भारत में अधिक मात्रा में उपयोग होने वाले पीओपी के बारे में हम सभी जानते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि हम सभी के घर में सजावट के समान से लेकर मंदिर और सीलिंग डेकोर में इसका उपयोग किया जाता है। लेकिन कई बार लोग इसका नाम सुनने के बाद ऐसा सोचते हैं कि इसका कनेक्शन फ्रांस वाले पेरिस होगा। इस लेख में आज हम आपको प्लास्टर ऑफ पेरिस के नाम की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही जानते हैं कि POP कैसे बनता है और यह पानी के संपर्क में आने पर क्यों नहीं पिघलता है।
पीएओ का निर्माण भारत में राजस्थान और गुजरात राज्यों सहित मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में किया जाता है। प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग मेडिकल लाइन में फ्रैक्चर में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टर में किया जाता है। इसके अलावा भवन निर्माण और सजावटी वस्तुएं व मूर्तियां बनाने में होता है।
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प्लास्टर ऑफ पेरिस एक त्वरित-सेटिंग जिप्सम प्लास्टर है। यह महीन सफेद पाउडर (कैल्शियम सल्फेट हेमीहाइड्रेट) से बना होता है, जो गीला होने पर सख्त हो जाता है और सूख जाता है। प्लास्टर ऑफ पेरिस में इस्तेमाल होने वाले जिप्सम के कारण इसके नाम में पेरिस शब्द जुड़ा।
केमिकल सॉलिड कैल्शियम सल्फेट डाई हाइड्रेट, जिसे आम तौर पर जिप्सम (CaSO4 .2H 2 O) के नाम से जाना जाता है। उसका उपयोग प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने के लिए किया जाता है। पीओपी तत्व जिप्सम को लगभग 373K के बहुत उच्च तापमान पर गर्म करके बनाया जाता है। जब यह 373K के इतने उच्च तापमान पर होता है, तो क्रिस्टलीकरण पानी का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा नष्ट हो जाता है।
प्लास्टर ऑफ पेरिस की खास बात यह है कि यह पानी में घुलता नहीं है। बता दें जब इसे पानी में डाला जाता है, तो वापस से जिप्सम में बदल कर कठोर हो जाता है। यही वजह है कि जब इसे तालाबों या नदियों में विसर्जित किया जाता है, तो यह पानी में घुलने के बजाय सख्त हो जाता है। लंबे समय तक पानी में पड़े रहने के कारण जलीय जीवों को नुकसान पहुंचता है। ठोस हो जाता है, जिससे पर्यावरण और जलीय जीवों को नुकसान पहुंच सकता है। इसके पानी में न घुलने की वजह से जलीय जीवों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ता है। अधिक मात्रा अगर आप इसे पानी में डालते हैं, तो मछलियों और अन्य जीवों की मौत हो सकती है।
प्लास्टर ऑफ पेरिस का निपटारा करने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि आप उसे पानी के बजाय छोटे-छोटे टुकड़े में सूखे कचरे के रूप में फेंकें। अगर अधिक मात्रा में है, तो इसे रीसाइक्लिंग सेंटर पर ले जाएं।
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