नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेषकर दुर्गा माता की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान, भक्त नौ दिनों तक अलग-अलग स्वरूपों में मां दुर्गा की आराधना करते हैं। हर दिन एक विशेष देवी की पूजा की जाती है और इन दिनों का अपना महत्व होता है। नवरात्रि के पांचवे दिन, स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जिनका स्वरूप बेहद दिव्य और कल्याणकारी माना जाता है।
स्कंदमाता का स्वरूप और महत्व
स्कंदमाता, भगवान कार्तिकेय की माता हैं और इन्हें युद्ध और विजय की देवी के रूप में पूजा जाता है। स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत शांत और प्रेमपूर्ण है। उन्हें आमतौर पर अपने बच्चे, भगवान कार्तिकेय के साथ चित्रित किया जाता है। इनकी पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि और सुख-शांति प्राप्त होती है। स्कंदमाता की आराधना से न केवल मानसिक तनाव कम होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता भी बढ़ती है।
स्कंदमाता पूजा सामग्री की लिस्ट
स्कंदमाता की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
जल से भरा हुआ कलश, चावल, फूल (विशेषकर सफेद फूल), घी का या तेल का दीपक, अगरबत्ती, मिठाई, फल (खासकर फल या पेड़े), पान, सुपारी और चूना, नवग्रह फल (नारियल), कपूर।
स्कंदमाता पूजा विधि
स्कंदमाता की पूजा विधि सरल और आसान है। इसे इस प्रकार किया जा सकता है:
- सबसे पहले एक साफ-सुथरा स्थान चुनें, जहां आप पूजा कर सकें। वहां एक चौकी पर माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- पूजा से पहले कलश स्थापित करें। कलश के चारों ओर चावल रखें और उसमें थोड़ा जल डालें।
- दीपक जलाकर उसकी रोशनी से पूरे स्थान को रोशन करें।
- माता को सफेद फूलों का हार पहनाएं और अन्य फूलों को चढ़ाएं।
- मां को भोग के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें।
- पूजा के दौरान स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें।
- अंत में माता की आरती करें और सभी भक्तों के साथ प्रसाद का वितरण करें।
स्कंदमाता के मंत्र
स्कंदमाता की पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी होता है:
स्कंदमाता स्तोत्र:
ॐ देवी स्कंदमातायै नमः।
स्कंदमाता बीज मंत्र:
मंत्र: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
स्कंदमाता का ध्यान मंत्र:
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा महाक्रांति चन्द्रकान्ता महाक्रांति॥
स्कंदमाता का पूजन मंत्र:
मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम:
माता स्कंदमाता का स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
स्कंदमाता का प्रार्थना मंत्र :
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
इन मंत्रों का जाप मन को स्थिर और शांत करता है, जिससे पूजा का फल अधिक मिलता है।
स्कंदमाता का भोग
स्कंदमाता को भोग अर्पित करते समय, विशेष ध्यान दें कि भोग शुद्ध और ताजे फल व मिठाई से बनाया गया हो। आप निम्नलिखित भोग अर्पित कर सकते हैं:
कच्चे फल - जैसे केले, सेब, अनार
पकवान - जैसे हलवा, खीर या पेड़ा
दूध और दही - यह भी अच्छे भोग के रूप में अर्पित किया जा सकता है।
भोग अर्पित करने के बाद, यह सुनिश्चित करें कि भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण करें, जिससे सभी को मां का आशीर्वाद प्राप्त हो।
स्कंदमाता की पूजा के लाभ
स्कंदमाता की पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं, जैसे:
- मां की कृपा से घर में सुख-शांति का वास होता है।
- स्कंदमाता की पूजा से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- कार्य में बाधाएं समाप्त होती हैं और नई योजनाएं सफल होती हैं।
- परिवार में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
नवरात्रि के इस पावन पर्व पर स्कंदमाता की पूजा करने से न केवल व्यक्तिगत सुख-शांति प्राप्त होती है, बल्कि समाज में भी सकारात्मकता फैलती है। इसलिए, इस अवसर पर विधिपूर्वक स्कंदमाता का पूजन करें और अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि का अनुभव करें।
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