नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहारों में से एक है, इस दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर साल यह पर्व चार बार आता है जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं और एक चैत्र तथा चौथी शारदीय नवरात्रि होती है।
इन सभी में से शारदीय नवरात्रि विशेष रूप से धूमधाम से मनाई जाती है। यह त्योहार आश्विन महीने की अमावस्या तिथि के अगले दिन से शुरू होता है। इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ सर्वपितृ अमावस्या के दूसरे दिन यानी कि 3 अक्टूबर से हो चुका है।
पूरे देश में इस पर्व की धूम है इसका जश्न काफी समय पहले से ही शुरू हो चुका है। जगह-जगह पर दुर्गा पंडाल सज रहे हैं और लोग माता की भक्ति में डूबे हुए हैं।
इस साल भी हर बार की ही तरह शारदीय नवरात्रि की गूगल ट्रेंड्स में काफी पहले से धूम मची है और लोग इस पर्व की शुरुआत होने के पहले से ही शारदीय नवरात्रि की तिथि, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, नौ दिन की पूजा विधि समेत कई चीजें खोज रहे हैं।
गूगल ट्रेंड्स में पूछे गए कई सवालों के जवाब जानने और इस पर्व की पूरी जानकारी लेने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से बात की। आइए आपको बताते हैं इसके बारे में विस्तार से।
साल 2024 में कब मनाई जाएगी शारदीय नवरात्रि?
शारदीय नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर, गुरुवार के दिन हो रहा है। इसी दिन अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है।
- इस साल आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ: 2 अक्टूबर, बुधवार, रात्रि 12 बजकर 19 मिनट
- आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का समापन: 3 अक्टूबर, गुरुवार, रात्रि 2 बजकर 58 मिनट पर
- इसके अनुसार उदया तिथि में, शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को ही प्राप्त हो रही है, इसी वजह से शारदीय नवरात्रि इसी दिन से आरंभ होगी।
शारदीय नवरात्रि 2024 तिथि और समय
शारदीय नवरात्रि 2024 की शुरुआत 3 अक्टूबर 2024 से हो रही है और इसका समापन 11 अक्टूबर 2024 को होगा।
इन नौ दिनों में, मांदुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। हर दिन की पूजा का अपना विशेष महत्व होता है, और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इन दिनों की पूजा करते हैं।
शारदीय नवरात्रि 2024 कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि के आरंभ में कलश स्थापना करने का विधान सदियों से चला आ रहा है। मान्यता है कि जब भक्त घरों में कलश की स्थापना करते हैं और श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं तो उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और सदैव खुशहाली बनी रहती है।
इस साल शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं और आप इस समय कलश की स्थापना कर सकते हैं। आइए जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है-
- शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त -3 अक्टूबर, बृहस्पतिवार, प्रातः 6 बजकर 19 मिनट से प्रातः 7 बजकर 23 मिनट तक
- शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त- 3 अक्टूबर, गुरुवार, प्रातः 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक
शारदीय नवरात्रि में कौन से दिन होती है माता के किस रूप की पूजा?
