हमारे देश में अलग संस्कृतियों के लोग निवास करते हैं और उनकी अलग प्रथाएं हैं जो सदियों से चली आ रही हैं। सभी का त्यौहार मनाने का अपना अलग तरीका होता है और सब किसी भी पर्व को मिलजुल कर मनाते हैं। ऐसे ही त्योहारों में से एक है ओणम।
यह भारत के सबसे दक्षिणी राज्य केरल में मनाया जाने वाला एक प्रमुख फसल उत्सव है। इस पर्व को ओणम राक्षस राजा महाबली की घर वापसी का प्रतीक माना जाता है। यह केरल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और पूरे राज्य में ख़ुशी से मनाया जाता है।
किसी अन्य पर्व की ही तरह यह पर्व भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है और लोग एक दूसरे को हर्षोल्लास के साथ इस दिन गले लगाते हैं। इस साल यह पर्व 20 से 31 अगस्त तक मनाया जाएगा और यदि हम इस पर्व को मनाने के तरीके और महत्व की बात करें तो यह 10 दिनों तक मनाया जाता है और इसके हर एक दिन का अलग महत्व होता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार, ओणम चिंगम महीने में थिरुवोणम नक्षत्रम के दिन मनाया जाता है। आइए जानें इस पर्व के महत्त्व के बारे में।
ओणम की कथा क्या है
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा महाबली ने देवताओं पर विजय प्राप्त की और तीनों लोकों पर शासन करना शुरू कर दिया। एक राक्षस राजा होने के बावजूद, महाबली एक परोपकारी शासक थे और उसकी प्रजा शांतिपूर्ण और समृद्ध जीवन जीती थी। इससे देवता असुरक्षित हो गए, इसलिए उन्होंने भगवान विष्णु से उनकी मदद के लिए आगे आने का अनुरोध किया।
भगवान विष्णु ने वामन के रूप में अवतार लिया और महाबली को पृथ्वी पर उसकी सारी भूमि अपने अधीन करने के लिए छल किया। हालांकि, अपनी सारी भूमि खोने के बावजूद राजा महाबली की भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने राजा को वरदान दिया। भगवान विष्णु ने महाबली को वर्ष में एक बार राज्य और अपने लोगों के पास लौटने की अनुमति दी। केरल हर साल राजा महाबली की वापसी को चिह्नित ओणम का पर्व मनाता है।
ओणम के 10 दिनों का महत्व
अथम
ओणम उत्सव की शुरुआत अथम से होती है। लोग अपने घरों को पीले फूलों से सजाते हैं जिन्हें पोक्कलम कहा जाता है। इस दिन से पर्व की शुरुआत होती है और इसका विशेष महत्व है।
चिथिरा
यह त्योहार का दूसरा दिन होता है। इस दिन लोग अपने पूरे घर की सफाई करते हैं। वे पोक्कलम में फूलों की एक और परत भी जोड़ते हैं और इस दिन गणपति स्थापना और पूजा का आयोजन किया जाता है।इसे जरूर पढ़ें: Onam 2023 Kab Hai: कब है ओणम? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
चोधी
यह ओणम का तीसरा दिन है और यह परिवार के सदस्यों से मिलकर और उपहारों का आदान-प्रदान करके मनाया जाता है। इसमें नए कपड़े, जिन्हें ओनाकोडी कहा जाता है और आभूषण वितरित किये जाते हैं।
विशाकम
ओणम पर्व का चौथा दिन जिसे ओणम साध्य की तैयारी के लिए मुख्य माना जाता है। यह इस त्योहार का सबसे शुभ दिन माना जाता है।
अनिज़म
ओणम के पांचवें दिन, वल्लमकली नौका दौड़ पथानामथिट्टा में पंबा नदी तट पर अरनमुला शहर से आयोजित की जाती है। इस दिन को लोग मिलजुल कर मनाते हैं और एक -दूसरे को उपहार देते हैं।
थ्रिकेटा
ओणम का छठवां दिन परिवार अधिक उपहारों का आदान-प्रदान करने और प्रार्थना करने के लिए अच्छा माना जाता है।
मूलम
ओणम के सातवें दिन से मंदिर में लोगों के लिए विशेष दावत होती है और नृत्य और संगीत के अन्य उत्सव, जैसे पुली काली या कडुवा काली शुरू होते हैं।
पूरदाम
ओणम उत्सव का 8वां दिन महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन विष्णु जी के वामन अवतार और राजा महाबली की मूर्तियां मिट्टी से बनाई जाती हैं और पोक्कलम के केंद्र में रखी जाती हैं।
उथराडोम
उथराडोम यानी ओणम के नौवें दिन बड़े पैमाने पर उत्सव शुरू होते हैं। लोग पारंपरिक भोजन की तैयारी फलों और सब्जियों से शुरू करते हैं।
थिरुवोनम
त्योहार का 10 वां दिन ओणम उत्सव में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पौराणिक राजा महाबली की आत्मा थिरुवोनम के दिन केरल आती है। इस दिन उत्सव सुबह जल्दी शुरू हो जाते हैं। इसी दिन ओणम का भव्य पर्व, जिसे ओणम साध्य कहा जाता है, भी तैयार किया और परोसा जाता है।
इस प्रकार ओणम के सभी दिनों का अलग महत्व है और हर एक दिन किसी न किसी वजह एक-दूसरे से अलग होता है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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