आज, 17 जनवरी को सकट चौथ का व्रत मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में व्रत और तीज-त्योहार का विशेष महत्व होता है। हर व्रत के पीछे कुछ नियम औरपरंपराएं होती हैं, जिन्हें सही ढंग से निभाना अत्यंत आवश्यक है। सकट चौथ का व्रत माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए रखा जाता है।
हिंदू कलैंडर के हिसाब से वर्ष भर में कई तीज-त्योहार आते हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं, जिनमें व्रत रखा जाता है। सकट चौथ का व्रत भी हिंदुओं में बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह व्रत संतान के कुशल मंगल के लिए रखा जाता है। यह व्रत हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
इस पर्व पर भी करवा चौथ और अहोई अष्टमी की तरह चंद्रमा को देखा जाता है और उसे अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद ही व्रत पूर्ण होता है और मनोकामना पूरी होती है।
सकट चौथ पर चंद्रमा के उदय का समय बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का समापन होता है। आज 17 जनवरी 2025 को चंद्रोदय का समय रात 8:45 बजे है। इसलिए अर्घ्य देने का उत्तम समय रात्रि 9:00 PM से 9:30 बजे रहेगा तक रहेगा।
सकट चौथ को तिलकुटा चौथ भी बोला जाता है। इस दिन अगर आप शुभ मुहूर्त पर पूजा करती हैं, तो आपकी संतान को एक नहीं अनेक लाभ होंगे। इस दिन चौघड़िया के अनुसार निम्नलिखित समय पर पूजा की जा सकती है:
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चर | सामान्य: | सुबह 7:13 | सुबह 8:34 |
लाभ | उन्नति: | सुबह 8:35 | सुबह 9:55 |
अमृत | सर्वोत्तम: | सुबह 9:55 | 11:10 तक |
शुभ | उत्तम: | दोपहर 12:30 | दोपहर 1:50 |
सकट चौथ व्रत रखने के नियम हम आपको पहले ही बता चुके हैं। इस पर्व को चतुर्थी तिथि में मनाया जाता है, जिसका आरंभ और समापन निम्न प्रकार है:
तिथि | दिनांक | मुहूर्त |
चतुर्थी तिथि का आरंभ | 17 जनवरी 2025 | सुबह 04 बजकर 06 मिनट पर आरंभ होगा |
चतुर्थी तिथि का समाप्त | 18 जनवरी 2025 | सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगा |
वैसे तो सकट चौथ की पूजा हर जगह दिन के अलग-अलग प्रहर में करते हैं । अगर आप सुबह ही पूजा कर रही हैं तो सुबह 9:53 से 11:12 तक का समय आपके लिए सही रहेगा। वहीं अगर आप शाम के वक्त पूजा कर रही हैं तो, गोधूलि बेला में करें। इसका समय शाम 5 बजे से 7 बजे तक रहता है।
सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश और माता संकटा को समर्पित है। इस व्रत में मताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। इसके साथ ही उनके कुशल मंगल की कामना करती हैं। वैसे तो कुछ जगहों पर यह चौथ कुछ महिलाएं अपनी पति और संतान दोनों के लिए रखती हैं। इस व्रत में तिल से बने बकरे की बली दी जाती है और शकरकंद खाया जाता है।
भगवान गणेश को इस दिन खासतौर पर तिल और गुड़ से बने व्यंजन चढ़ाए जाते हैं। तिलकुट, तिल के लड्डू, तिल की खीर और अन्य तिल से बने पकवान इस दिन प्रसाद के रूप में सकट माता और गणेश जी को अर्पित किए जाते हैं।
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गर्भवती महिलाओं के लिए यह व्रत रखना पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन उन्हें अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। गर्भावस्था में यदि पूरे दिन निर्जल रहना मुश्किल हो, तो वे फल, दूध या जूस का सेवन करके व्रत कर सकती हैं।
सकट चौथ का व्रत सिर्फ उन महिलाओं के लिए नहीं है जिनके बच्चे हैं। यह व्रत हर कोई रख सकता है, विशेष रूप से वे महिलाएं जो संतान प्राप्ति की कामना करती हैं।
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