शारदीय नवरात्रि के न दिन अलग-अलग देवियों को समर्पित होते हैं। इन सभी का पूजन विधि-विधान से किया जाता है और माता से घर के कल्याण की प्रार्थना की जाती है। इस साल नवरात्रि में किस दिन कौन सी माता की पूजा होगी यहां जानें।
शारदीय नवरात्रि की तिथियां | माता के स्वरुप |
03 अक्टूबर 2024 | मां शैलपुत्री की पूजा |
04 अक्टूबर 2024 | मां ब्रह्मचारिणी की पूजा |
05 अक्टूबर 2024 | मां चंद्रघंटा की पूजा |
06 अक्टूबर 2024 | मां कूष्मांडा माता की पूजा |
07 अक्टूबर 2024 | मां स्कंदमाता की पूजा |
08 अक्टूबर 2024 | कात्यायनी माता की पूजा |
09 अक्टूबर 2024 | मां कालरात्रि की पूजा |
10अक्टूबर 2024 | मां महागौरी की पूजा |
11अक्टूबर 2024 | मां सिद्धिदात्री की पूजा |
शारदीय नवरात्रि का महत्व
हमारे देश में सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों में से एक है शारदीय नवरात्रि। इस पर्व का गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
यह आश्विन महीने के चंद्र माह में मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे नौ दिनों तक चलता है और नौ दिनों के बाद दशमी तिथि यानी दशहरा से इसका समापन हो जाता है। यह पूरा समय देवी दुर्गा की पूजा को समर्पित होता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं।
नवरात्रि शब्द का अर्थ है 'नौ रातें' और इन दौरान, देवी दुर्गा के नौ रूपों, जिन्हें 'नवदुर्गा' भी कहा जाता है, की भक्ति पूर्वक पूजा की जाती है।
प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप को समर्पित होता है। यह पर्व मां शैलपुत्री की पूजा से शुरू होता है और सिद्धिदात्री माता के पूजन के साथ समाप्त हो जाता है। माता के ये नौ रूप साहस, करुणा, ज्ञान और शक्ति जैसे विभिन्न गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो भक्तों को इन गुणों को अपने जीवन में अपनाने की याद दिलाते हैं।
शारदीय नवरात्रि राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का भी प्रतीक भी है, जो बुरी ताकतों की हार और अच्छाई की विजय को दिखाती है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, महिषासुर, एक शक्तिशाली राक्षस, ने पृथ्वी पर कहर बरपाया था और कोई भी देवता उसे हरा नहीं सका। यह देवी दुर्गा ही थीं, जिन्होंने नौ दिनों के भीषण युद्ध के बाद दसवें दिन महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी जिसे विजयादशमी या दशहरा के नाम से जाना जाता है।
भारत के प्रत्येक क्षेत्र में अनोखे रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में, इसका समापन दुर्गा पूजा के साथ होता है, जो देवी दुर्गा की खूबसूरती से सजाई गई मूर्तियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से होता है। गुजरात में इस दौरान लोग गरबा और डांडिया रास में करते हैं। यह देवी के सम्मान में किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य है। वहीं उत्तर भारत में, रामलीला में भगवान राम की कहानी को दिखाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
शारदीय नवरात्रि 2024 अष्टमी और नवमी तिथियां कब हैं?
इस साल शारदीय नवरात्रि में महा अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर कई प्रश्न हैं। ऐसे में हिंदू पंचांग के अनुसार महा अष्टमी 11 अक्टूबर को पड़ रही है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ- 10 अक्टूबर, दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से हो रहा है और इसका समापन 11 अक्टूबर, दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर होगा। ऐसे में अष्टमी तिथि का पूजन 11 अक्टूबर को किया जाएगा।
इस साल नवमी तिथि 11 अक्टूबर को पड़ रही है। शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि का आरंभ- 11 अक्टूबर, शुक्रवार,प्रातः 6 बजकर 52 मिनट से और इसका समापन 12 अक्टूबर, शनिवार, प्रातः 5 बजकर 47 मिनट पर होगा। वैसे तो उदया तिथि में नवमी 12 अक्टूबर के दिन है, लेकिन तिथि क्षय के कारण यह पूजन 11 अक्टूबर को करना शुभ रहेगा।
नवरात्रि के नौ दिनों तक होती है माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा
नवरात्रि के नौ दिनों में माता के 9 स्वरूपों की पूजा विधि-विधान से की जाती है और उन्हें उनकी पसंद का भोग लगाया जाता है। यही नहीं इन दिनों में लोग अलग-अलग रंग के कपड़ों में माता का पूजन भी करते हैं। आइए जानें नौ स्वरूपों की पूजा विधि के बारे में विस्तार से -
मां शैलपुत्री (प्रथम दिन)
नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित होता है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। उनकी पूजा में शुद्ध जल, फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य चढ़ाया जाता है। माता शैलपुत्री की पूजा से जीवन में शांति, सुख और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन)
