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Actresses Roundtable: बदलते समय में कैसे बदला है महिला किरदारों का रूप, जानें चैलेंजिंग रोल निभाने वाली इन 5 एक्ट्रेसेस से

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर मजबूत महिला किरदारों को जीवित करती एक्ट्रेसेस ने बताया कि कैसे समय के साथ महिला किरदारों का पैमाना बदल गया है। 
Editorial
Updated:- 2020-10-22, 14:21 IST

बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्रीज के अलावा अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भी बहुत ही ज्यादा एक्टिव हो गए हैं और यहां जो कंटेंट बनाया जा रहा है वहां महिलाओं का रोल बिलकुल ही अलग है और नयापन देखने को मिल रहा है। इस नए रूप में इंडस्ट्री की अलग-अलग एक्ट्रेसेस बहुत ही बेहतरीन किरदार निभा रही हैं और अब महिलाएं सिर्फ ग्लैमर या फिर हीरो का लव इंट्रेस्ट बनने के लिए ही फिल्मों में नहीं है। इसी विषय पर चर्चा करने के लिए हरजिंदगी की कंटेंट हेड मेघा मामगेन के साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म्स में अलग-अलग स्ट्रॉन्ग वुमेन का रोल निभा रहीं एक्ट्रेसेस ने बात की। 

इस राउंडटेबल में रसिका दुग्गल, शहाना गोस्वामी, अक्शा पर्दासनी, अदिति पोहनकर और तान्या मनिकतला शामिल हुईं। इन सभी एक्ट्रेसेस ने स्टीरियोटाइप रोल्स नहीं बल्कि कुछ अलग करने की कोशिश की है और इन सभी के किरदार असल जिंदगी के किरदारों से जुड़े महसूस होते हैं। तो चलिए जानते हैं कि इन सभी ने क्या कहा इस राउंड टेबल में। 

फीमेल कैरेक्टर्स में आया है बदलाव-

सबसे पहला सवाल जो इन एक्ट्रेसेस से पूछा गया था वो ये था कि जिस तरह से आज का माहौल है उसमें क्या आप फीमेल कैरेक्टर्स में बदलाव देखती हैं। इसपर शहाना गोस्वामी का कहना था कि बदलाव मेल कन्ज्यूमर में भी बदलाव आया है। पर यहीं रसिका दुग्गल का कहना था कि, 'कई बार किसी सीरीज को देखकर ऐसा लगता है कि राइटर को बोला गया है कि महिला को अग्रेसिव बनाओ वर्ना वो लगेगी नहीं कि स्ट्रॉन्ग है, ऐसा कई बार घरों में भी होता है जहां वर्किंग वुमन को कहा जाता है कि अगर अग्रेसिव नहीं बनोगी तो पीछे रह जाओगी।'

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क्या राइटर्स के लिए होती है मुश्किल?

हरजिंदगी की कंटेंट हेड मेघा मामगेन ने इस राउंडटेबल में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल पूछा कि क्या राइटर्स पर ये बर्डन होता है कि उन्हें सब कुछ सही ही करना है और इसकी वजह से उनकी क्रिएटिविटी पर भी असर पड़ता है। इसपर अक्शा पर्दासनी का कहना है कि, 'एक लंबे समय तक राइटर्स, कंटेंट क्रिएटर्स, ऑडियंस मेल प्रोटैगनिस्ट वाली शो और फिल्में देखती रही है ऐसे में नैरेटिव बदला गया है कि मेल प्रोटैगनिस्ट को सामने किया जाए। कभी-कभी राइटर्स को ऐसा लगता भी है कि महिलाओं को आगे करना चाहिए तब भी वो बदलते हैं ताकि मेल को आगे बढ़ाया जाए।' इसपर रसिका का कहना है कि, 'कई बार हमारी रेफरेंसेस भी इतनी सेक्शुअलाइज की गई है कि हमारे लिए मुश्किल हो गया है। कई बार ऑन पेपर चीज़ें बहुत अच्छी होती हैं और वो असल में दिखने में बहुत अलग हो जाती हैं।'

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SHE में अदिति के लिए किरदार निभाना था कितना मुश्किल?

