्रत और उपवास करते हैं। ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी के अनुसार यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है बल्कि स्वास्थ्य, मानसिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का भी साधन माना जाता है। हर महीने की तरह अगस्त में भी दो प्रमुख एकादशी व्रत रखें जाएंगे। जिनमें से पहली एकादशी तिथि सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ेगी, जिसे श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाएगा और दूसरी भादो महीने के कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन होगी जिसे अजा एकादशी कहा जाएगा। यह दोनों एकादशी तिथियां विशेष हैं और इनमें व्रत करना विशेष रूप से फलदायी होगा। अगर आप भी इन व्रतों का पालन करती हैं और इन तिथियों में विष्णु जी का पूजन करती हैं तो यहां अगस्त महीने की एकादशी की सही तिथियों और पूजा की विधि के साथ अन्य जरूरी बातें भी जानें।

सावन पुत्रदा एकादशी 2025 कब है?

ekadashi august month 2025

सावन महीने की पुत्रदा एकादशी का व्रत भक्त भगवान विष्णु की कृपा पाने और संतान सुख की कामना के लिए रखते हैं। यह व्रत हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है और इसका महत्व शास्त्रों में भी बताया गया है।

  • पंचांग के अनुसार, साल 2025 में सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत 05 अगस्त, मंगलवार को रखा जाएगा।
  • एकादशी तिथि आरंभ: 04 अगस्त 2025, प्रातः 11:41 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 05 अगस्त 2025, दोपहर 01:12 बजे तक
  • उदया तिथि के अनुसार यह व्रत 05 अगस्त को ही व्रत रखा जाएगा।
  • मान्यता अनुसार इस व्रत को रखने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति के योग बन सकते हैं, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास भी होता है।

सावन पुत्रदा एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:20 बजे से शाम 05:02 बजे तक
  • रवि योग: प्रातः 05:45 बजे से दोपहर 11:23 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 12:54 बजे तक
  • सायंकाल पूजन मुहूर्त: शाम 07:09 बजे से 07:30 बजे तक
  • एकादशी व्रत पारण का शुभ समय: 06 अगस्त 2025, बुधवार, प्रातः 05:45 बजे से लेकर 08:26 बजे तक

पुत्रदा एकादशी का महत्व क्या है

Significance of putrada ekadashi

  • वैसे तो हिंदू धर्म में किसी भी एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, लेकिन जब बात सावन की पुत्रदा एकादशी की होती है तो इसे और ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एकादशी व्रत साल में दो बार आती है सावन महीने में और पौष के महीने में।
  • ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति की संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है। यही नहीं इससे संतान की सेहत भी अच्छी बनी रहती है।
  • इस दिन विष्णु जी का पूजन करना विशेष रूप से फलदायी होता है और इससे जीवन में कई समस्याओं का समाधान मिल सकता है।
  • यदि संतान के करियर में उतार-चढ़ाव बने रहते हैं, तो अच्छे भविष्य के लिए भी माताएं यह व्रत का सकती हैं। इससे परिवार के बीच सामंजस्य बना रहता है और भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की कृपा दृष्टि भी प्राप्त होती है।

भादो महीने की अजा एकादशी कब है?

हिंदू धर्म में अजा एकादशी का व्रत विशेष महत्व रखता है। इस एकादशी को पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

यह एकादशी तिथि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है और पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है। यह तिथि अत्यंत पुण्यदायक मानी जाती है।

  • हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साप अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त, मंगलवार को रखा जाएगा।
  • एकादशी तिथि आरंभ: 18 अगस्त 2025 शाम 05:22 बजे से
  • एकादशी तिथि समाप्त: 19 अगस्त 2025 दोपहर 03:32 बजे तक
  • उदया तिथि के अनुसार, एकादशी व्रत 19 अगस्त को करना ही शुभ माना जाएगा।

अजा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त

aja ekadashi significance

अजा एकादशी के दिन कुछ विशेष मुहूर्त में पूजन करना फलदायी होगा।

  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:25 बजे से प्रातः 05:09 बजे तक
  • विजय मुहूर्त- दोपहर 02:35 बजे से दोपहर 03:27 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त- दोपहर 03:22 बजे से शाम 05:04 बजे तक
  • निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:03 बजे से रात्रि 12:47 बजे तक

अजा एकादशी का महत्व क्या है

  • ऐसी मान्यता है कि अजा एकादशी के दिन व्रत-उपवास करने और एकादशी की कथा सुनने से घर की दरिद्रता दूर हो सकती है। शास्त्रों के अनुसार, अजा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • यह व्रत विशेष रूप से मानसिक कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस दिन श्रद्धा और विधि पूर्वक व्रत-उपवास करते हैं उनके ऊपर सदैव भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी शुभ होता है।
  • अजा एकादशी का वर्णन पद्म पुराण में भी मिलता है, जिसमें कहा गया है कि यह व्रत जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाला होता है।

निष्कर्ष: अगस्त 2025 में पड़ने वाली सावन पुत्रदा एकादशी और अजा एकादशी दोनों व्रत विशेष महत्व रखते हैं। जहां एक व्रत संतान सुख के लिए रखा जाता है, वहीं दूसरा पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग खोलता है।

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Images: freepik.com

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