दिल्ली में पटाखों पर बैन के बावजूद लोगों ने इस पर अमल नहीं किया और खुलकर आतिशबाजी की। जिसका नतीजा यह हुआ कि आसमान में फॉग की एक चादर बिछ गई है। किसी भी तरह से सर्दियां और दिवाली के प्रदूषण का हमारी हेल्थ खासतौर से फेफड़ों के लिए अच्छा नहीं है। हालांकि, हमारे फेफड़ों में एक निर्मित प्रदूषण फिल्टर होता है जिसे सिलिया (छोटे बालों के समान संरचना) कहा जाता है। यह फेफड़ों से बलगम और गंदगी को दूर करने में मदद करता है। लेकिन, इसका निर्माण भारत के महानगरों, विशेष रूप से दिल्ली की हवा में प्रचुर मात्रा में पाये जाने वाले कार्बन प्रदूषण (धुएं, केमिकल, टॉक्सिन्स और वाहन धुएं) के लिए नहीं है।
प्राकृतिक एंटी-ऑक्सीडेंट है ये उपाय
दिवाली त्योहार और मेट्रो शहरों में हवा में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचने के लिए बाध्य है। धुएं का घातक मिश्रण, केमिकल टॉक्सिन और वाहनों के धुएं ने हमारे शरीर को अस्थमा के खतरे में डाल दिया है और पहले से ही सांस के रोगों से ग्रस्त लोगों की हालात और भी बिगड़ रही है। लेकिन, परेशान ना हो क्योंकि आपकी किचन में ही इससे बचने का उपाय मौजूद है या आप इसे अपनी नजदीकी किराने की दुकान से आसानी से ले सकती हैं। यह आपके फेफड़ों को इस कष्टकारी समय के दौरान क्लीन करने में मदद कर सकता है। जी हां, हम गुड़ की बात कर रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे प्राकृतिक एंटी-ऑक्सीडेंट के बारे में बता रहे हैं जो आपकी बॉडी को इस खतरनाक प्रदूषण से लड़ने में मदद करेगा।
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वास्तव में, औद्योगिक कर्मचारियों, जो धूल और धुएं के वातावरण (कोयला खानों) में काम करते हैं, काम करने के बाद गुड़ का सेवन करते हैं। यह विशेष रूप से अत्यधिक प्रदूषित वातावरण में काम करने वाले कारखाने के लिए कर्मचारियों के लिए बहुत उपयोगी होता है। कई रिसर्च से यह बात सामने आई हैं कि धूल और धुएं के माहौल में काम करने वाले लोगों को कोई परेशानी नहीं होती, अगर वह काम करने के बाद गुड़ खा लेते हैं।
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प्रदूषण से बचायेगा गुड़
गुड़ गन्ने से तैयार एक शुद्ध, हेल्दी और टेस्टी पदार्थ है। ये मूल रूप से गन्ने के रस से तैयार किया जाता है। गुड़ में सेलेनियम होता है जो एक एंटी-ऑक्सीडेंट का काम करता है। ये गले और फेफड़े के इंफेक्शन में फायदेमंद होता है। साथ ही फेफड़े को धूल और धुएं से बचाता है। स्वामी परमानंद प्राकृतिक चिकित्सालय (एसपीपीसी) योग अवसंरचना केंद्र की मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर दिव्या शरद के अनुसार, ''हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसमें प्रदूषण का स्तर घातक स्तर तक पहुंच गया है। प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए औद्योगिक कर्मचारी गुड़ का इस्तेमाल व्यापक रूप में करते हैं क्योंकि इससे कणों की मात्रा को समाप्त किया जा सकता है। आयरन से भरपूरहोने के कारण गुड़ तुरंत एनर्जी पाने का बहुत अच्छा माध्यम है। आयरन युक्त गुड़ ब्लड में हीमोग्लोबिन लेवल को बेहतर बनाता है, जिससे ब्लड में ऑक्सीजन की क्षमता बढ़ जाती है।''
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कितना गुड़ खाना चाहिए?
कई रिसर्च और रिपोर्ट से यह साबित हुआ है कि रोजाना थोड़ा सी मात्रा में गुड़ खाने से हवा में मौजूद कार्बन प्रदूषण का मुकाबला करने में हेल्प मिलती है। इसलिए आयुर्वेदिक डॉक्टर दिव्या शरद रोजाना 2 से 4 ग्राम तक सीमित गुड़ खाने की सलाह देती हैं लेकिन यह सलाह डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए नहीं है।
अब समझ में आया कि हमारी दादी-नानी गुड़ खाने की सलाह विशेष रूप से सर्दियों में क्यों देती हैं। तो देर किस बात कि आज से ही अपने ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर के बाद एक छोटा टुकड़ा गुड़ शामिल करें।
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