आपको पता है नोट कैसे बनाए जाते हैं और इन्हें हटाने का प्रोसेस क्या है?

क्या भारतीय नोटों की भी कोई एक्सपायरी डेट होती है? करेंसी का सर्कुलेशन जितना ज्यादा होता है क्या उतनी ही आसानी से उसे प्रिंट भी कर दिया जाता है? चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में कुछ बातें। 

How does printing of note done by rbi

सोशल मीडिया पर कहीं मैंने एक सवाल पढ़ा था कि आखिर RBI बेहिसाब पैसा छापकर गरीबों को क्यों नहीं दे देता? बचपन में मैं भी कुछ ऐसा ही सोचा करती थी कि आखिर RBI जैसा बैंक क्यों ज्यादा नोट नहीं छाप लेता जिससे हमारा देश अमीर हो जाए। जहां एक ओर केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से बजट पेश किया जाता है, वहीं करेंसी को कैसे और कहां सर्कुलेट किया जाएगा वह RBI ही तय करता है। देश में कुछ गिने चुने स्थान हैं जहां नोटों की छपाई का काम होता है और देश के किसी हिस्से में पेपर बनता है, कहीं और इंक और किसी और जगह पर इसकी सिक्योरिटी होती है।

आज हम नोटों की छपाई से लेकर उनकी अंतिम यात्रा तक के बारे में कुछ जानकारी देने जा रहे हैं।

आखिर कैसे तय होता है कितने नोट छापे जाएंगे?

एक साल के अंदर कितने नोटों की छपाई होगी उसका फैसला RBI विकास दर, मुद्रास्फीति दर यानी ग्रोथ रेट और इन्फ्लेशन के आधार पर करता है। इसे देखने के बाद यह देखा जाता है कि कितने नोट अभी सर्कुलेशन में हैं, कितने नोट कटे-फटे हो सकते हैं जिन्हें रिप्लेस करने की जरूरत होगी और फिर पब्लिक की डिमांड क्या है, जैसे नोटबंदी के समय ज्यादा नोट प्रिंट किए गए थे। इसके साथ ही, फॉरेन रिजर्व कितना रखना है यह सब फाइनेंस मिनिस्ट्री के साथ तय होता है और फिर नोटों की छपाई की जाती है।

Printing notes of rs

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नोटों की छपाई के लिए भारत में 1956 से ही 'मिनिमम रिजर्व सिस्टम' का पालन हो रहा है। जिसके तहत RBI को अपने कोष में 200 करोड़ या उससे अधिक रुपए नोटों की छपाई के लिए हमेशा रिजर्व रखने होते हैं। ऐसा इसलिए ताकि किसी तरह की जरूरत पड़ने पर करेंसी का सर्कुलेशन बंद ना हो और देश की करेंसी की वैल्यू ज्यादा ना गिरे।

भारत में कहां से आता है नोटों को छापने वाला कागज?

नोटों का कागज स्पेशल तरीके से बनाया जाता है जिसे कॉपी नहीं किया जा सकता और उसमें मौजूद इंक धुलती नहीं है। यह 100% कॉटन से बनता है यही कारण है कि इसकी लुक और फील भी नॉर्मल कागज जैसी लगती है। भारत की आधी से ज्यादा करेंसी फॉरेन मेड पेपर पर प्रिंट होती है जिसे स्वित्जरलैंड और जापान से मंगवाया जाता है। हालांकि, भारत में भी सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की सिक्योरिटी पेपर मिल है जो मध्य प्रदेश के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) में स्थित है।

इस मिंटिंग कॉर्पोरेशन के अंतर्गत दो सिक्योरिटी प्रेस हैं जो नासिक और हैदराबाद में स्थित हैं इसके अलावा, नासिक और देवास में दो करेंसी नोट प्रेस भी हैं। इसके अलावा, चार मिंट (टकसाल) हैं जो मुंबई, कोलकता, हैदराबाद और नोएडा में हैं और नर्मदापुरम वाली मिल के बारे में तो आपको बता ही दिया गया है। इस कॉर्पोरेशन को मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस के जरिए देखा जाता है।

चार सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस जहां होती है नोटों की छपाई