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है। भक्त इस दिन तप और संयम का पालन करते हुए माता को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते हैं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मानसिक शक्ति और आत्म-नियंत्रण की प्राप्ति होती है। यदि आप इस दिन पूजा के साथ मां ब्रह्मचारिणी की कथा का पाठ करेंगे तो इसके शुभ फल मिल सकते हैं।
मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन)
इस दिन मां चंद्रघंटा को सुगंधित फूल, चंदन और नैवेद्य अर्पित किया जाता है। उनके माथे पर चंद्राकार घंटे का प्रतीक होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा से साधक को साहस और वीरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आप इस दिन मां चंद्रघंटा की कथा का पाठ जरूर करें।
मां कूष्माण्डा (चौथा दिन)
इस दिन माता कूष्माण्डा की पूजा नारियल, मिठाई और फल अर्पित करके की जाती है। मां कूष्माण्डा की कृपा से साधक के जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य आता है।
मां स्कंदमाता (पांचवां दिन)
इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल और मिठाइयों का उपयोग किया जाता है। वह भगवान कार्तिकेय की माता मानी जाती हैं। मां स्कंदमाता की पूजा से संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि प्राप्त होती है।
मां कात्यायनी (छठा दिन)
मां कात्यायनी को केसर और हल्दी चढ़ाई जाती है। उन्हें दुर्गा के रूप में अत्यधिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है। मां कात्यायनी की पूजा से सभी प्रकार की कठिनाइयों और शत्रुओं का नाश होता है।
मां कालरात्रि (सातवां दिन)
इस दिन मां कालरात्रि की पूजा दीपक, धूप और नैवेद्य से की जाती है। उनकी मूर्ति अत्यंत भयावह होती है, लेकिन वे भक्तों की सभी बाधाओं को दूर करती हैं। मां कालरात्रि की कृपा से भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मां महागौरी (आठवां दिन)
मां महागौरी की पूजा में सफेद फूल और मिठाई चढ़ाई जाती है। उन्हें शांति और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। मां महागौरी की पूजा से साधक के जीवन में शांति और सुख-समृद्धि आती है।
मां सिद्धिदात्री (नवम दिन)
नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। उनकी पूजा में नारियल, मिठाई और फल अर्पित किए जाते हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा से साधक को सभी प्रकार की सिद्धियां और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
शारदीय नवरात्रि 2024 पूजा विधि
नवरात्रि की पूजा विधि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह साधकों को देवी की कृपा प्राप्त करने में मदद करती है। आइए जानें कि नवरात्रि की पूजा कैसे की जाती है-
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में की जाती है और इसे देवी दुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है। कलश में गंगाजल, सुपारी, दूब, रोली और अन्य पूजा सामग्री डालकर उसे मिट्टी में बोया जाता है और जौ बोए जाते हैं।
कलश के पास माता दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है।
पूजा के दौरान संकल्प लिया जाता है और देवी दुर्गा के विभिन्न मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इस दौरान विशेष रूप से 'दुर्गा सप्तशती' का पाठ किया जाता है।
माता दुर्गा की पूजा में दिव्य आरती और भजनों का विशेष महत्व है। इस दौरान सुबह और शाम को दीपक जलाकर आरती की जाती है।
इस पर्व में अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें नौ कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप मानकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
गूगल ट्रेंड्स पर शारदीय नवरात्रि के बारे में लोग क्या सर्च कर रहे हैं?
अगर हम गूगल ट्रेंड पर नवरात्रि से जुड़े सवालों की बात करें तो लोग सबसे ज्यादा इस पर्व की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में खोज रहे हैं।
इन सवालों की संख्या पिछले सात दिनों में ज्यादा बढ़ गई है। सबसे ज्यादा शारदीय नवरात्रि के बारे में उत्तर प्रदेश के लोग गूगल पर सर्च कर रहे हैं वहीं दूसरे नंबर पर बिहार के लोगों ने इसके बारे में सर्च किया है। यही नहीं नवरात्रि के साथ-साथ लोगों ने माता दुर्गा की सवारी और दशहरा पर्व के बारे में भी सर्च किया है।
लोग गूगल पर शारदीय नवरात्रि कई तरह के सवाल खोज रहे हैं और हमने उनमें से कुछ सवालों के जवाब आपको यहां बताए हैं, जिससे आप इस पर्व की सही तिथि और मुहूर्त जानकर माता का पूजन कर सकते हैं।
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