हेमकुंड साहिब यात्रा सिक्खों के लिए सबसे खास तीर्थ यात्रा है। हर साल लाखों लोग इस यात्रा में शामिल होती है। यह यात्रा आपको देश के सबसे ऊंचाई पर स्थित गुरुद्वारे पर लेकर जाती है। यहां पहुंचने के लिए आपको लंबी चढ़ाई करनी पड़ती है, इसलिए शरीर से स्वस्थ होना आपका जरूरी है। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे तक पहुंचने का रास्ता सुंदर और आकर्षक है। यह गुरुद्वारा झील के किनारे बसा है। लेकिन इस यात्रा पर पहली बार जाने वाले लोग इस बात से परेशान है कि इस यात्रा को पूरा करना आसान है या मुश्किल। अगर आप भी यात्रा का प्लान बना रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके काम आएगा। आज के इस आर्टिकल में हम आपको हेमकुंड साहिब यात्रा को पूरा करने के कुछ आसान टिप्स बताएंगे।
हेमकुंड साहिब यात्रा को पूरा करने में कितना समय लगता है? (Hemkund Sahib Travel Guide)
- हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा लगभग 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसमें आप आधा सफर बस या कार से कर पाते हैं, लेकिन बाकी रास्ता आपको पैदल या पालकी से करना पड़ता है। इसलिए, आपके पैदल यात्रा के हिसाब से आपका सफर पूरा हो पाता है।
- सबसे पहले आप ऋषिकेश से होते हुए गोविंदघाट तक अपनी गाड़ी से पहुंच पाते हैं। यहां तक गाड़ी से सफर किया जा सकता है। इसके बाद घांघरिया एक ऐसी जगह है, जो 13 किमी दूरी पर स्थित है। यहां से आपकी पैदल यात्रा शुरू होती है।
- गोविंद घाट से ही पैदल यात्रा शुरू हो जाती है, जो 20 किमी की है। आप पहले दिन यात्रा सुबह शुरू करते हैं, तो एक दिन में घांघरिया तक पहुंचने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि शारीरिक रूप से कमजोर लोग घांघरिया तक का रास्ता भी एक दिन में पूरा नहीं कर पाते हैं। इसमें लगभग 7 से 8 घंटे लग जाते हैं।
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- अगर आप घांघरिया तक का सफर पैदल कर लेते हैं, तो यहां रात में आराम करके अगले दिन हेमकुंड साहिब के लिए निकल सकते हैं।
- घांघरिया पहुंचने के बाद हेमकुंड साहिब पहुंचना आसान है। आप सुबह-सुबह निकलकर 6 से 7 घंटे में गुरुद्वारा पहुंच जाएंगे।
- इस तरह अगर पूरे सफर की बात करें, तो आप 4 से 5 दिनों में आराम से हेमकुंड साहिब यात्रा पूरी कर सकते हैं। अगर आप शारीरिक रूप से कमजोर हैं, तो इसे पूरा करने में आपतो 3 से 4 दिन भी लग सकते हैं। यह एकधार्मिक यात्राहै। इसलिए इसमें आपको नियमों को फॉलो भी करना पड़ता है।
- हेमकुंड साहिब की यात्री खड़ी है, इसलिए रास्ते में आपको थकान ज्यादा होती है। बर्फ पड़ी होने की वजह से चलना भी मुश्किल रहता है। इसलिए, यह यात्रा इतनी आसान नहीं होती।
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image credit- freepik
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