ओडिशा के बालासोर में फकीर मोहन ऑटोनॉमस कॉलेज की एक 20 वर्षीय बीएड छात्रा ने मंगलवार को एम्स भुवनेश्वर में दम तोड़ दिया है। छात्रा की मौत से आक्रोश का माहौल है। इस महीने की शुरुआत में छात्रा ने अपने एचओडी पर सेक्शुअल हेरेसमेंट का आरोप लगाया था। जानकारी सामने आ रही है कि छात्रा के आरोपों और शिकायत के बाद भी कॉलेज प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया, जिसके चलते छात्रा ने 12 जुलाई को कॉलेज के मुख्य द्वार पर पेट्रोल डालकर खुद को आग लगा ली थी। छात्रा 90 प्रतिशत तक जल गई थी और उसे भुवनेश्वर एम्स रेफर किया गया था, जहां कल देर रात उसकी मौत हो गई। यह घटना एक बार फिर कई सवाल खड़े कर रही है और सबसे पहला और बड़ा सवाल जो मेरे मन में आ रहा है, वो यह है कि क्या वाकई यह सच है कि आज भी एक लड़की को यौन उत्पीड़न की घटना से इतना परेशान और मजबूर होना पड़ा कि उसने अपनी जान देना ज्यादा बेहतर समझा। चलिए, आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला।
बालासोर में यौन उत्पीड़न की शिकार छात्रा की मौत
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में यौन उत्पीड़न की शिकार एक 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा आत्मदाह की कोशिश के बाद मौत हो गई है। छात्रा ने 12 जुलाई को खुद को आग लगाकर जान देने की कोशिश की थी और इसके बाद से वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) भुवनेश्वर में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी। बताया जा रहा है कि छात्रा को जब अस्पताल ले जाया गया, तो वह 90 प्रतिशत तक जल चुकी थी। एम्स के बर्न सेंटर में उसे वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन उसने कल देर रात दम तोड़ दिया है।
बालासोर यौन उत्पीड़न मामला क्या है?
बालासोर यौन उत्पीड़न मामला पिछले कई दिनों से सुर्खियों में बना हुआ है। छात्रा के आईसीयू में एडमिट होने के बाद से लोग इस मामले को लेकर सड़कों पर उतर आए थे और इंसाफ की मांग कर रहे थे। हालांकि, यह बेहद दुखद है कि अब छात्रा इस दुनिया में नहीं रही है। बता दें कि छात्रा ने कॉलेज के एचओडी पर यौन उत्पीड़न और अंकों में हेरफेर की धमकी देने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं, उसने इस मामले में लिखित शिकायत भी की थी। छात्रा और उसके कुछ साथी इस मामले में धरना दे रहे थे और कॉलेज के शिक्षा विभाग के प्रमुख के खिलाफ कार्यवाही की मांग कर रहे थे। लेकिन, कथित तौर पर कॉलेज प्रशासन की तरफ से छात्रा की मदद की गुहार को पूरी तरह अनसुना कर दिया गया और इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया गया। छात्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) पर भी अपनी बात साझा की थी और कहा था कि अगर उसे न्याय नहीं मिला, तो वह आत्महत्या कर लेगी पर अफसोस इस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया और अंत में हताश होकर छात्रा ने अपने जीवन का ही अंत करने की कोशिश की। छात्रा ने इस ट्वीट में मुख्यमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, स्थानीय सांसद और जिला प्रशासन को भी टैग किया था और क्योंकि किसी की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं हुई, ऐसे में इस मामले ने अब राजनैतिक रंग भी पकड़ लिया है और आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला शुरू हो गया है।
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क्या बेटियों को नहीं है जीने का अधिकार?
यह पढ़ने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन यही मेरा सवाल है कि क्या बेटियों को जीने का अधिकार भी नहीं है...क्या खुली हवा में आजादी और इज्जत की सांस लेना भी उनके लिए एक ऐसी चीज है, जिसके लिए उन्हें गिड़गिड़ाना होगा...हाथ-पैर जोड़ने होंगे और फिर हताश होना होगा? कभी घर...कभी कॉलेज...कभी बस... कभी वर्कप्लेस और यहां तक कि वेंटिलेटर पर भी यौन उत्पीड़न और रेप के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में मुझे लग रहा है कि शायद लड़कियों के लिए जीने का अधिकार भी एक लग्जरी से कम नहीं है, जिसका मिलना बिल्कुल आसान नहीं है और जिसके लिए अभी न जाने कितने ही और जतन करने पड़ेंगे क्योंकि देवी को पूजने और लड़कियों को देवी क्या इंसान भी मानने में कितना अंतर है, यह हम आए दिन देखते रहते हैं।
समाज के तौर पर इस घटना के बारे में सोचकर ही हमें शर्म आ जानी चाहिए कि एक छात्रा को यौन उत्पीड़न से परेशान होकर अपनी जान गवानी पड़ी। हमारी स्टोरी से रिलेटेड अगर कोई सवाल है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।
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Image Credit: Freepik and Herzindagi
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