हिन्दू धर्म में साल में चार बार नवरात्रि पड़ती है। इनमें से दो नवरात्रि गुप्त होती हैं और दो नवरात्रि गृहस्थ होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ और माघ में आने वाली नवरात्रि गुप्त कहलाती है। वहीं, चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा की घर में स्थापना की जाती है। घटस्थापना का भी इन दोनों नवरात्रियों में विशेष विधान है। गुप्त नारात्रि में तो सिर्फ तांत्रिक ही मां दुर्गा के रौद्र रूपों की पूजा करते हैं और गृहस्थियों के लिए यह नवरात्रि वर्जित है।
मगर चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान गृहस्थियों द्वारा नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसके अलावा, नवरात्रि के दौरान हनुमान जी की पूजा का भी विशेष विधान है। ऐसा माना जता है कि चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अगर हनुमान जी की पूजा न की जाए तो इससे नवरात्रि के व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर क्या है नवरात्रि में हनुमान जी की पूजा का महत्व।
नवरात्रि में क्यों जरूरी है हनुमान जी की पूजा?
नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए मनाया जाता है, लेकिन हनुमान जी की पूजा का भी इस अवसर पर अत्यधिक महत्व है। पुराणों और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, हनुमान जी को शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की आराधना शक्ति, सौभाग्य और शुभता के लिए की जाती है, जबकि हनुमान जी की पूजा इन आशीर्वादों को प्राप्त करने में सहायक होती है।
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हनुमान जी को भगवान राम के परम भक्त और उनके साथ नवरात्रि के समय विभिन्न लीलाओं में जुड़ा हुआ माना जाता है। विशेष रूप से, नवरात्रि के नौ दिनों में हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति, समृद्धि और बुराई से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा से राक्षसी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा के साथ हनुमान जी की पूजा करने से बुरी शक्तियों और संकटों से मुक्ति मिलती है।
हनुमान जी का ध्यान और उनका मंत्र 'राम दूत हनुमान की जय' नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में सहायक होता है। हनुमान जी के प्रति श्रद्धा और भक्ति से बुरे प्रभाव और वशीकरण से बचाव होता है। यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान हनुमान जी की पूजा करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब व्यक्ति पर शनि या राहु-केतु के प्रतिकूल प्रभाव होते हैं, तो हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से कारगर होती है।
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नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की नौ शक्तियों के साथ ही, हनुमान जी भी अपने पंच मुखी रूप में जागृत रहते हैं। साथ ही, नवरात्रि के दौरान ग्रहों की स्थिति के कारण शनि प्रबल हो जाते हैं। ऐसे में शनिदेव के क्रोध, साढ़े साती या ढैय्या से राहत पाने के लिए चैत्र नवरात्रि के नौ दिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माने जाते हैं और नवरात्रि के इन्हीं दिनों में हनुमान जी की पूजा करने से शनि साढ़े साती में राहत और शनि दोष से छुटकारा पाया जा सकता है।
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