भारत का जब भी प्राचीन और मध्यकाल इतिहास पढ़ा जाता है तो नदियों का जिक्र ज़रूर होता है। कहा जाता है कि प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल तक कई गांव और शहर नदियों के किनारे ही होते थे। नदियों के किनारे गांव और शहर का होना यह आज भी देखा जा सकता है।
गंगा, सरस्वती, कावेरी, ब्रह्मपुत्र और सतलुज आदि नदियां भारत की सबसे प्राचीन नदियों में शामिल हैं। भारत के कई हिस्सों में इन पवित्र नदियों की पूजा-पाठ भी होती है। एक तरह से ये सभी नदियां पवित्र मानी जाती हैं।
लेकिन अगर आपसे यह सवाल किया जाए कि क्या आप भारत में मौजूद श्रापित नदियों के बारे में जानते हैं तो फिर आपका जवाब क्या होगा? इस लेख में हम आपको भारत की श्रापित नदियों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।
कर्मनाशा नदी (Karamnasa River)
शायद आप इस नदी के बारे में आप जानते होंगे। अगर नहीं जानते हैं तो आपको बता दें कि बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य में बहने वाली यह एक प्रमुख नदी है। एक तरह से दोनों राज्यों को यह नदी अलग भी करती है। इन दोनों ही राज्यों के लोगों का मानना है कि जो इस नदी का पानी छूता है उसके बने काम चंद मिनटों में बिगड़ जाते हैं। कई लोगों का मानना है कि इस नदी का पानी श्रापित है इसलिए कोई भी इस नदी का पानी छूता नहीं है।
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चम्बल नदी (Chambal River)
चम्बल नदी भारत के सबसे बड़े राज्य में से एक यानी मध्य प्रदेश की प्रमुख नदी है। यह नदी जानापाव की पहाड़ी से निकलती है। यह नदी दक्षिण में महू शहर, इंदौर, विन्ध्य/विंध्य रेंज में से होकर गुजरती है। इस नदी को भी अपवित्र नदी माना जाता है।(व्यास नदी से जुड़े रोचक तथ्य)
इस नदी को लेकर कहानी है कि यह नदी हजारों जानवरों के रक्त से उत्पन्न हुई थी। एक अन्य कहानी है कि हजारों जानवरों को किसी और ने नहीं बल्कि राजा रंतिदेव में मार डाला था और रक्त इस नदी में बहने दिया। इस घटना के बाद स्थानीय पुजारी और कुछ लोग भी इसे श्रापित नदी मनाने लगे।
फल्गु नदी (Falgu River)
फल्गु नदी बिहार के गया जिले की एक प्रमुख नदी है। गया एक ऐसा जिला है जहां पिंडदान या श्राद्ध के लिए हर साल लाखों लोग पहुंचते हैं। लेकिन इस नदी को लेकर कहा जाता है कि यह एक श्रापित नदी है। कई लोगों का मानना है कि बिहार की फल्गु नदी को सीता माता ने श्राप दिया था।(साबरमती नदी)
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कोसी नदी (Kosi River)
कोसी नदी बिहार की एक प्रमुख नदी है। यह मुख्य रूप से नेपाल में हिमालय से निकलने वाली यह नदी सुपौल, पूर्णिया, कटिहार आदि जगहों से बहती हुई कोसी राजमहल के पास गंगा में मिल जाती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बिहार में इस नदी को शोक नदी (दुःख की नदी) के नाम से भी जनता है। कहा जाता है कि जब भी नदी में बाढ़ आती है तो हजारों लोगों इससे प्रभावित होते हैं और कई लोगों की जान भी चली जाती है। हालांकि, इसे कोई श्रापित नदी नहीं मनाता, लेकिन शोक ज़रूर मानते हैं। इसी तरह यमुना नदी को कई लोग यम नदी के रूप में भी मानते हैं।
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