(why shri rama also called maryada purushottam) व्यक्ति अपने गुणों और कर्मों से महान बनता है। भगवान श्रीराम भी अपने स्वभाव, गुणों और कर्मों के कारण ही मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाएं। भगवान श्रीराम विष्णु जी के सातवें अवतार हैं। धार्मिक ग्रंथों में भगवान श्रीराम को आदर्श और मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। उन्होंने अयोध्या में अपना राजपाट छोड़ कर 14 साल अपना जीवन वनवास में बिताएं, लेकिन फिर भी उन्हें एक आदर्श और सर्वश्रेष्ठ राजा कहा जाता है। राम जी बेहद सत्य, दयालु, करुणामयी, धर्म और मर्यादा के पथ पर चलते हुए राजद किया।
आज भी बच्चों से लेकर बुजुर्गों के जुबान पर श्रीराम का नाम रहता है। भगवान श्रीराम को सदाचारी और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। भगवान श्रीराम अनेक गुणों के धनी हैं। अगर उनके इन 5 गुणों को भी अपना लेंगे, तो आपका जीवन सफल हो सकता है।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से गुणों के बारे में जानते हैं। जिसके कारण उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।
भगवान श्रीराम बेहद धैर्यवान हैं। आज कल व्यक्ति के अंदर धैर्य नहीं हैं। उन्हें हर चीज की शीघ्रता होती है, कि वह जल्द धनवान औप सफल हो जाएं। इसी कारण वह आगे नहीं बढ़ पाते हैं। रामजी ने माता कैकयी की आज्ञा का पालन करते हुए 14 साल तक अपनी जीवन वनवास में बिताया। समुद्र पर सेतु तैयार कर तपस्या भी की। उन्हें माता सीता से भी अलग रहना पड़ा । उन्होंने एक संयासी की तरह अपनी जीवन बिताया। इसलिए एक अच्छे व्यक्ति की पहचान उसके भीतर छिपे गुणों से होती है। इसलिए रामजी की तरह आज हर व्यक्ति को धैर्य बनाकर काम करना चाहिए। तभी उन्हें जीवन में सफलता मिल सकती है।
दयालु होने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है। भगवान श्रीराम के इस गुण को व्यक्ति अपने जीवन में अपनाएं। भगवान श्रीराम स्वयं राजा होते हुए भी सुग्रीव, हनुमान जी, केवट, निषादराज, जाम्बवंत और विभीषण को सभी आने पर नेतृतव करने का अधिकार भी दिए।
भगावन श्रीराम (भगवान श्रीराम मंत्र) एक कुशल प्रबंधक होते हुए भी सभी को एक साथ लेकर चलते थे। इसी नेतृत्व को लेकर उन्होंने समुद्र में पत्थरों से सेतु का निर्माण भी कराया।
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आज हर घर में भाई-भाई में लड़ाई होते रहते हैं। परिवार में कलह-क्लेश की स्थिति बनी रहती है। ऐसा कहा जाता है कि जिस भी घर मं भाई-भाई में मित्रता होती है। वह घर खुशहाल रहता है। इसलिए हर व्यक्ति को श्रीराम (श्रीराम पूजा) की तरह एक आदर्श भाई की भूमिका निमाने की आवश्यकता है। भगवान राम भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के प्रति प्रेम, त्याग और समर्पण के कारण ही उन्हें एक आदर्श भाई कहा जाता है।
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भगावन श्रीराम ने हर एक भूमिका को बड़े ही सुंदर ढंग से निभाया । वहीं मित्रता का रिश्ता भी दिल से निभाया। वह केवट, निषादराज और विभीषण के परम मित्र थे। मित्रता निभाने के लिए उन्होंने स्वयं कई संकट को झेले।
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