क्या है ओणम साध्या? जानें इससे जुड़ी कुछ खास बातें

त्यौहार भोजन के बिना अधूरा है पारंपरिक भोजन हमारी संस्कृति को दर्शाते हैं बात चाहे दिवाली की हो या होली की सभी त्योहारों में पकवान बनाए जाते हैं ऐसे में आज ओणम पर्व के साध्या के बारे में जानेंगे।

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ओणम केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक है और इस पर्व में जो खास है वह है 'साध्या' जिसका अर्थ है भोज। साध्या में पारंपरिक शाकाहारी मलयाली व्यंजनों को शामिल किया जाता है। केले के पत्ते में 24 से 28 तरह के अलग-अलग नमकीन, मीठे और खट्टे भोजन को शामिल किया जाता है। साध्या में पायसम, चावल, सांभर, नारियल की चटनी, अवियल जैसे और भी कई व्यंजनों को केले पत्ते में परोसा जाता है।

ओणम एक पारंपरिक कृषि आधारित पर्व है, जो दक्षिण भारत में 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। यह केरल का मुख्य त्योहार है, जिसे राजा बलि के सम्मान में मनाया जाता है। इस त्योहार में 21 से 28 तरह तक के पारंपरिक भोजन को पूरे रीति-रिवाजों के साथ केले के पत्ते में सर्व किया जाता है। इसे ही साध्या कहा जाता है और इसकी खास बात यह है कि इसमें पूरी तरह से शाकाहारी भोजन को ही शामिल किया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि साध्या से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

क्या है ओणम साध्या?

ओणम पर्व के दौरान साध्या मलयाली लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें केले के पत्ते में विभिन्न तरह के शाकाहारी भोजन परोसे जाते हैं।

साध्या में व्यंजनों की संख्या क्या होती है?

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साध्या में खूब सारे अलग-अलग तरह के भोजन परोसे जाते हैं। बता दें कि इसमें कम से कम 21 और ज्यादा से ज्यादा 28 तरह के कम-से-कम भोजन को केले के पत्तों में सर्व किया जाता है।

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साध्या है सबसे बड़ी शाकाहारी थाली

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि साध्या में सर्व किए जाने वाले सभी भोजन पूरी तरह से शाकाहारी होते हैं और यह दुनिया की सबसे बड़ी शाकाहारी थाली है, जिसमें 21 से 28 तरह के मीठे से लेकर नमकीन तक विभिन्न तरह के डिशेज होते हैं।

इस तरह से परोसी जाती है साध्या

साध्या को परोसने की शैली बेहद अलग और अनूठी है, जिसमें केले के पत्तेके डंठल वाले भाग दाईं ओर रखकर उसमें भोजन परोसी जाती है। सभी शाकाहारी साध्या व्यंजनों को एक अलग तरीके से रखा जाता है। केले पत्ते की बाईं ओर अम्लीय भोजन तो वहीं दाईं ओर क्षारीय व्यंजनों को क्रम से रखा जाता है।

साध्या में सभी तरह के भोजन होते हैं शामिल

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बता दें कि साध्य में परोसे जाने वाले व्यंजनों के स्वाद संतुलित होते हैं। केले के पत्तों में मीठा, नमकीन, खट्टा और कड़वा जैसे कई तरह के स्वाद वाले व्यंजनों को परोसा जाता है।

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साध्या को फर्श पर बैठकर खाया जाता है

मान्यता है कि इस शाकाहारी साध्या भोजन को जमीन पर पालथी मारकर खाया जाता है प्राचीन मान्यता के अनुसार पालथी मारकर बैठकर भोजन करने से पाचन क्रिया मजबूत होती है साथ ही खाया हुआ भोजन आसानी से पचता है।

नारियल तेल में बनाई जाती है साध्या व्यंजन

ओणम साध्या में बनने वाले सभी व्यंजन नारियल के तेलसे बनाए जाते हैं। यह सेहत के लिए पूरी तरह से हेल्दी है।

साध्या के भोजन मेंतरल और सूखे व्यंजन होते हैं शामिल

साध्या में परोसे जाने वाले भोजन आधे तरल करी वाले होते हैं, तो वहीं आधे सूखे हुए होते हैं। इन दो तरह के भोजन को संतुलित कर तैयार किया जाता है।

साध्या में केले का महत्व

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साध्या थाली में केले का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसमें केले के पत्ते से लेकर फल और फूल से कई सारी सब्जी और डिश बनाए जाते हैं।

ये रही साध्या से जुड़ी कुछ रोचक बातें और ओणम में साध्या का महत्व। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।

Image Credit: Freepik

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