गोवर्धन पूजा दिवाली के एक दिन बाद मनाई जाती है। जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण से इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था और पूरे ब्रजमंडल को गोवर्धन पर्वत की आड़ से सभी की रक्षा की थी। इतना ही नहीं, इस दिन भगवान कृष्ण को 56 प्रकार के व्यंजन चढ़ाए जाते हैं, जिसे अन्नकूट कहा जाता है। यह प्रकृति की उदारता और कृषि की समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन किसान भी अपनी फसलें भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करते हैं। अब ऐसे में गोवर्धन पूजा के दिन गिरिराज जी की परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
गोवर्धन पूजा के दिन गिरिराज जी की परिक्रमा कितनी बार लगाएं?
गोवर्धन पूजा के दिन आप गोबर से बने गिरिराज जी की 7 या 11 बार परिक्रमा लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पूरे परिवार के साथ ही परिक्रमा लगाएं। ऐसा कहा जाता है कि परिक्रमा लगाने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है और घर में चल रहे कलह-क्लेश से भी छुटकारा मिल जाता है।
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इतना ही नहीं गिरिराज जी की परिक्रमा लगाने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और शुभ परिणाम भी मिलने लग जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि गोवर्धन पूजा सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन किए गए सभी शुभ काम दोगुने परिणाम देते हैं। साथ ही सुख-समृद्धि का भी आशीर्वाद मिलता है।
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गोवर्धन पूजा के दिन परिक्रमा कब लगानी चाहिए?
गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट के बाद गोबर से गिरिराज जी बनाएं और फिर उनकी विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करें। उन्हें भोग लगाएं। उन्हें दूध चढ़ाएं। उसके बाद आखिर में सपरिवार मिलकर गिरिराज जी की परिक्रमा लगाएं। इससे व्यक्ति के जीवन में चल रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है और शुभ परिणाम मिलने लग जाते हैं। गिरिराज पर्वत को भगवान कृष्ण का स्वरूप माना जाता है। जब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से बचाया था, तब से यह पर्वत भगवान कृष्ण के साथ अटूट रूप से जुड़ गया। गिरिराज की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य लाभ होता है। गिरिराज की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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Image Credit- HerZindagi
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