Govardhan Puja 2024: गोवर्धन भगवान की नाभि पर क्यों रखा जाता है दीया?

ऐसा माना जाता है कि गोवर्धन पूजा घर में करने से बरकत बनी रहती है, घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और कभी भी धन-धान्य एवं अनाज की कमी नहीं होती है। 
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गोवर्धन पूजा इस साल 2 नवंबर, दिन शनिवार को पड़ रही है। गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर से भगवान गिरिराज की प्रतिमा बनाई जाती है और फिर उस प्रतिमा की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि गोवर्धन पूजा घर में करने से बरकत बनी रहती है, घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और कभी भी धन-धान्य एवं अनाज की कमी नहीं होती है। गोवर्धन पूजा के दौरान यूं तो कई प्रकार की चीजें की जाती हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है गिरिराज जी की नाभि पर दीया रखना। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि गोवर्धन पूजामें क्यों रखा जाता है गिरिराज जी की नाभि पर दीया।

गोवर्धन पूजा में गिरिराज भगवान के नाभि पर दीया क्यों रखते हैं?

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पौराणिक कथा के अनुसार, जब इंद्र के अहंकार का दमन करने के लिए बाल कृष्ण ने अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब जिस जगह से उठाया था वह गिरिराज पर्वत का मध्य भाग था।

इसी कारण से गोवर्धन पूजा के दिन गिरिराज जी की गोबर से बनी प्रतिमा की नाभि पर दीया रखा जाता है क्योंकि शरीर का मध्य भाग नाभि ही है। दीये के अलावा घी, तेल और शहद रखने का भी विधान मौजूद है।

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असल में कथा कहती है कि ब्रज वासियों ने जब देखा कि कान्हा की उंगली गोवर्धन उठाये-उठाये लाल हो रही है तब उन्होंने कान्हा की उंगली पर घी, मक्खन, शहद, तेल आदि चीजें लगाना शुरू कर दिया था।

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ब्रज वासियों द्वारा जब यह सब कान्हा की उंगली पर लगाया जा रहा था तब ये सारी चीजें गोवर्धन भगवान के मध्य भाग पर भी लग रही थीं। तभी से यह परंपरा बनी कि पूजा में गोवर्धन भगवान की नाभि पर ये सब रखा जाए।

शास्त्रों में वर्णित है कि गोवर्धन पूजा के दौरान गिरिराज धरण भगवान की नाभि पर तेल, घी, शहद लगाने या दीया रखने से घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है और सुख-समृद्धि एवं संपन्नता का वास बना रहेता है।

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर क्यों गोवर्धन पूजा के दिन गिरिराज जी की नाभि पर रखा जाता है दीया और क्या है इसका महत्व।

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image credit: herzindagi

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