दिल्ली में पिछले कुछ महीनों में वायु प्रदूषण अपने चरम पर था। पराली जलाने से होने वाले धुएं से लेकर दिवाली पर जलाए जाने वाले पटाखों तक, धुएं की वजह से दिल्ली में सांस लेना मुश्किल हो गया। प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक पहुंचने पर मैंने और मेरे पूरे परिवार ने काफी हेल्थ प्रॉब्लम्स का सामना किया। खांसी, आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी जैसी चीजों का हम सभी ने सामना किया। इस माहौल में मैं अपने बेटे के लिए खासतौर पर चिंतित थी, क्योंकि बच्चों का शरीर बड़ों की तुलना में बहुत संवेदनशील होता है और इसी वजह से वायु प्रदूषण उनके लिए ज्यादा खतरनाक होता है। वायु प्रदूषण की वजह से हमें लगातार खांसी आती थी।
वायु प्रदूषण की वजह से लंबे वक्त रहीं हेल्थ प्रॉब्लम्स
प्रदूषण के कारण मेरे पति रात-रात भर खांसते रह जाते थे और हम सभी अजीब सी बेचैनी और घुटन महसूस कर रहे थे। दिनभर मास्क लगाने के बावजूद हमारी सांस लेने में काफी ज्यादा परेशानी महसूस हुई। प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर की वजह से बच्चे को घर से बाहर ना भेजने और लगभग हर कुछ दिनों पर स्कूल की छुट्टी से घर में अजीब तरह का माहौल बन गया था। ऐसी स्थितियों का सामना करते हुए सिर्फ मेरे लिए ही नहीं, बल्कि प्रदूषण झेलने वाले सभी दिल्ली वासियों के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है। प्रदूषण की वजह से हार्ट डिजीज, सीने में दर्द, गले में दर्ज जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद खतरनाक माना जाता है।
इसे जरूर पढ़ें: Delhi Election: सरकार से क्या चाहती हैं महिलाएं? इन 7 महिलाओं की ये बातें बता रही हैं दिल्ली का हाल
प्रदूषण पर बेहतर योजना वाली पार्टी को मिलेंगे वोट
प्रदूषण से प्रभावित होने वाले सभी दिल्ली वासी दिल्ली की आबोहवा साफ सुथरी चाहते हैं। हालांकि इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनावों में स्वच्छ पानी, बिजली, सड़क, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे भी महत्वपूर्ण होंगे, लेकिन प्रदूषण पर पार्टियों ने अपने मैनिफेस्टो में जो बातें कहीं हैं, उन्हीं के आधार पर जनता वोट करेगी।
इसे जरूर पढ़ें:HZ Exclusive: दिल्ली सरकार की महिला सुरक्षा के दावों की खुली पोल, HerZindagi की ग्राउंड रिपोर्ट
अरविंद केजरीवाल ने कही 20 मिलियन पेड़ लगाने की बात
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अपने मैनिफेस्टो में वायु प्रदूषण के मुद्दे को जगह दी है और सरकार बनाने पर दिल्ली की वायु को स्वच्छ बनाने के लिए काम करने को कहा है। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से 10 वायदे किए हैं, जिनमें स्वच्छ वायु देने का उनका वादा दिल्ली में वापसी करने का गारंटी कार्ड माना जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने वादा किया है कि 20 मिलियन पेड़ लगाकर दिल्ली की वायु को स्वच्छ बनाने की दिशा में काम किया जाएगा। इसके लिए स्वच्छ वायु के लिए साफ पानी, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ाने जैसे काम किए जाने के लिए भी कहा गया है।
दिल्ली की जनता को अगले पांच साल के लिए मेरी दस गारंटी। pic.twitter.com/vwGypKCH70
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 19, 2020
बीजेपी के दिल्ली प्रमुख मनोज तिवारी ने इस मुद्दे पर कहा है कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो दिल्ली के वायु प्रदूषण की समस्या का दो साल में समाधान कर देगी। वहीं कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वायदा किया है कि वे सत्ता में आने पर दिल्ली के वार्षिक बजट का 25 फीसदी हिस्सा दिल्ली के वायु प्रदूषण और यातायात की समस्या से निपटने में खर्च करेंगे।