इंडिया सिक्योरिटी प्रेस (नासिक रोड) - यह पोस्टल मटेरियल, स्टैम्प, चेक, बॉन्ड, एनएससी, किसान विकास पत्र आदि सरकारी डॉक्यूमेंट के लिए है।

सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस (हैदराबाद)- यह प्रिंटिंग प्रेस भी पोस्टल मटेरियल के लिए है।

करेंसी नोट प्रेस (नासिक) - यह 1991 से ही 1,2,5,10, 50 और 100 रुपये के नोट छापती है।

बैंक नोट प्रेस (देवास)- यहां 20, 50, 100 और 500 रुपये के नोट छापे जाते हैं।

RBI देता है नोटों की छपाई के ऑर्डर

इन चार प्रिंटिंग प्रेस को ऑर्डर्स मिलते हैं और नोटों की छपाई यहीं से शुरू होती है। इन ऑर्डर्स को इंडेंट (Indent) कहते हैं। ये साफतौर पर बताते हैं कि नोट कितने छापने हैं और कैसे छापने हैं। यह ऑर्डर नोटों की डिजाइनिंग और जरूरत को मद्देनजर रखकर दिया जाता है। नोटों के सिक्योरिटी फीचर्स को भी इसमें ध्यान रखा जाता है।

नोटों की डिजाइनिंग के बाद उनकी शीट्स तैयार होती हैं एक शीट में करीब 20 नोट छापे जाते हैं। फिलहाल भारतीय करेंसी का सबसे बड़ा नोट 2000 ही है क्योंकि अभी भी कुछ नोट सर्कुलेशन का हिस्सा हैं।

RBI कितना खर्च करता है नोट छापने में?

10 रुपए के नोट को छापने में 0.96 रुपए

20 रुपए का नोट छापने में 1.5 रुपए

50 रुपए का नोट छापने में 1.81 रुपए

100 रुपए का नोट छापने में 1.79 रुपए

200 रुपए का नोट छापने में 2.93 रुपए

500 रुपए का नोट छापने में 2.94 रुपए

2000 रुपए का नोट छापने में 3.54 रुपए

इन नोटों को आरबीआई फेस वैल्यू पर ही अन्य बैंकों को बेचता है और यहां से ही आरबीआई को प्रॉफिट होता है।

rs  note printing

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बैंक नोट छपने के बाद कैसे पहुंचते हैं लोगों तक?

इसके लिए रिजर्व बैंक के 19 ऑफिस हैं जो अहमदाबाद, बेंगलुरु, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना व तिरुवनंतपुरम में स्थित हैं। सबसे पहले नोट इन ऑफिस में जाते हैं। इसके बाद 2000 से भी ऊपर करेंसी चेस्ट (करेंसी स्टोर करने की जगह) निर्धारित हैं जिनसे होते हुए ये नए नोट कमर्शियल बैंकों के पास जाते हैं जहां से एटीएम और बैंक के डेली खर्च के लिए इन्हें इस्तेमाल किया जाता है।

आखिर नोटों की होती है कोई एक्सपायरी डेट?

भारतीय करेंसी तब तक सर्कुलेशन में रहती है जब तक वह फटे नहीं या उसे बैन ना किया जाए। ऐसे 10 रुपये का नोट लगभग दो साल तक चलता है, 100 रुपये का नाम लगभग 3-4 साल और 500 रुपये का नोट 5-7 साल तक चल सकता है।

RBI क्या करता है फटे पुराने नोटों का?

आप कोई फटा हुआ नोट भी आसानी से पूरी वैल्यू में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में चेंज करवा सकते हैं। ऐसे ही आरबीआई के सभी ऑफिसों में नोटों का कलेक्शन किया जाता है और इसके बाद इन्हें अलग-अलग किया जाता है। पहले जहां नोटों को जलाया जाता था अब उन नोटों को रीसायकल किया जाता है जिससे नया पेपर बनता है। यह पेपर भी बेचा जाता है। ऐसे ही अगर आरबीआई ने सिक्के इकट्ठा किए होते हैं, तो उन्हें टकसाल में पिघलाने के लिए भेज दिया जाता है जिससे नए सिक्के बनाए जा सकें।

सोर्स: इस जानकारी को RBI की आधिकारिक वेबसाइट से लिया गया है।

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