सोना की तस्करी के मामले आए दिन देखे जाते हैं। इस केस में बड़े-बड़े उद्योगपति से लेकर एक्टर और एक्ट्रेस तक कई बार फंस चुके हैं। अक्सर लोग सस्ता सोना खरीदकर अपने लगेज या बॉडी में छिपाकर फ्लाइट के जरिए कैरी करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, चेकिंग के दौरान पकड़े जाने पर उनके द्वारा छिपाए गए गोल्ड जब्त कर लिए जाते हैं। एयरपोर्ट पर सुरक्षा और सीमा शुल्क अधिकारी अवैध रूप से लाया गया सोना चेकिंग के दौरान जब्त कर लेते हैं। ऐसे में, अब सवाल यह उठता है कि आखिर एयरपोर्ट से सोना जब्त किए जाने के बाद कहां जाता है और कानूनी प्रक्रियाओं के तहत उसे कैसे निपटाया जाता है। आइए, इस आर्टिकल में हम आपको विस्तार से बताते हैं।
सोने की तस्करी में पकड़े गए आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई के बाद जब्त किया गया सोना कड़ी सुरक्षा के बीच कस्टम विभाग के स्ट्रॉन्ग रूम में जमा किया जाता है। यह तब तक वहीं रखा जाता है जब तक कि कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। स्ट्रॉन्ग रूम में पहुंचने के बाद, जिस व्यक्ति से सोना जब्त किया गया होता है, उसे शोकॉज नोटिस जारी किया जाता है। आरोपी को यह बताना होता है कि उसके पास इतनी मात्रा में सोना कहां से आया। इसका जवाब लिखित रूप में जमा करना पड़ता है।
कस्टम विभाग इस जवाब की समीक्षा करता है। अगर आरोपी वैध दस्तावेज प्रस्तुत कर पाता है और विभाग उसके स्पष्टीकरण से संतुष्ट होता है, तो सोना वापस लौटाया जा सकता है। लेकिन अगर उसकी सफाई संतोषजनक नहीं होती या तस्करी की पुष्टि होती है, तो सोना जब्त ही रहता है।
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अगर सोना जब्ती के बाद भी आरोपी को वापस नहीं किया जाता, तो इसे कस्टम विभाग के डिस्पोजल यूनिट में भेज दिया जाता है। इसके बाद यह सोना भारतीय रिजर्व बैंक की टकसाल में भेजा जाता है, जहां इसे 999.5 शुद्धता वाले गोल्ड बार में परिवर्तित किया जाता है। इसके बाद आरबीआई इस सोने को दोबारा कस्टम विभाग को सौंपता है, ताकि उसके रिकॉर्ड की पुष्टि हो सके।
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सोने को कस्टम विभाग से आरबीआई को दोबारा सौंपे जाने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक इसे नीलामी के लिए जारी करता है। नीलामी के लिए टेंडर जारी किए जाते हैं और इच्छुक खरीदार बोली लगाते हैं। सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को भुगतान के बाद सोना सौंप दिया जाता है। इसके बाद आरबीआई सर्विस चार्ज काटकर शेष राशि कस्टम विभाग को भेज देता है।
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