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Maa Durga ke 9 Swaroop ki Kahani: नवरात्रि के दिनों में होती है माता के इन नौ स्वरूपों की पूजा, हर रूप का है खास महत्व

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का पूरा समय माता दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इन रूपों की पूजा करने से जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है।
Editorial
Updated:- 2025-09-20, 13:52 IST

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पवित्र त्योहार है, जिसे माता दुर्गा की उपासना के लिए मनाया जाता है। 'नवरात्रि' का अर्थ है 'नौ रातें', जिनमें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन माता दुर्गा के एक विशेष रूप की आराधना की जाती है और हर रूप का अपना खास महत्व होता है। इन दिनों में देवी के रूपों की उपासना करने से अलग-अलग लाभ और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। माता के नौ स्वरूप शक्ति, साहस, भक्ति और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। इनकी पूजा के माध्यम से भक्त जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति की मना करते हैं। नवरात्रि का समय देवी शक्ति के सम्मान और भक्ति में लीन होकर उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर होता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि इन नौ दिनों के दौरान कौन-कौन से देवी स्वरूपों की पूजा होती है और उनके पीछे छिपे गहरे अर्थ क्या हैं।

प्रथम दिन शैलपुत्री माता

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शैलपुत्री माता दुर्गा का पहला स्वरुप हैं, जिनका अर्थ है 'पर्वत की पुत्री'। शैल का अर्थ है पर्वत और उन्हें पवित्र पर्वत हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल है और उनका वाहन वृषभ है।

शैलपुत्री माता के महत्व की बात करें तो शैलपुत्री शक्ति की देवी हैं और उनकी पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है।

वह सभी जीवों में प्रकृति और स्थिरता की शक्ति का प्रतीक हैं। शैलपुत्री माता की पूजा से जीवन में स्थिरता, शक्ति और साहस प्राप्त होता है। भक्तों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में लाभ मिलता है और जीवन के संकटों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है।

द्वितीय दिन माता ब्रह्मचारिणी

ब्रह्मचारिणी माता देवी दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि के दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा 4 अक्टूबर को की जाएगी। उनका नाम ब्रह्मचारी शब्द से बना है, जिसका अर्थ है 'तपस्विनी' या 'धर्म का पालन करने वाली'। इनके एक हाथ में जप की माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है।

ब्रह्मचारिणी देवी तपस्या और भक्ति का प्रतीक हैं। इनकी पूजा से मनुष्य के अंदर आत्मनियंत्रण, धैर्य और दृढ़ संकल्प का विकास होता है। ब्रह्मचारिणी माता की पूजा से जीवन में कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है। भक्तों को संयम, भक्ति और एकाग्रता में वृद्धि होती है।

तृतीय दिन माता चंद्रघंटा

चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा रूप मानी जाती हैं। इस साल माता चंद्रघंटा की पूजा का दिन 5 अक्टूबर को है। उनके माथे पर अर्धचंद्र है इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। यह स्वरूप देवी की युद्ध मुद्रा को दर्शाता है और वह सिंह पर सवार हैं।

उनके दस हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र होते हैं। चंद्रघंटा देवी के इस रूप की पूजा करने से साहस, आत्मविश्वास और शक्ति का संचार होता है।

यह रूप संघर्ष और बुराई से रक्षा करने के लिए जाना जाता है। चंद्रघंटा माता की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से भय, चिंता और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह रूप शांत और सौम्य होते हुए भी आक्रामकता का प्रतीक है, जो हर मुश्किल परिस्थिति से निपटने में मदद करता है।

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चौथा दिन कूष्मांडा माता

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देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप माता कूष्मांडा का है, जो 'ब्रह्मांड की रचनाकार' हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन 6 अक्टूबर को है और इसी दिन माता का पूजन किया जाएगा। उनके आठ हाथों में कमल, अमृत कलश, धनुष-बाण, चक्र, गदा और जप माला धारण है और वह सिंह पर सवार हैं। कूष्मांडा देवी ऊर्जा और जीवन की स्रोत मानी जाती हैं।

