हिंदू धर्म में सभी त्योहारों का अपना एक खास महत्व है। इसी लिस्ट में शामिल तीज के पर्व को सौभाग्यशाली और महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे जुड़ी प्रचलित कथाएं भी अलग-अलग प्रकार के हैं। वहीं पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो सुहागिन महिलाएं इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं। उनके पति को लंबी आयु की आर्शीवाद मिलता है। इसके अलावा भगवान से मांगी गई मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।
हरतालिका के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। अगर आप इस पर्व पर उपवास रख रहे हैं, तो यह सही पूजा विधि और सामग्री के बारे में जानना बहुत जरूरी है। जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार में-
हरतालिका तीज के दिन शुभ मुहूर्त कब है?
हरतालिका तीज के दिन पूजा का शुभ मुहर्ततिथि का प्रारंभ 25 अगस्त को दोपहर 12:35 बजे से और इसका समापन 26 अगस्त को दोपहर 1:55 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा। इस दौरान आप विधिवत रूप से पूजा-पाठ कर सकते हैं।
हरतालिका तीज के दिन पूजा के लिए सामग्री क्या है?
माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए सामग्री और पूजा विधि के बारे में विस्तार से पढ़ें।
- माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा
- कलश
- घी का दीपक
- अक्षत
- फूल
- धूप
- फल
- मिठाई
- सिंदूर
- चंदन
- माता पार्वती के लिए श्रृंगार सामग्री
- माता पार्वती और भगवान को चढ़ाने के लिए नए वस्त्र
- पूजा की थाली
- नैवेद्य
- पंचामृत
- शंख
- चौकी
- पान का पत्ता
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हरतालिका तीज के दिन किस विधि से गौरी-शंकर की पूजा करें?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- एक चौकी पर शिवलिंग और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
- शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, चीनी और पंचामृत से अभिषेक करें।
- माता पार्वती को सिंदूर, बिंदी और मेहंदी अर्पित करें। इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
- शिव और पार्वती को फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- ओम नमः शिवाय और ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे नमः मंत्र का जाप करें।
- हरतालिका तीज की कथा सुनें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
- प्रसाद बनाकर ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दें।
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हरतालिका तीज व्रत का महत्व क्या है?
यह व्रत पतिव्रता धर्म का प्रतीक है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत अखंड सौभाग्य का प्रतीक है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से महिलाओं का सौभाग्य सदैव बना रहता है। कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। माता पार्वती की कृपा से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है। यह व्रत पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
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Image Credit- HerZindagi
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