मुगलकालीन साम्राज्य हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है और इनके शासन काल में बनाई गई इमारतों या कस्बों को लेकर आज भी कुछ ना कुछ बहस होती ही रहती है। ऐसे में मुगल साम्राज्य से जुड़े हर किस्से से वाकिफ होना बहुत जरूरी है, खासकर राजा-महारानियों के बारे में, इनके रहन-सहन और प्रेम कहानियों के बारे में।
यही वजह है कि हम आपको अपनी सीरीज 'हिस्ट्री ऑफ क्वीन' में अक्सर मुगल इतिहास और इससे जुड़ी महिलाओं के बारे में बताते रहते हैं। इसलिए आज हम आपको ऐसी रानियों या महिलाओं के बारे में बताएंगे, जिनकी खूबसूरती की आज भी मिसाल दी जाती है।
वैसे तो एक बहुत पुरानी कहावत है कि सुंदरता चेहरे पर नहीं, बल्कि आंखों या नजरिए में होती है। मगर सुंदरता तब ज्यादा बढ़ जाती है, जब उसे मन की आंखों से निहारा जाता है। जी हां, हम अंदरूनी सुंदरता की बात कर रहे हैं, जिसकी मिसाल अब से नहीं बल्कि प्राचीन समय से दी जा रही है।
'द मुगल एवरी' के लेखक सबिहा हक ने अपनी किताब में विस्तार से इस विषय पर बात की। हालांकि, इस किताब में खानजादा बेगम, दिलरास बानो बेगम, गुलबदन बेगम और जहांआरा जैसी मुगल रानियों पर ज्यादा जोर दिया गया है।
खानजादा बेगम
इसमें खानजादा बेगम का नाम भी आता है, जो उमर शेख मिर्जा और उनकी पहली पत्नी कुतलुग निगार खानम की सबसे बड़ी बेटी थीं और मुगलिस्तान की राजकुमारी थीं। बता दें कि बाबर खानजादा का छोटा भाई था और 1483 में उसके जन्म के 5 साल बाद पैदा हुआ था।
खानजादा एक शहजादी, जिनका जीवन प्रमुख रूप से बलिदान और आघात से भरा था। मुगल साम्राज्य की प्रारंभिक स्थापना के निर्णयों के पीछे अपनी दादी ऐसन दौलत बेगम के साथ शामिल थीं। उन्हें मुगल साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली और खूबसूरत महिला के रूप में जाना जाता है।
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सलीमा सुल्तान बेगम
यह मुगल साम्राज्य और अकबर की सबसे खूबसूरत बेगम में से एक हैं। 'अकबरनामा' किताब में उल्लेख मिलता है कि इनका नाम सलीमा सुल्तान बेगम है, जो तैमूरी राजवंश से ताल्लुक रखती थीं। इनका जन्म 23 फरवरी 1539 को हुआ था। इनके पिता का नाम नूरुद्दीन था। हालांकि, सलीमा बेगम अकबर की दूसरी पत्नी थीं।
इससे पहले उनका निकाह बैरम खां से करवा दिया था। सलीमा बेगम दिल की बेहद साफ और सच्चाई पर चलने वाली इंसान थीं। उन्होंने अकबर को कई बार संभाला है। उनकी मृत्यु 15 दिसम्बर 1612 में हुई थी। कहा जाता है कि उनकी कब्र आगरा में मौजूद है।
दिलरास बानो बेगम
जब बात खूबसूरत महिलाओं की बात की जाए और इसमें दिलरास बानो बेगम का नाम ना लिया जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि यह आखिरी शक्तिशाली मुगल बादशाह औरंगजेबकी पहली पत्नी थीं। दिलरास बानो एक सफवी राजवंश से ताल्लुक रखती थीं, जिनका माता-पिता का नाम बेगम दिलरास मिर्जा बदीउद्दीन सफवी और नौरस बानो बेगम था।
इसलिए शुरू से ही दिलरास बानो बेगम होशियार थीं और यही वजह है जिनका नाम मुगल इतिहास की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में लिया जाता है। 'औरंगजेब- बचपन से सत्ता संघर्ष तक' लेखक अफसर अहमद में उल्लेख मिलता है कि बादशाह ने प्रेम किया और बेगम को हासिल भी किया। उसकी दो हिन्दू पत्नियां भी थीं।
नूरजहां
जब बात मुगल साम्राज्य के इतिहास की आती है और उसमें नूरजहां का नाम ना लिया जाए, ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि यह मुगल बादशाह जहांगीर की पत्नी थी। उन्होंने मुगल शासन में एक अहम भूमिका अदा की है। वह एक खूबसूरत, बुद्धिमान, शील और विवेक सम्पन्न से पूर्ण महिला थी, जिन्हें साहित्य, कविता और ललित कलाओं से प्रेम था।
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इन्होंने जहांगीर से लगभग 1611 ई में शादी की थी। शादी के बाद उन्हें बादशाह बेगम बनाया गया, इसी दौरान उन्होंने कई कार्य भी किए। ऐसा कहा जाता है कि उस दौरान सिक्कों पर भी उसका नाम खोदा जाने लगा था। इसलिए उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
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