ऐसा माना जाता है कि उन्होंने ब्रह्मांड की रचना अपने मृदुल हास्य से की थी। कूष्मांडा माता की पूजा से जीवन में समृद्धि, ऊर्जा और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह स्वरूप आंतरिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे जीवन में आशा और उल्लास बना रहता है।

पंचम दिन माता स्कंदमाता

माता दुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है। इस साल शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन 7 अक्टूबर को मनाया जाएगा। माता स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में पूजी जाती हैं, उन्हें युद्ध की देवी माना जाता है।

देवी स्कंदमाता चार भुजाओं वाली हैं और अपनी गोद में स्कंद को लिए सिंह पर विराजमान हैं। स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को उनके परिवार और संतान की रक्षा और कल्याण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। स्कंदमाता की आराधना से पारिवारिक सुख, संतान प्राप्ति और संतान की सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। यह स्वरूप भक्तों को बौद्धिक और आध्यात्मिक उन्नति भी प्रदान करता है।

छठी कात्यायनी माता

कात्यायनी देवी दुर्गा का छठा रूप हैं, जो ऋषि कात्यायन की तपस्या से उत्पन्न हुई थीं। इस साल शारदीय नवरात्रि में कात्यायनी माता का दिन 8 अक्टूबर को पड़ेगा। माता कात्यायनी के चार हाथ हैं और वह सिंह पर सवार होकर आती हैं।

कात्यायनी माता की पूजा करने से भक्तों को साहस और बल मिलता है। अविवाहित लड़कियां माता का पूजन अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
कात्यायनी माता की पूजा से विवाह संबंधी परेशानियों का समाधान होता है और मनवांछित जीवनसाथी मिलता है। यह स्वरूप जीवन में साहस और आत्मबल को भी बढ़ाता है।

सप्तम कालरात्रि माता

कालरात्रि देवी दुर्गा का सातवां रूप मानी जाती हैं, जो अंधकार और भय को नष्ट करने वाली हैं। यह देवी का अत्यंत उग्र रूप हैं, जिसमें वह काले रंग की होती हैं और उनके चार हाथों में अस्त्र-शस्त्र होते हैं। वह गधे पर सवार रहती हैं।

कालरात्रि की पूजा से सभी प्रकार के भय और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है। यह स्वरूप शत्रुओं के नाश के लिए जाना जाता है। कालरात्रि माता की आराधना करने से भय, कष्ट, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। माता का पूजन करने से भक्तों को आत्मविश्वास और साहस प्राप्त होता है।

अष्टम महागौरी माता

महागौरी माता दुर्गा का आठवां रूप हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को मनाई जाएगी। माता महागौरी का वर्ण श्वेत है, जिसके कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। वह बैल पर सवार होती हैं और उनके चार हाथ होते हैं।

महागौरी की पूजा से पवित्रता, शांति और करुणा का आशीर्वाद मिलता है। यह रूप जीवन में शांति और सौंदर्य का प्रतीक है। महागौरी की पूजा से पिछले सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में शांति और स्वच्छता बनी रहती  है। यह स्वरूप सुंदरता, शांति और स्थायित्व का प्रतीक है।

नवम दिन माता सिद्धिदात्री

सिद्धिदात्री देवी दुर्गा का नौवां और अंतिम रूप मानी जाती हैं। वह सभी सिद्धियों की दाता हैं और उनके चार हाथ होते हैं। वह कमल पर विराजमान होती हैं और उनका वाहन सिंह होता है।

सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। उनका यह स्वरूप ज्ञान और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है। सिद्धिदात्री की आराधना से सभी प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति होती है। यह स्वरूप भक्तों को ज्ञान आत्मशांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

यदि आप नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा का पूजन करते हैं तो आपके जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है।

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