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Krishna-Rukmini wedding: राधा रानी के आदेश पर किया था भगवान कृष्ण ने रुक्मणी से विवाह, जानें पूरी कहानी

कैसे हुआ था भगवान कृष्णs और देवी रुक्म्णी का विवाह। जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल। 
Editorial
Updated:- 2020-01-21, 16:40 IST

जब बात भगवान श्रीकृष्ण की होती है तब राधा रानी का नाम अपने आप ही जुबान पर आ जाता है। यह बात जगजाहिर है कि बरसाना की रानी राधा भगवान श्री कृष्ण की परम सखी थीं। भगवान कृष्ण और राधा रानी की आलौकिक प्रेम गाथा के बारे में भी हर कोई जानता है। कुछ पुराणों में तो इस बात का भी जिक्र है कि भगवान कृष्ण और राधा रानी का विवाह भी हुआ था और यह विवाह स्वंय ब्रह्म देव ने स्वप्नलीला में कराया था। लेकिन भगवान कृष्ण की पत्नी का जिक्र जब होता है तो जहन में केवल रुक्मणी देवी का ही नाम आता है। 

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वैसे तो भगवान कृष्ण की 8 बीवियां थीं और सैंकड़ों पट रानियां थी मगर विधर्भ देश के राजा भीष्मक की बेटी रुक्मणी भगवान कृष्ण की पहली पत्नी थीं। अपनी बुद्धीमता, सुंदरता और न्यायप्रियता के लिए राजकुमारी रुक्मणी के चर्चे थे। देवी रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी देवकुल का होने के बाद भी कंस जैसे राक्षस का मित्र था।

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भगवान कृष्ण ने जब कंस का वध किया तो रुक्मी और कंस के ससुर जरासन ने भगवान कृष्ण को मारने का संकल्प लिया। जरासन और रुक्मी के मुंह से भगवान कृष्ण की माया के बारे में सुन देवी रुक्मणी को उनसे प्रेम हो गया। मन ही मन देवी रुक्मणी ने भगवान कृष्ण को अपनी पति मान लिया था। देवी रुक्मणी ने भगवान कृष्ण को कभी नहीं देखा था इसके बावजूद उन्हें पता था कि भगवान कृष्ण कैसे नजर आते हैं। 

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जब यह बात देवी रुक्मणी के भाई रुक्मी को पता चली तो उसने देवी रुक्मी और अपने पिता भीष्मक को बंदी बना लिया। साथ ही रुक्मी ने छेदी नरेश शिशुपाल से अपनी बहन रुक्मणी का विवाह भी तय कर दिया। शिशुपाल बेहद अत्याचारी और मूर्ख राजा था। उसे 100 गलतियां करने पर भगवान कृष्ण के हाथों वध होने का श्राप भी मिला था। शिशुपाल को यह पता था और भगवान कृष्ण से बचने के लिए वह उन्हें मारने के लिए जरासन और रुक्मी की सेना से मिल गया। ये 5 चीजें भगवान को करें अर्पित, जो पैंसों से नहीं खरीदी जा सकती

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देवी रुक्मणी को यह बात ज्ञात थी कि भगवान कृष्ण बरसाना की रानी राधा की परम सखा हैं और यदि राधा उन्हें कोई कार्य करने के लिए कह दे तो वह उसे किसी आदेश की तरह पूरा करते हैं। देवी रुक्मणी ने राधा रानी की मदद से अपने पत्रों को भगवान कृष्ण तक पहुंचाया। मगर, भगवाना कृष्ण ने तो उन पत्रों को पढ़ा न ही वह रुक्मणी की सहायता के लिए गए।

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इसका बड़ा कारण था कि वह राधा रानी से प्रेम करते थे और वह किसी और से विवाह करने की सोच भी नहीं सकते हैं। मगर, जब राधा रानी को पता चला कि देवी रुक्मणी की शादी उनकी इच्छा के विरुध शिशुपाल से कराई जा रही है तो उन्होंने भगवान कृष्ण को रुक्मणी के सारे दुख हर कर उससे विवाह करने की गुजारिश की। अपनी प्रेमिका राधा रानी की इच्छा को आदेश मान कर भगवान कृष्ण देवी रुक्मणी और शिशुपाल के विवाह में पहुंच गए। राधा रानी की ये 5 बातें कर देंगी आपको मोहित, हर महिला कर सकती हैअपनी रियल लाइफ में अडॉप्ट

 

 

 

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वहां कई राज्यों के राजाओं के सामने भगवान कृष्ण ने देवी रुक्मणी का अपहरण किया और सभी के सामने से उन्हें अपने रथ में बैठा कर ले गए। इसके बाद उन्होंने राधा रानी की इच्छा अनुसार देवी रुक्मणी से विवाह किया और इस तरह वह भगवान कृष्ण की पहली पत्नी बन गईं।

 

कई लोगों का मानना है कि देवी रुक्मणी ही देवी लक्ष्मी का स्वरूप हैं । वहीं धार्मिक शास्त्रों में इस बात का उल्लेख भी मिलता है कि राधा रानी देवी लक्ष्मी का स्वरूप थीं और उन्हीं का अंश देवी रुक्मणी में भी था। इस श्राप के कारण राधा रानी को हाथ भी नहीं लगा पाते थे उनके पति

 

खैर यह कहानी जो हमने आपको बताई है वह चर्चित टीवी सीरियल ‘राधाकृष्ण’ में दिखाई जा रही कहानी पर आधारित है। वैसे इसके कुछ प्रमाण गर्ग संहिता और विष्णु पुराण में भी मिलते हैं। 

 

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