दिवाली के अगले दिन क्यों मनाया जाता है अन्नकूट का त्यौहार, जानें इसकी कथा

आइए जानें अन्नकूट का त्यौहार क्या है, क्यों मनाया जाता है और इसमें किस तरह का भोग भगवान श्री कृष्ण को अर्पित किया जाता है। 

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अन्नकूट या गोवर्धन पूजा दिवाली के पांच दिनों तक मनाए जाने वाले त्योहारों का ही एक हिस्सा है। यह त्यौहार हिन्दू धर्म में विशेष तौर पर मनाया जाता है। भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में हिन्दू धर्म के लोग इस त्यौहार को धूम धाम से मनाते हैं। यह त्यौहार दिवाली या लक्ष्मी पूजा के अगले दिन और भैया दूज से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। अन्नकूट के त्यौहार में भगवान् कृष्ण को 56 भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान् श्री कृष्ण को खाने में जो सामग्रियां पसंद हैं उन सभी को भोग स्वरुप अर्पित करने से श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं साथ ही भक्तों को मन चाहा वर भी प्राप्त होता है। आइए जानें इसकी कथा और महत्त्व के बारे में।

कब मनाया जाएगा अन्नकूट का त्यौहार

अन्नकूट का त्यौहार उज्ज्वल पखवाड़े के पहले दिन मनाया जाता है, जिसे कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के रूप में भी जाना जाता है। कार्तिक के हिंदू महीने में, दिवाली के मुख्य दिन के ठीक अगले दिन अन्नकूट पूजा , गोवर्धन पूजा या बाली प्रतिपदा मनाई जाती है। इस साल अन्नकूट या गोवर्धन पूजा5 नवंबर को मनाया जाएगा । अन्नकूट, आदर्श रूप से भगवान कृष्ण को अर्पित करने के लिए 56 तत्वों (छप्पन भोग) सहित भोजन तैयार करके मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है यह त्यौहार

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गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है अनाज का ढेर। त्योहार को बाली प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है। त्योहार भगवान इंद्र पर भगवान कृष्ण की जीत का जश्न मनाने के लिए चिह्नित किया गया है। त्योहार को मनाने के पीछे की कहानी भगवान कृष्ण के बचपन को लीलाओं को दिखाती है। इस त्यौहार में गोबर का उपयोग करके भगवान गोवर्धननाथ का पुतला बनाया जाता है। परंपरा का पालन युगों से किया जाता रहा है। अन्नकूट को प्रसाद या आशीर्वाद के रूप में चढ़ाया जाता है।

गोवर्धन पर्वत का भगवद गीता में धार्मिक महत्व है क्योंकि यह कहता है कि भगवान कृष्ण ने भगवान इंद्र की पूजा करने के बजाय प्रतिपदा कार्तिक शुक्ल पक्ष की बृज में गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। यही प्रमुख कारण है कि अगले दिन शुभ दीपावली पर्व पर गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। त्योहार पर, भगवान गोवर्धन के साथ अग्नि, वरुण और अन्य देवों जैसे अन्य देवताओं की पूजा की जाती है। इस दिन, गायों की पूजा धूप , अगरबत्ती, चंदन, फूल आदि से की जाती है। यह त्योहार मथुरा और वृंदावन में विशेष तौर पर मनाया जाता है क्योंकि यह भगवान कृष्ण की जन्मभूमि है।

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क्या है अन्नकूट की पौराणिक कथा

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इसकी पौराणिक कथा के अनुसार, श्री कृष्ण ने देखा कि सभी बृजवासी इंद्र की पूजा कर रहे थे। जब उन्होंने अपनी मां को भी इंद्र की पूजा करते हुए देखा तो सवाल किया कि लोग इंद्र की पूजा क्यों करते हैं? उनकी माता ने बताया कि भगवान इंद्र वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती है और हमारी गायों को चारा मिलता है। तब श्री कृष्ण ने कहा ऐसा है तो सबको गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गायें तो वहीं चरने जाती हैं। कृष्ण की बात मानकर सभी ब्रजवासी इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। ऐसे करते देखकर देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और प्रलय के समान मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया और ब्रजवासियों की भारी बारिश से रक्षा की।

इसके बाद इंद्र को पता लगा कि श्री कृष्ण वास्तव में विष्णु के अवतार हैं और अपनी भूल का एहसास हुआ। बाद में इंद्र देवता को भी भगवान कृष्ण से क्षमा याचना करनी पड़ी। इन्द्रदेव की याचना पर भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और सभी ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर साल गोवर्धन की पूजा कर अन्नकूट का पर्व धूमधाम से मनाएं। तब से ही यह पर्व गोवर्धन या अन्नकूट के रूप में मनाया जाने लगा और कृष्ण को भोग स्वरुप 56 व्यंजन अर्पित किये जाने लगे।

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कैसे लगता है भोग

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अन्नकूट त्योहार पर, छप्पन भोग के रूप में जाने जाने वाले प्रसाद को तैयार करने के लिए 56 विभिन्न प्रकार के अनाज और सब्जियों का उपयोग करके भोजन तैयार किया जाता है। अन्नकूट को धरती मां के लिए धन्यवाद संस्कार स्वरुप भी मनाया जाता है। हिन्दू मान्यतानुसार इस त्योहार को मनाने से व्यक्ति को आशीर्वाद मिलता है और परिवार को भोजन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। परिवार पर सदैव देवी अन्नपूर्णा की कृपा होती है। इस दिन, भोजन आम रसोई में पकाया जाता है और पूरा परिवार एक साथ खाता है।

अन्नकूट में बनने वाले खाद्य पदार्थों के अलावा (अन्नकूट का स्पेशल भोज ) अपने सामर्थ्य के अनुसार दाल, भात, कढ़ी, साग, हलवा, पूरी, खीर, लड्डू, पेड़े, बर्फी, जलेबी, केले, नारंगी, अनार, सीताफल, बैंगन, मूली, साग, पात, रायते, भुजिये, सलूने और चटनी, मुरब्बे, अचार, खट्टे-मीठे चरपरे अनेक प्रकार के पदार्थ बनाकर अर्पण किए जाते हैं। मुख्य रूप से 6 तरह की सब्जियों को पकाकर भोग के रूप में रखा जाता है।

इस तरह अन्नकूट या गोवर्धन का त्यौहार हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है जिसे पूरे देश में बहुत ज्यादा धूम-धाम से मनाया जाता है।

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Image Credit: wikipedia and Pinterest

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