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हिंदी भाषा सीधी, तो उर्दू क्यों लिखी जाती है उल्टी? 99 प्रतिशत लोगों को नहीं पता होगा इसका कारण

हिंदी और उर्दू दोनों ही भाषाओं का इस्तेमाल हम सभी बोल-चाल और लिखने में करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आखिर उर्दू भाषा उल्टी क्यों लिखी जाती है। इस लेख में चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण
Editorial
Updated:- 2025-02-24, 15:01 IST

Why is Urdu Written Backwards: लेखन कार्य से लेकर बोलने के लिए हम सभी हिंदी और उर्दू भाषा का इस्तेमाल करते हैं। इन दोनों भाषाओं के बीच कई समानताएं हैं। लेकिन इनके लिखने के स्टाइल में एक बड़ा अंतर है। अगर आप हिंदी और उर्दू दोनों भाषओं को पढ़ने और लिखने का कार्य करते होंगे तो आपने हिंदी को बाएं से दाएं और उर्दू को दाएं से बाएं ओर लिखते होंगे। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा कि आखिर ऐसा क्यों है। हम दोनों भाषाओं को एक जैसी स्टाइल में क्यों नहीं लिखते हैं। अगर आप भी इसके पीछे का कारण को जानना चाहती हैं, तो इस लेख में आज हम आपको इस सवाल के जवाब के बारे में बताने जा रहे हैं।

आखिर हिंदी को उल्टे से सीधे की ओर क्यों लिखते हैं?

Urdu Writing Direction

हिंदी भाषा लेखन कार्य करने के लिए हम बाएं से दाएं दिशा की ओर चलते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हिंदी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। यह लिपि बायीं से दायीं दिशा में कार्य करती है। देवनागरी लिपि का विकास और जन्म प्राचीन भारत की ब्राह्मी लिपि से हुआ है। इस भाषा को उल्टी दिशा से सीधी दिशा की ओर लिखा जाता है और यहीं परंपरा समय के साथ हिंदी भाषा के साथ बनी रही, जो इसके लेखन में नजर आता है। इसके साथ ही संस्कृत और इसके बाद की भाषाओं को बाएं से दाएं की ओर लिखा जाता है।

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उर्दू को क्यों लिखा जाता है उल्टा?

Difference Between Hindi and Urdu

हिंदी भाषा के बाद बात करते हैं उर्दू भाषा की। अब इस भाषा के लेखन कार्य पर गौर करें, तो इसे सीधी दिशा से उल्टी दिशा की ओर लिखा जाता है। बता दें इस भाषा का मुख्यता विकास मुगल काल में हुआ। उर्दू भाषा को नस्तालीक लिपी में लिखा जाता है। इस लिपि को दाएं से बाएं की ओर लिखी जाती है, जिसके लेखन कला को उर्दू भाषा ने अपनाया। कई अन्य भाषाएं जैसे अरबी, फारसी आदि इस लिपि में लिखी जाती हैं।

उर्दू और हिंदी भाषा में सामनता

हिंदी और उर्दू भाषा में कई सामनताएं देखने को मिलती हैं। इन दोनों भाषाओं की शब्दावली लगभग एक जैसी है, क्योंकि दोनों भाषाओं का विकास एक मूल स्रोत से हुआ है। दोनों में संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं का मेल देखने को मिलता है। इसके साथ ही दोनों के बोलचाल की भाषा एक जैसी है। हिंदी और उर्दू का विशेष रूप से काव्य और गजल साहित्य में एक समान रही है। उर्दू में शेर, गजल, नज़्म, और नाटक लिखे जाते हैं, जबकि हिंदी में भी कविता, गीत, और गजल का एक बड़ा इतिहास है।

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Image credit-Freepik

 

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