(Interesting story of shri ram and kevat) प्रभु श्री राम के गुणों को जितना भी बखान किया जाए, वह कम ही है। वह बचपन से ही मर्यादाओं में रहने वाले वीर पुरुष थे। इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम कहा जाता है। रामायण में उनके सभी संघर्षों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। साथ ही वनवास काल में उन्होंने जिस ऋषि-मुनियों से शिक्षा और विद्या ग्रहण की थी, उनका भी धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से उल्लेख किया गया है। उनकी कहानियां हृदय को भावुक और मोह लेती हैं। इन्हीं में से एक कहानियों में से एक कहानी उस भक्त की भी है, जिसके कहने पर भगवान राम एक पैर पर भी खड़े हो गए थे। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
पढ़ें भगवान श्री राम और भक्त केवट की कहानी (Shri Ram and Kevat Interesting Story)
हम सभी इस बात को जानते हैं कि कैकयी ने राजा दशरथ से वचन था कि वह उनके बेटे भरत को अयोध्या का राजा बनाया और राजगद्दी पर बिठाएं। साथ ही श्री राम को 14 साल के लिए वनवास भेज दें। जब भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास के लिए जा रहे थे, तभी उनकी मुलाकात केवट से हुई। ऐसा माना जाता है कति केवट का संबंध भोई वंश से था और वह मल्लाह का काम किया करता था। वनवास के दौरान केवट ने भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण को नाव में बैठकर गंगा पार करवाई थी। भगवान श्री राम ने गंगा पार करने के लिए केवट को पुकारते हुए कहा कि 'निषाद राज तनिक नाव को किनारे लाएं, हमें उस पार जाना है।' हालांकि केवट नाव को नहीं लाया और भगवान श्री राम के सामने एक शर्त रख दिया।
केवट कहता है कि मैंने आपका मर्म भली भांति समझ लिया है। प्रभु आपके पैरों की धूल किसी जड़ी-बूटी से कम नहीं है। इसलिए आपको नाव पर बैठने से पहले अपना पांव धुलवाने होंगे। तभी वह नाव पर चढ़ने देंगे। तभी केवट की मंशा भगवान राम समझ जाते हैं और वह इस बात के लिए पहले ही तैयार हो जाते हैं। हालांकि केवट के इस बर्ताव से लक्ष्मण बहुत क्रोधित हो जाते हैं और वह अपना धनुष उठा लेते हैं। इस बीच पर तब केवट कहता है कि हे प्रभु मुझे मार दें, इससे बड़ा सौभाग्य मेरे लिए और क्या होगा। मेरी मृत्यु भगवान श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ-साथ गंगा मैया के तट पर होगी। इससे अच्छा मृत्यु और क्या हो सकता है। इससे मेरा उद्धार हो जाएगा। तभी केवट की ये बात सुनकर लक्ष्मण का क्रोध शांत हो जाता है।
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इस दौरान भगवान श्री राम (भगवान श्री राम मंत्र) मुस्कुराते हैं और कहते हैं कि केवट आओ और मेरे पैर धो लो। इतना सुनकर केवट की प्रसन्नता का कोई ठिकाना नहीं होता है। वह दौड़ के पैर धोने के लिए कटोरा लाता है और इसके बाद भगवान श्री राम का पैर धोता है। वहीं दूसरा दूसरा पैर जब मिट्टी में लिपट जाता है। तब केवट दुखी हो जाता है। केवट का ये दुख देखकर प्रभु श्री राम एक पैर पर खड़े हो जाते हैं। एक पैर पर भगवान श्री राम (भगवान श्री राम पूजा) को खड़े होने पर परेशान केवट कहता है कि मेरे प्रभु कब तक आप ऐसे ही एक पैर पर खड़े रहेंगे। आप मेरे सिर का सहारा ले लीजिए।
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ये बात सुनकर भगवान श्री राम ने केवट के सिर पर हाथ रख दिया। जिसके बाद आसमान से पुष्प की बारिश हुई। भगवान राम के चरण धोने के बाद केवट ने चरणामृत अपने परिजनों को पिलाया और भगवान श्री राम को पार ले गया। आगे जाकर जब उतरने का समय आया, तब केवट ने प्रभु राम से उतराई लेने से मना कर दिया। उसने कहा कि हे प्रभु मुझे भवसागर पार करा दें।
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Image Credit- Freepik
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