महिला वोटरों के लिए वायु प्रदूषण है बड़ा मुद्दा
महिलाएं अपने घर-परिवार के सदस्यों और बच्चों के लिए विशेष रूप से चिंतित होती हैं और इसीलिए वायु प्रदूषण उनके लिए एक बड़ा मुद्दा है। गर्भवती महिलाओं की सेहत भी वायु प्रदूषण से प्रभावित होती है और इसका असर उनकी आने वाली संतान पर भी पड़ने की आशंका होती है।अर्चना धवन बजाज, कंसल्टेंट ऑब्स्टीट्रीशियन, गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ एक्सपर्ट, नर्चर आईवीएफ दिल्ली बताती हैं,
इन चीजों से होती है दिल्ली की आबोहवा खराब
Council on Energy, Environment and Water के सर्वेक्षण के अनुसार ट्रैफिक से होने वाला प्रदूषण दिल्ली की आबोहवा को सबसे ज्यादा खराब करता है, इससे दिल्ली में 18-39 फीसदी तक पॉल्यूशन बढ़ता है। इसी तरह सड़क पर होने वाली धूल-मिट्टी से 18-38 फीसदी तक पॉल्यूशन होता है। इंडस्ट्री से 2-29 फीसदी पॉल्यूशन होता है। वहीं पावर प्लांट्स से 3-11 फीसदी तक दिल्ली के पॉल्यूशन में इजाफा होता है। इसके अलावा निर्माण कार्य से भी दिल्ली में 8 फीसदी तक पॉल्यूशन होता है।
सर्वे में भी प्रदूषण को माना गया था अहम मुद्दा
लोकनीति-सीएसडीएस की तरफ से कराए गए एक सर्वे में कहा गया कि दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण लोगों के लिए वोट करने का एक बड़ा मुद्दा है। इस सर्वे के आधार पर जब लोगों से पूछा गया कि इस समय में दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या क्या है, तो 45 फीसदी लोगों ने प्रदूषण को ही सबसे बड़ी समस्या माना। इसके बाद 12 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी, 7 फीसदी लोगं ने पानी और 5 फीसदी लोगों ने गंदगी की समस्या गिनाई।
All Images Courtesy: Yandex
दिल्ली में पिछले कुछ महीनों में वायु प्रदूषण अपने चरम पर था। पराली जलाने से होने वाले धुएं से लेकर दिवाली पर जलाए जाने वाले पटाखों तक, धुएं की वजह से दिल्ली में सांस लेना मुश्किल हो गया। प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक पहुंचने पर मैंने और मेरे पूरे परिवार ने काफी हेल्थ प्रॉब्लम्स का सामना किया। खांसी, आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी जैसी चीजों का हम सभी ने सामना किया। इस माहौल में मैं अपने बेटे के लिए खासतौर पर चिंतित थी, क्योंकि बच्चों का शरीर बड़ों की तुलना में बहुत संवेदनशील होता है और इसी वजह से वायु प्रदूषण उनके लिए ज्यादा खतरनाक होता है। वायु प्रदूषण की वजह से हमें लगातार खांसी आती थी।
वायु प्रदूषण की वजह से लंबे वक्त रहीं हेल्थ प्रॉब्लम्स
प्रदूषण के कारण मेरे पति रात-रात भर खांसते रह जाते थे और हम सभी अजीब सी बेचैनी और घुटन महसूस कर रहे थे। दिनभर मास्क लगाने के बावजूद हमारी सांस लेने में काफी ज्यादा परेशानी महसूस हुई। प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर की वजह से बच्चे को घर से बाहर ना भेजने और लगभग हर कुछ दिनों पर स्कूल की छुट्टी से घर में अजीब तरह का माहौल बन गया था। ऐसी स्थितियों का सामना करते हुए सिर्फ मेरे लिए ही नहीं, बल्कि प्रदूषण झेलने वाले सभी दिल्ली वासियों के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है। प्रदूषण की वजह से हार्ट डिजीज, सीने में दर्द, गले में दर्ज जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद खतरनाक माना जाता है।
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प्रदूषण पर बेहतर योजना वाली पार्टी को मिलेंगे वोट
