आकांक्षा और मीना दोनों ही अब इस नतीजे पर पहुंचे थे कि उन्हें सलोनी और रश्मि की असलियत के बारे में बताना था। उन्हें ये भी जानना था कि ऐसा हो क्यों रहा है। एक गर्ल्स पीजी में ऐसी हरकतें करने का क्या मतलब है? आकांक्षा कुछ सोचे उससे पहले उसे याद आया कि वॉचमैन ने भी उससे ऐसा ही कुछ कहा था। इसका मतलब वॉचमैन को कुछ तो पता था। उन दोनों ने वॉचमैन के पास जाने का फैसला किया। वॉचमैन के पास जाकर दोनों ने एक नाटक शुरू किया। आकांक्षा ने वॉचमैन को कहा कि उसके पापा आने वाले हैं, तो वॉचमैन भइया ध्यान रखें क्योंकि उसके पापा के साथ पुलिस भी आएगी। 'भइया आप ध्यान रखना पापा के साथ पुलिस भी आ रही है, मैंने अपना टेस्ट करवाया था और कोई नशीला पदार्थ मेरे शरीर में था,' आकांक्षा ने कहा। 'पुलिस आएगी तो लोगों को लेकर भी जाएगी, यार मुझे तो डर लग रहा है, पता नहीं कितने साल की सजा होती है ऐसे...' मीना ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा।
पुलिस की बात सुनकर वॉचमैन घबरा गया, 'मैं ध्यान रखूंगा दीदी, वो आपके पापा से कहिएगा मैंने कुछ नहीं किया, मैं तो बस बातें छुपा रहा था,' वॉचमैन ने डर से कहा। 'कैसी बातें?', आकांक्षा ने पूछा। 'वो सलोनी दीदी रात में पीजी से बाहर जाती हैं, अपने साथ ढेर सारे पैसे भी लाती हैं।
रश्मि दीदी भी कई बार जाती हैं। बस मुझे इतना ही पता है और कुछ नहीं,' वॉचमैन ने कह दिया। आकांक्षा को डराने के लिए भी रश्मि ने ही वॉचमैन को कहा था। इसके बदले वॉचमैन को कुछ पैसे मिलते थे।
अब मीना और आकांक्षा को पता लगाना था कि आखिर यहां होता क्या है। मीना ने वॉचमैन की बातें रिकॉर्ड कर ली थीं और उसने अपने भइया को भी फोन कर दिया था। मीना का भाई पुलिस में था। पर अभी भी माजरा यही था कि इन्हें रश्मि और सलोनी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला था। उन्हें पता ही नहीं था कि आखिर वजह क्या है जो इन्हें ये करना पड़ रहा है।
आकांक्षा ने रश्मि से कहा कि वो रात में अपने करीबी रिश्तेदार के पास जा रही है और अपना बैग लेकर पीजी के बाहर निकल गई। वॉर्डन को भी उसने यही कहा था। मीना ने पीछे से सारी तैयारी कर ली है। आकांक्षा इन दोनों का पीछा करने वाली थी और मीना इनका सामान चेक करने वाली थी। रात काफी हो चुकी थी, इतने में आकांक्षा ने देखा कि रश्मि और सलोनी दोनों ही एक साथ कहीं निकल रही हैं। दोनों ने एक कैब की और कहीं निकल गईं। आकांक्षा भी पीछे-पीछे एक ऑटो लेकर आगे निकल गई।
आकांक्षा को डर भी लग रहा था क्योंकि दिल्ली जैसे शहर में वो अकेले ऐसे जा रही थी, लेकिन उसे इस बात की तह तक पहुंचना था। दोनों के निकलने के बाद मीना ने कमरे की तलाशी ली। रश्मि और सलोनी के सामान में उसे कुछ अजीब मिला। एक साथ बहुत सारी दवाएं। ये दवाएं नॉर्मल नहीं लग रही थीं। इनमें कोई नाम भी नहीं था। प्लास्टिक की ट्रांसपेरेंट पन्नी में इन दवाओं को रखा गया था। मीना ने तुरंत अपने भाई को कॉल कर दिया। सारा माजरा समझाने के बाद ये भी बता दिया कि आकांक्षा उन दोनों के पीछे गई है।
रश्मि और सलोनी उस जगह पहुंच गईं जहां उन्हें जाना था और आकांक्षा भी पहुंच गई। वहां आकांक्षा को लग रहा था कि किसी तरह से वो सब कुछ ठीक कर दे, लेकिन यही उसकी सबसे बड़ी गलती थी। आकांक्षा परेशान थी, लेकिन उसे समझने में दिक्कत हो रही थी कि भला कॉलेज में पढ़ने वाली दो लड़कियों का यहां क्या काम होगा?
आकांक्षा ने आगे बढ़ना शुरू किया और फिर उसे दिखा कुछ ऐसा जो सही नहीं था। आकांक्षा को लग रहा था कि रश्मि और सलोनी किसी गलत काम में हैं, ये दोनों किसी होटल में जाएंगे, लेकिन असल में ये एक लैबोरेटरी में गए। एक बायोलैब। दोनों कॉलेज में भी यही सब्जेक्ट पढ़ रहे हैं। आकांक्षा ने अंदर झांकने की कोशिश की और दरवाजे से छुपकर अंदर ही चली गई। वो अलमारी के पीछे छुपकर देखने लगी। दोनों किसी तरह के एक्सपेरिमेंट्स कर रहे थे और उनके साथ कोई बड़ी उम्र का आदमी भी था।
ये लोग किसी तरह का एक्सपेरिमेंट कर रहे थे। लैब में कई तरह की चीजें रखी हुई थीं और पिंजरे में तोता, कुत्ते, खरगोश जैसे जानवर भी थे। आकांक्षा को समझने में देर नहीं लगी कि ये लोग बायोलॉजिकल एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं और उसमें से ही कोई ड्रग इन्होंने आकांक्षा पर भी आजमाया है। पर ऐसा करने की क्या जरूरत आन पड़ी? आकांक्षा सोच ही रही थी कि रश्मि की नजर उस पर पड़ गई। आकांक्षा ने आव देखा ना ताव और सीधे गेट के बाहर भागना शुरू कर दिया। उसने पहले ही ऑटो वाले भइया को बोल रखा था कि नीचे खड़े रहना। वो भागते हुए आई और ऑटो में बैठ गई।
ऑटो चलना शुरू हुआ और उन्हें लगा कि पीछे से कोई कार उनका पीछा कर रही है। आकांक्षा के लिए अब जिंदगी और मौत का सवाल बन चुका था। आखिर कैसे बचेगी आकांक्षा इस मायाजाल से? जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग- गर्ल्स पीजी पार्ट 5।
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