नेटफ्लिक्स की सीरीज 'SHE' में अदिति ने एक ऐसा ही किरदार निभाया था जिसमें वो पुलिस ऑफिसर भी थीं और उन्हें सेक्शुअलाइज भी किया गया था ये उनके लिए कितना मुश्किल था ये बात उन्होंने बताई अदिति का कहना था कि, 'ये यकीनन बहुत चैलेंजिंग रोल था। इम्तियाज अलि के साथ ने काफी मदद की, इस कैरेक्टर को गलियों में घूमना था, किसी के लिए परेशान होना था और उसे कहीं न कहीं सप्रेस फील हो रहा था। हमें सिखाया ही ये जाता है कि लड़कियों को कैसे चलना, उठना बैठना चाहिए ताकि वो सप्रेस रहें, लेकिन लड़कों के लिए ये नहीं है।'

इसी तरह से रसिका दुग्गल और तान्या मनिकतला ने भी अपने-अपने किरदारों के बारे में बात की और बताया कि उन्होंने जिस तरह का रोल निभाया है और जैसा सब वो करती आ रही हैं वो उनके लिए कितना अहम था और कैसे उन्होंने इसके लिए तैयारी की। 

तान्या, शहाना और रसिका तीनों ही 'अ सूटेबल ब्वॉय' में साथ दिखने वाली हैं और इसमें बहुत से स्ट्रॉन्ग कैरेक्टर्स मौजूद हैं।  

'मदर इंडिया' जैसे कैरेक्टर्स और आज के महिला कैरेक्टर्स में डिफरेंस-

पुराने जमाने की महिला कैरेक्टर्स जैसे 'मदर इंडिया' को हमेशा हिरोइन होना पड़ता था जहां वो सारी मुश्किलें सहकर भी आगे बढ़ती थीं, लेकिन आज के कैरेक्टर्स बदल गए हैं और इन कैरेक्टर्स के बारे में क्या कहा जा सकता है। इसपर शहाना गोस्वामी का कहना था कि, 'ये सिर्फ महिलाओं के साथ नहीं पुरुषों के साथ भी हुआ है। जो बदला है वो ये कि स्टोरीटेलिंग में कुछ अलग लाने की जरूरत महसूस हुई। ये सभी कैरेक्टर्स के साथ है। अब पुरुषों के भी ऐसे कैरेक्टर्स दिखाए जा रहे हैं जो सिर्फ हीरो ही नहीं है।'

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अलग-अलग किरदारों की जरूरत ने क्या लोगों के लिए दरवाज़े खोल दिए हैं- 

मेघा मामगेन ने बहुत ही अच्छा सवाल किया कि क्या अलग-अलग किरदारों की जरूरत ने लोगों के लिए दरवाज़े खोल दिए हैं? इसपर अदिति का कहना था कि, 'अब स्क्रिप्ट ही सबसे बड़ी है। अब कोई ये नहीं कहता कि तुम पतली हो, मोटी हो, बाल छोटे हैं तो तुम हिरोइन नहीं बन सकती हो।' 

तान्या का भी यही कहना था कि अब कोई पिक्चर परफेक्ट नहीं दिखते हैं तो फिर ऐसी लाइफ दिखाने का क्या मतलब है कि आप परफेक्ट हो। इसी पर आश्का का कहना था कि समय के साथ-साथ पिक्चर परफेक्ट दिखने और किरदारों के होने की जरूरत कम हो गई है। अब लोग परफेक्शन नहीं लाइफ देखना चाहते हैं।  

 

महिलाओं के प्रोफेशन पर क्यों ध्यान नहीं दिया जाता है? 

'मोहरा' की रवीना हो या फिर 'वीरे दी वेडिंग' की लड़कियों का प्रोफेशन क्या है उसपर इतना ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्टोरीटेलिंग में ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है और महिलाओं के काम पर भी ध्यान दिया गया है। इस बारे में भी इस राउंड टेबल में बात की गई है।  

इस पूरी चर्चा में फीमेल सेंट्रिक कैरेक्टर्स और उनके बदलाव के बारे में बात हुई और अगर आप ओटीटी प्लेटफॉर्म की नई कहानियों को देखकर अच्छा महसूस करती हैं तो ये पूरा वीडियो आपको बहुत पसंद आएगा।  

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