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Aja Ekadashi Vrat Katha 2025: अजा एकादशी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, सुख-सौभाग्य में होगी वृद्धि

अजा एकादशी इस साल 19 अगस्त को पड़ रही है। ऐसे में जहां एक ओर इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है तो वहीं, दूसरी ओर इस दिन अजा एकादशी की व्रत कथा पढ़ने से भगवान विष्णु की असीम कृपा बरसती है। ऐसे में चलिए जानते हैं अजा एकादशी की व्रत कथा।
Editorial
Updated:- 2025-08-18, 18:26 IST

अजा एकादशी जो भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और अजा एकादशी की कथा सुनने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल और भगवान विष्णु का सानिध्य प्राप्त होता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार, इस दिन की व्रत कथा का विशेष महत्व है, जो भक्तों को भगवान की कृपा का अनुभव कराता है। ऐसे में आइये पढ़ते हैं अजा एकादशी की व्रत कथा के बारे में विस्तार से।

अजा एकादशी की व्रत कथा 

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में राजा हरिश्चंद्र नाम के एक बहुत ही दयालु और सत्यवादी शासक थे। वे भगवान राम के पूर्वज थे। उनकी सबसे बड़ी खूबी थी कि वे अपने वचन का पालन किसी भी कीमत पर करते थे। एक बार, राजा हरिश्चंद्र ने सपने में देखा कि उन्होंने अपना पूरा राज-पाठ एक ऋषि को दान कर दिया है।

सुबह जब वे जागे, तो उन्होंने अपने सपने को सच मानते हुए अपना राज-पाठ उस ऋषि को सौंप दिया। अपना वचन निभाने के लिए राजा हरिश्चंद्र ने अपनी पत्नी और पुत्र के साथ राजमहल छोड़ दिया और जंगल में रहने चले गए, ताकि उनका वचन अधूरा न रह जाए।

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जब राजा हरिश्चंद्र अपने परिवार के साथ वन में रह रहे थे, तो उन्हें बार-बार अपनी सच्चाई और वचन के कारण बहुत दुख उठाना पड़ा। कई बार उनकी सत्यनिष्ठा के कारण उनके परिवार को भी कष्ट सहना पड़ता था।

एक दिन, उनकी कुटिया में राज ऋषि विश्वामित्र आए। ऋषि ने राजा के धर्म और सत्य के प्रति उनके समर्पण को देखकर उन्हें एक उपाय बताया। उन्होंने कहा कि यदि राजा हरिश्चंद्र एकादशी का व्रत रखना शुरू कर दें, तो उन्हें उनका खोया हुआ राजपाट और धन-दौलत सब वापस मिल जाएगा। साथ ही, उन्हें कभी खत्म न होने वाला पुण्य भी प्राप्त होगा।

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अगली बार जब भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी आई, तो राजा हरिश्चंद्र ने पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान दिया। इस व्रत के प्रभाव से राजा को अपना खोया हुआ राजपाट और वैभव वापस मिल गया।

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'अजा' शब्द का अर्थ है भगवान का सानिध्य प्राप्त करना या भगवान में विलीन होना। चूंकि इस एकादशी का व्रत रखने से राजा हरिश्चंद्र को भगवान विष्णु का साथ मिला था, इसलिए इस एकादशी को 'अजा एकादशी' नाम दिया गया।

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से अजा एकादशी की व्रत के बारे में जान सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: herzindagi 

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FAQ
अजा एकादशी के दिन क्या दान करें?
अजा एकादशी के दिन अन्न, वस्त्र, फल और विशेष रूप से शंख का दान करना शुभ माना जाता है।
अजा एकादशी के दिन कौन सा दीया जलाएं?
अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीया जलाएं।
अजा एकादशी के दिन कौन से मंत्र का जाप करें?
अजा एकादशी के दिन 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
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