प्रदूषण से प्रभावित होने वाले सभी दिल्ली वासी दिल्ली की आबोहवा साफ सुथरी चाहते हैं। हालांकि इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनावों में स्वच्छ पानी, बिजली, सड़क, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे भी महत्वपूर्ण होंगे, लेकिन प्रदूषण पर पार्टियों ने अपने मैनिफेस्टो में जो बातें कहीं हैं, उन्हीं के आधार पर जनता वोट करेगी।
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अरविंद केजरीवाल ने कही 20 मिलियन पेड़ लगाने की बात
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अपने मैनिफेस्टो में वायु प्रदूषण के मुद्दे को जगह दी है और सरकार बनाने पर दिल्ली की वायु को स्वच्छ बनाने के लिए काम करने को कहा है। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से 10 वायदे किए हैं, जिनमें स्वच्छ वायु देने का उनका वादा दिल्ली में वापसी करने का गारंटी कार्ड माना जा रहा है। अरविंद केजरीवाल ने वादा किया है कि 20 मिलियन पेड़ लगाकर दिल्ली की वायु को स्वच्छ बनाने की दिशा में काम किया जाएगा। इसके लिए स्वच्छ वायु के लिए साफ पानी, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ाने जैसे काम किए जाने के लिए भी कहा गया है।
दिल्ली की जनता को अगले पांच साल के लिए मेरी दस गारंटी। pic.twitter.com/vwGypKCH70
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) January 19, 2020
बीजेपी के दिल्ली प्रमुख मनोज तिवारी ने इस मुद्दे पर कहा है कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो दिल्ली के वायु प्रदूषण की समस्या का दो साल में समाधान कर देगी। वहीं कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वायदा किया है कि वे सत्ता में आने पर दिल्ली के वार्षिक बजट का 25 फीसदी हिस्सा दिल्ली के वायु प्रदूषण और यातायात की समस्या से निपटने में खर्च करेंगे।
महिला वोटरों के लिए वायु प्रदूषण है बड़ा मुद्दा
महिलाएं अपने घर-परिवार के सदस्यों और बच्चों के लिए विशेष रूप से चिंतित होती हैं और इसीलिए वायु प्रदूषण उनके लिए एक बड़ा मुद्दा है। गर्भवती महिलाओं की सेहत भी वायु प्रदूषण से प्रभावित होती है और इसका असर उनकी आने वाली संतान पर भी पड़ने की आशंका होती है।अर्चना धवन बजाज, कंसल्टेंट ऑब्स्टीट्रीशियन, गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ एक्सपर्ट, नर्चर आईवीएफ दिल्ली बताती हैं,
इन चीजों से होती है दिल्ली की आबोहवा खराब
Council on Energy, Environment and Water के सर्वेक्षण के अनुसार ट्रैफिक से होने वाला प्रदूषण दिल्ली की आबोहवा को सबसे ज्यादा खराब करता है, इससे दिल्ली में 18-39 फीसदी तक पॉल्यूशन बढ़ता है। इसी तरह सड़क पर होने वाली धूल-मिट्टी से 18-38 फीसदी तक पॉल्यूशन होता है। इंडस्ट्री से 2-29 फीसदी पॉल्यूशन होता है। वहीं पावर प्लांट्स से 3-11 फीसदी तक दिल्ली के पॉल्यूशन में इजाफा होता है। इसके अलावा निर्माण कार्य से भी दिल्ली में 8 फीसदी तक पॉल्यूशन होता है।
सर्वे में भी प्रदूषण को माना गया था अहम मुद्दा
लोकनीति-सीएसडीएस की तरफ से कराए गए एक सर्वे में कहा गया कि दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण लोगों के लिए वोट करने का एक बड़ा मुद्दा है। इस सर्वे के आधार पर जब लोगों से पूछा गया कि इस समय में दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या क्या है, तो 45 फीसदी लोगों ने प्रदूषण को ही सबसे बड़ी समस्या माना। इसके बाद 12 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी, 7 फीसदी लोगं ने पानी और 5 फीसदी लोगों ने गंदगी की समस्या गिनाई।
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