सुरेखा यादव, जो कि एशिया की पहली महिला लोको पायलट हैं, इनका ट्रेन चलाने का सफर न केवल दिलचस्प रहा बल्कि बेहद चुनौतीपूर्ण भी रहा। हालांकि, जो लोग ये सोचते हैं कि ये क्षेत्र पुरुषों का वर्चस्व है, उनके लिए सुरेखा किसी मिसाल से कम नहीं हैं। इनकी अपनी हिम्मत और मेहनत ने रास्ते में आने वाली सभी चुनौती को पार किया। ये साल 1989 में भारतीय रेलवे में शामिल हुईं। वहीं अब यानी 36 साल तक भारतीय रेल की सेवा करने के बाद ये 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होंगी।
ऐसे में देश की महिलाओं के मन में ये सवाल है कि आखिर कैसे लोको पायलट के पद तक पहुंचा जा सकता है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि लोको पायलट कैसे बना जा सकता है और इसके लिए कौन-कौन सी परिक्षाएं दी जाती हैं। पढ़ते हैं आगे...
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