Mothers Day Special: क्या मॉडर्न समाज बदल रहा है मां की परिभाषा? आखिर क्यों बच्चों को अखर रहा है देसी होना

अगर आपकी मां मॉडर्न नहीं है, तो इसके पीछे का कारण कहीं न कहीं समाज है। जिसकी वजह से उसने अपने सपनों को उड़ान नहीं दी। जिसने बस घर में चुल्हा चौका ही किया है। उन्हें बस यही समझाया गया कि महिलाओं का काम बस घर संभालना है। 

is modern society changing the definition of mothers

आज के इस मॉडर्न जमाने में बच्चे घर में काम करने वाली मां को मॉडर्न मां से कंपेयर करने लगे है। वो सोचते हैं कि काश उनकी मां भी मॉडर्न होती है, ऑफिस जाती, इंग्लिश बोलती और स्टाइलिश कपड़े पहनती, तो वो भी उन्हे दोस्तों से खुशी-खुशी मिलवाते। बच्चों को अब अपनी सीधी-साधी मां को दोस्तों से मिलवाने में शर्म आने लगी है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके दोस्तों की मां मॉर्डन है।

उन्हें लगता है कि उनकी देसी मां को तो कुछ भी नहीं आता। झाड़ू,पोछा और बर्तन के सिवा वह और कुछ करती ही क्या हैं। इसी सोच को बदलने और मां की तस्वीर को एक नया रूप देने के लिए हर जिंदगी एक ऐसा कैम्पेन लेकर आया है, जिसमें आप घर के कामकाज करने वाली मांओं की अहमियत समझ पाएंगे।

हमें यह समझना जरूरी है कि सभी मांओं के अलग-अलग मूल्य होते हैं। अगर आपको लगता है कि आपकी मां दूसरी मांओं से कम हैं, तो पहले उनकी मेहनत पर नजर डालें।

बदलती जा रही है मां की परिभाषा

What is the modern definition of mother

क्या आप भी उस कतार में खड़े हैं, जहां आपके भी मन में मां का देसी होना खल रहा है, लेकिन क्यों? क्या उनका अंग्रेजी बोलना, स्मार्ट फोन चलाना और ऑफिस में जाकर काम करना आपके लिए ज्यादा जरूरी है। ऐसा नहीं है कि महिलाएं जो हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है, वह गलत है। इसका मतलब यह भी नहीं है कि एक मॉर्डन मां अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से नहीं कर रही।

दुनिया में ऐसी कई मां हैं, जिन्होंने समाज की सोच को बदलने के लिए खुद को दूसरों से अलग साबित किया। घर के कामकाज बच्चों को संभालने के साथ-साथ वह घर से बाहर भी निकलीं।

लेकिन आजकल के बच्चे अब अपनी देसी मां को मॉडर्न से मां से कंपेयर कर उनको नीचा दिखाने की कोशिश करने लगे हैं।

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देसी मां को समझने लगे हैं छोटा

आज कल के इस दिखावे के जमाने में बच्चे अपनी मां को इज्जत देना भूल गए हैं। उन्हें अब अपनी मां का देसी होना शामृंदगी का अहसास दिलाने लगा है।

बच्चों को अकसर मां से बोलते हुए देखा जाता है कि “क्या है मम्मी आपको फोन भी चलाना नहीं आता, आजकल सब फोन चला रहे हैं। इतने बार आपको फोन चलाना सीखा दिया, फिर भी आप फोन तक नहीं उठा पाती हैं।”

बच्चों को मां से दोस्तों को मिलवाने में आने लगी है शर्म- कई बार मां बच्चों के दोस्तों के आने पर उनसे मिलने के लिए घर से बाहर चली आती है, लेकिन बच्चे अपनी मां को दोस्तों से नहीं मिलवाने चाहते, उन्हें शर्म आती है की वो मॉडर्न नहीं है।

इसलिए वह दोस्तों के सामने ही मां पर चिल्लाने लगते हैं और कहते हैं ”मम्मी आप मेरे दोस्तों के सामने घर से बाहर मत आया करो, आप उनसे कुछ भी बोल देती हो..आपको पता है आजकल की मम्मियां कितनी मॉर्डन हैं, आपको तो कुछ नहीं आता है।”

मां के साथ स्कूल जाने में आती है शर्म- बच्चे अक्सर मां को ऐसा करते हैं “मम्मी आप मुझे स्कूल में लेने मत आया करो, सबकी मम्मी को देखा है, मेकअप करके, कितने अच्छे कपड़े पहनकर आती हैं, एक आप हो कुछ भी पहनकर आ जाती हो।”

क्या मां का मॉडर्न होना उनके प्यार से ज्यादा जरूरी है। वो आपसे प्यार करती हैं इसलिए बार बार आपके बेजती और धिक्कारने के बाद भी वो आपके पीछे आती है।

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आखिर क्यों मां का देसी होना बच्चों को अखर रहा है?

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बच्चों को यह समझना चाहिए कि आपकी मां इस दुनिया में सबसे सीधी हैं। वो आपकी तरह स्मार्ट फोन नहीं चलाती। उन्हें नहीं पता है जमाने में क्या हो रहा है। उन्हें बस अपना घर संभालना है, अपने बच्चो की सेहत और खाने का ध्यान रखना है।

उन्हें दुनिया से मतलब नहीं, उसने अपने परिवार के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया। यहां तक कि वो मां जिसने कभी अपने लिए भी वक्त निकालने के बारे में नहीं सोचा । मां ने कभी संडे को अपने घर के कामों से छुट्टी नहीं मांगी। इतना कुछ करने के बावजूद बच्चों को एक मॉडर्न मां की तलाश है। बच्चों को यह समझना जरूरी है कि मां का देसी होना कोई छोटी बात नहीं। घर संभालने वाली मां भी मॉडर्न मां की तरह ही खास मेहनती और खास हैं।

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image credit-freepik, Shutterstock

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