हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का अत्यधिक महत्व है। चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधिपूर्वक करने का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधिपूर्वक करता है, उसे धन, सुख और समृद्धि से संबंधित कोई भी समस्या नहीं आती। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान की देवी हैं, और उनकी पूजा करने से बुद्धि में वृद्धि होती है तथा विद्या की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी तपस्या की देवी भी मानी जाती हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति में तप करने की शक्ति का विकास होता है और साधना में सफलता मिलती है। इसके अलावा, मां ब्रह्मचारिणी मन को शांति प्रदान करने वाली देवी हैं। उनकी पूजा करने से मन में शांति का अनुभव होता है और चित्त एकाग्र होता है। वे इंद्रियों पर नियंत्रण रखने वाली देवी हैं, और उनकी पूजा से व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर काबू पा सकता है।
मां ब्रह्मचारिणी सकारात्मक ऊर्जा की प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अब चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, पूजन सामग्री, मंत्रों का जाप और भोग के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से आइये जानते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी हिन्दू धर्म की नौ दुर्गाओं में से एक हैं। उनका स्वरूप और गुण अत्यंत दिव्य और प्रेरणादायक हैं। मां ब्रह्मचारिणी का रूप बेहद पवित्र और सरल होता है। वे अक्सर सफेद वस्त्रों में सजी होती हैं, जो ब्रह्मचर्य और तप के प्रतीक हैं। उनके हाथों में एक जप माला और एक कमंडल होता है। जप माला साधना और ध्यान का प्रतीक है, जबकि कमंडल तप और संयम का। मां ब्रह्मचारिणी को तप और साधना का प्रतीक माना जाता है। उनकी भक्ति और समर्पण सभी भक्तों के लिए प्रेरणा स्रोत है। वे ज्ञान और विवेक की देवी हैं, जो अपने भक्तों को सही मार्ग दिखाती हैं। मां की भक्ति से भक्तों को मानसिक और आत्मिक शक्ति मिलती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में स्थिरता, आत्मिक विकास और ज्ञान की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना करने से भक्तों को सफलता और समर्पण की भावना मिलती है।
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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सामग्री के बारे में विस्तार से पढ़ें।
मां ब्रह्मचारिणी देवी दुर्गा का दूसरा रूप हैं। वे तपस्या और ब्रह्मचर्य का प्रतीक हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा की जाती है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के दौरान इन मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें।
मां ब्रह्मचारिणी को सेब, नाशपाती, संतरा, अंगूर अर्पित कर सकते हैं। विशेषकर पीले फल जरूर अर्पित करें। इससे मां प्रसन्न होती है।
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सफेद रंग शुद्धता, शांति और तपस्या का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और ब्रह्मचर्य का प्रतीक हैं, इसलिए सफेद रंग के फूल उन्हें बेहद प्रिय हैं। पीला रंग ज्ञान, बुद्धि और उल्लास का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान और विवेक की देवी हैं, इसलिए पीले रंग के फूल भी उन्हें प्रिय हैं।
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Image Credit- HerZindagi
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