Chaitra Navratri Kab Hai 2025: कब से शुरू है चैत्र नवरात्रि? जानें तिथियां और देवी पूजन का महत्व

मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करने से न सिर्फ उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है बल्कि व्यक्ति को कई लाभ भी मिलते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं कि इस साल कब से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि, क्या हैं नवरात्रि की नौ तिथियां, किस दिन होगी कौन सी देवी की पूजा।
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चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करने से न सिर्फ उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है बल्कि व्यक्ति को कई लाभ भी मिलते हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल कब से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि, क्या हैं नवरात्रि की नौ तिथियां, किस दिन होगी कौन सी देवी की पूजा और क्या है देवी पूजन का महत्व।

चैत्र नवरात्रि 2025 कब से शुरू है? (Chaitra Navratri Kab Hai)

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इस साल चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च, रविवार के दिन से हो रहा है और नवरात्रि का समापन 6 अप्रैल, रविवार के दिन होगा। इस साल चैत्र नवरात्रि 8 दिन की पड़ रही है क्योंकि अष्टमी और नवमी तिथि की पूजा एक ही दिन की जाएगी।

चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथियां

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चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है और मां के हर एक रूप की पूजा का विशेष महत्व एवं लाभ है। ऐसे में आइये जानते हैं चैत्र नवरात्रि के किस दिन मां दुर्गा के कौन से स्वरूप की पूजा होती है।

मार्च की डेट चैत्र नवरात्रि की तिथि मां के रूपों के नाम
30 मार्च प्रतिपदा मां शैलपुत्री
31 मार्च द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी
1 अप्रैल तृतीया मां चंद्रघंटा
2 अप्रैल चतुर्थी मां कुष्मांडा
3 अप्रैल पंचमी मां स्कंदमाता
4 अप्रैल षष्ठी मां कात्यायनी
5 अप्रैल सप्तमी मां कालरात्रि
6 अप्रैल अष्टमी-नवमी मां महागौरी- मां सिद्धिदात्री

चैत्र नवरात्रि 2025 देवी पूजन का महत्व

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। शैलपुत्री का अर्थ है "पर्वतों की बेटी", और वह हिमालय के गिरीराज की पुत्री हैं। उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता, शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह रूप विशेष रूप से भक्तों को आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा होती है। मां ब्रह्मचारिणी तप और साधना की देवी मानी जाती हैं। उनके इस रूप की पूजा से तपस्वी जीवन की प्रेरणा मिलती है और व्यक्ति में संयम, आत्म-नियंत्रण और तप की शक्ति आती है। इस रूप की पूजा से इच्छाओं को नियंत्रित करने और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। उनका रूप अत्यंत सौम्य और शुभकारी है, और वह अपने भक्तों के सभी भय और संकटों को दूर करती हैं। चंद्रघंटा के रूप में मां का रूप आभूषणों से सुसज्जित और उनके माथे पर चंद्रमा का आकार होता है। उनकी पूजा से मानसिक शांति, सुरक्षा और सौभाग्य प्राप्त होता है।

चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जो ब्रह्मांड की रचनाकार मानी जाती हैं। उनका रूप अत्यंत ऊर्जा से भरा हुआ होता है। वह एक कुम्हार के समान होती हैं, जो ब्रह्मांड के निर्माण में अपना योगदान देती हैं। उनकी पूजा से भौतिक सुख-संपत्ति और मानसिक शांति मिलती है।

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पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। वह भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं, और उनका रूप बहुत ही शांतिपूर्ण और सौम्य होता है। मां स्कंदमाता अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और उनके जीवन में सौभाग्य, शांति और समृद्धि का संचार करती हैं।

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छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो अत्यंत शक्तिशाली रूप में मानी जाती हैं। मां कात्यायनी ने राक्षसों से लड़ने के लिए जन्म लिया था और उनकी पूजा से राक्षसों और संकटों से मुक्ति मिलती है। यह रूप विशेष रूप से सफलता, साहस और संघर्ष की प्रतीक हैं।

सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है, जो काली और राक्षसी रूप में हैं। उनका रूप बहुत डरावना होता है, लेकिन वह राक्षसों और बुराई का नाश करने वाली हैं। उनकी पूजा से सभी प्रकार की बुरी शक्तियों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन की पूजा से जीवन में मुश्किलों का अंत और सफलता प्राप्त होती है।

आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जो अत्यंत पवित्र और सुंदर रूप में मानी जाती हैं। उनका रूप सफेद वस्त्रों से आच्छादित और अत्यंत सौम्य होता है। मां महागौरी की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। यह रूप विशेष रूप से भक्तों के पापों को नष्ट करने और मानसिक शांति देने के लिए प्रसिद्ध है।

नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो समस्त सिद्धियों और इच्छाओं को पूरा करने वाली देवी मानी जाती हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में हर प्रकार की सिद्धि और समृद्धि आती है। इस दिन का महत्व खासतौर पर यह है कि मां सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं और हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।

image credit: herzindagi

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