आकांक्षा उस लैब से तो निकल चुकी थी, लेकिन अभी भी उसके सामने एक बहुत बड़ी मुश्किल बाकी थी। उसका पीछा किया जा रहा था, ऑटो अपनी स्पीड से ही चल रहा था और आकांक्षा ने इस बीच मीना को फोन कर दिया। मीना ने आकांक्षा को सीधे एक पते पर जाने के लिए कहा। ऑटो वाला भी समझ चुका था कि कुछ गड़बड़ है और लड़की की जान बचाना जरूरी है। आकांक्षा ने ठीक वैसा ही किया जैसा मीना ने कहा था। वो उसी पते पर गई और ऑटो से उतरकर सीधे अंदर भाग गई। ऑटो वाला भी चला गया और पीछे से सलोनी, रश्मि और वो आदमी अंदर आ गए।
आकांक्षा छुपी हुई थी और रश्मि ने उसे ढूंढ लिया। रश्मि और सलोनी दोनों ही अपने साथ कोई दवा लेकर आए थे, लेकिन वो आकांक्षा को ये दवा देते उससे पहले ही उस आदमी ने रोक दिया। 'अभी ह्यूमन ट्रायल हुआ नहीं है, लेकिन अगर इसी पर करना है, तो इसे लैब ले जाना ठीक होगा,' उस आदमी ने कहा। 'तुम लोग क्यों कर रहे हो ये मेरे साथ? क्या चाहते हो?', आकांक्षा ने पूछा। 'तुम लोग ड्रग्स का काम करते हो, मैंने अपनी आंखों से देखा है...' आकांक्षा ने आगे कहा।
'हम बुरे नहीं हैं, हम तो लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं,' रश्मि ने कहा। 'चुप करो रश्मि इसे बताने की जरूरत नहीं, इसे समझ नहीं आएगा,' सलोनी ने कहा।
'तुम दोनों मेरे साथ रहती थी, तुम्हें मेरी मदद करनी चाहिए थी, लेकिन तुम लोग मुझे पागल साबित करने में लग गईं। ऐसा क्यों?' आकांक्षा ने पूछा।
'हम रिसर्च कर रहे हैं, किसी को पागल नहीं बना रहे। जानवरों और इंसानों पर ट्रायल करने की इजाजत नहीं मिली इसलिए छुपकर ये काम करना पड़ा। हम एक ऐसी दवा बना रहे हैं, जिससे मेंटल डिसऑर्डर्स खत्म किए जा सकें, तुम्हें कोई अंदाजा नहीं है कितनी मेहनत लगती है इसमें। हम कोशिश में हैं कि काम हो जाए, लेकिन तुम्हारे जैसे लोग समझेंगे नहीं, ये लोगों की भलाई के लिए ही है,' रश्मि ने कहा।
'बिना इजाजत किसी पर एक्सपेरिमेंट करना, ये कैसी भलाई है, मैंने तुम्हारी लैब में बहुत से जानवर भी देखे थे, तुम लोग उन्हें भी मार डालोगे,' आकांक्षा ने कहा। 'अभी तक सिर्फ तीन ही मरे हैं, बाकी जिंदा हैं और ड्रग टेस्ट भी चल रहा है, तुम्हें भी कुछ नहीं हुआ ना। हमने बहुत कम डोज दिया था, एक बार इस दवा से होने वाले हैलुसिनेशन खत्म हो जाएं, तो हम इसे मार्केट में भी बेच सकते हैं, कितने लोगों का भला होगा इससे जानती हो?' रश्मि ने कहा।
'इसे इतना कुछ बताने की जरूरत नहीं, लैब लेकर चलो,' उस आदमी ने कहा। जैसे ही आकांक्षा को खींचकर ले जाने लगे, वैसे ही कमरे के अंदर छुपी पुलिस बाहर आ गई। आकांक्षा और मीना ने पहले ही इसकी तैयारी कर ली थी। आकांक्षा को बस उनसे सभी बातें उगलवानी थीं।
इस बात को दो दिन बीत चुके हैं और आकांक्षा और मीना पीजी में बैठे हुए हैं। असल में रश्मि और सलोनी को भी ब्रेनवॉश किया गया था। ये जिसे दवा समझ कर बना रहे थे, वो एक ड्रग था। वो आदमी जो उनके साथ था, वो वैसे तो फार्मासूटिकल्स में डील करता था और ड्रग्स का कारोबार भी चलाता था। उन दोनों ने बहकावे में आकर ड्रग्स का परीक्षण करना शुरू कर दिया। इन्होंने ये सब सिर्फ पीजी में ही नहीं किया, बल्कि कॉलेज में भी एक दो लोगों पर परीक्षण किया। दोनों को कानून के हिसाब से सजा मिलेगी।
आकांक्षा ने पुलिस की बहुत बड़ी मदद की थी जिसकी चर्चा न्यूजपेपर में भी हुई थी। ड्रग्स का बहुत बड़ा रैकेट पकड़ा गया था। मीना के भाई को भी इसके कारण प्रमोशन मिल गया था। आकांक्षा और मीना दोनों ही अब अच्छे दोस्त बन गए थे। उस गर्ल्स पीजी में भी अब दोनों की चर्चा होने लगी थी। वॉर्डन को भी बदल दिया गया था और वॉचमैन भी हिरासत में था। आकांक्षा ने अपनी जान जोखिम में डालकर जिस तरह असलियत का पता लगाया, उसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है। अब आकांक्षा चाहती है कि वो पुलिस में भर्ती होकर इस तरह के गलत कामों को रोके। रश्मि और सलोनी की तरह कोई और लड़की ऐसे किसी जाल में ना फंसे।
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