भारतीय संस्कृति त्योहारों की संस्कृति है और इनमें रिश्तों का महत्व हमेशा सर्वोपरि रहा है। सावन के महीने में पड़ने वाला हरियाली तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन लगभग हर महिला पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए कामना करती हैं, लेकिन आज हम बात कर रहे हैं- हरियाली तीज से ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली अनूठी परंपरा के बारे में, जिसे सिंजारा कहा जाता है। यह परंपरा, खासकर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। यह त्योहार से पहले रिश्तों को मजबूत करने का एक प्यारा माध्यम होता है। कई लोगों को यह नहीं पता होता कि सिंजारा क्यों मनाया जाता है और इसकी क्या महत्ता है। अगर आपके मन में भी सिंजारा से जुड़े ये सवाल हैं, तो चलिए हम आपको बताते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको सिंजारा की परंपरा, उसके महत्व और उन आवश्यक सामग्रियों के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिनके बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं कि कैसे यह खास दिन हरियाली तीज के उल्लास को और बढ़ा देता है।
हरियाली तीज से पहले सिंजारा क्यों मनाया जाता है?
सिंजारा शब्द 'श्रृंगार' से आया है, जिसका अर्थ है- सोलह श्रृंगार या सजावट का सामान। यह हरियाली तीज से ठीक एक दिन पहले मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण रिवाज है। यह खासकर उत्तर भारत के कुछ राज्यों में मनाया जाता है। यह परंपरा बेटी के प्रति मायके के प्रेम, आशीर्वाद और उसके सुहाग की कामना का प्रतीक है। सिंजारा मनाने के पीछे कई सांस्कृतिक और भावनात्मक कारण हैं।
सिंजारा के रूप में, मायके वाले अपनी शादीशुदा बेटी के ससुराल में उसके लिए उपहार भेजते हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि बेटी शादी के बाद भी अपने मायके से जुड़ी हुई है और उसके माता-पिता उसे कितना प्यार करते हैं। हरियाली तीज सुहागिनों का त्योहार है, जो पति की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है। सिंजारा में भेजी जाने वाली श्रृंगार सामग्री बेटी के अखंड सुहाग की कामना करती है। यह रिवाज बेटी के मायके और ससुराल के रिश्तों को भी मजबूत करता है।
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इन सामग्रियों के बिना अधूरा है सिंजारा
सिंजारा में भेजी गई चीजें तीज के त्योहार की तैयारी में मदद करती हैं। इसमें खासकर श्रृंगार और खाने-पीने की चीजें होती हैं। सिंजारा की थाली में कुछ खास चीजें जरूर शामिल की जाती हैं, जो इस त्योहार की आत्मा मानी जाती हैं। यह सुहाग का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है।
- सिंदूर
- बिंदी
- चूड़ियां,
- महावर (आलता)
- काजल
- मेहंदी
- मांग टीका
- कान के झुमके
- गले का हार
- पायल
- मिठाई
- साड़ी या सूट
- फल
- मेवे
ऊपर बताई गई चीजें बेटी को मायके के तरफ से दिया जाता है। यह माना जाता है कि इन चीजों के दान से पति की आयु लंबी होती है। त्योहारों पर मिठाई का आदान-प्रदान खुशी और मिठास का प्रतीक है।
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