भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरतालिका तीज मनाई जाती है, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को पूरा करने के लिए पूजा के अंत में आरती करना बहुत जरूरी माना जाता है। वृन्दावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के अनुसार, हरतालिका तीज की पूजा तब तक अधूरी है जब तक शिव-पार्वती की आरती न की जाए। इसलिए इस दिन शिव जी और माता पार्वती की आरती करने का विशेष महत्व है।
हरतालिका तीज पर करें भगवान शिव की आरती
हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव की आरती करने का बहुत महत्व है। यह आरती पूजा का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है। आरती के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है, क्योंकि यह पूजा के दौरान हुई किसी भी गलती या कमी को पूरा करती है। आरती के माध्यम से भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति भगवान के प्रति व्यक्त करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि आरती करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि, सौभाग्य और मनोवांछित फल का आशीर्वाद देते हैं। हरतालिका तीज पर शिव जी की आरती करने से विवाहित महिलाओं का सौभाग्य बढ़ता है और कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है।
ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
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ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
हरतालिका तीज पर करें माता पार्वती की आरती
हरतालिका तीज पर माता पार्वती की आरती करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन माता पार्वती की पूजा करने का मुख्य उद्देश्य अखंड सौभाग्य की प्राप्ति है। आरती के माध्यम से भक्त माता पार्वती के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान प्रकट करते हैं। यह माना जाता है कि आरती से पूजा पूर्ण होती है और इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।
माता पार्वती को 'शक्ति' का स्वरूप माना जाता है, और उनकी आरती करने से वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और प्रेम बना रहता है। कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए माता पार्वती की आरती करती हैं, क्योंकि यह उनके विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करती है।
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता ब्रह्म सनातन देवी
शुभ फल की दाता॥ जय पार्वती माता
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता॥ जय पार्वती माता
सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा॥ जय पार्वती माता
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सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता॥ जय पार्वती माता
देवन अरज करत हम चित को लाता
गावत दे दे ताली मन में रंगराता॥ जय पार्वती माता
श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता॥ जय पार्वती माता
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर हरतालिका तीज के दिन पूजा के बाद कौन सी आरती करनी चाहिए। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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