राध-कृष्ण की आलौकिक प्रेम गाथा हर किसी ने सुनी है। आज भी प्रेम की देवी राधा और मुरली मनहोर कृष्ण के प्रेम रास की कई कथाएं पुराणों और शास्त्रों में मिल जाती हैं। मगर, क्या आपको पता है भगवान श्री कृष्ण देवी राधा को अपनी परम सखी तो मानते ही थे साथ ही उन्हें अपना गुरु भी मानते थे। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि लोकप्रीय टीवी सीरियल ‘राधाकृष्ण’ में ऐसा दिखाया गया है कि कैसे भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी को अपना गुरु बनाया था। यह कार्य भगवान श्री कृष्ण ने गुरु पूर्णिमा के दिन ही किया था।
इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 5 जुलाई को है। इस दिन सभी शिष्य अपने गुरु को चुनते हैं और उनकी पूजा करते हैं। द्वापर युग में जब जगत पिता नारायण ने श्री कृष्ण और देवी लक्ष्मी ने प्रेम की देवी राधा का रूप धारण कर मनुष्य योनी में पृथ्वी पर जन्म लिया था, तब भगवान श्री कृष्ण ने देवी राधा को अपना गुरु चुना था। मगर, इसके पीछे कथ क्या है? आइए जानते हैं।
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भगवान कृष्ण और राधा का विवाह होने वाला था। मगर, एक श्राप के कारण नहीं हो सकी थी राधा-कृष्ण की शादी और पुत्रि धर्म निभाने के लिए राधा को बरसाने के महा पंडित उग्रपत के बेटे एवं अपने बाल सखा अयान से विवाह करना पड़। अयान शादी के बाद राधा के साथ गृहस्थ जीवन शुरू करना चाहता था जबकि राधा ने पहले ही अयान को सचेत कर दिया था कि वह दोनों केवल दुनिया की नजरों में ही पति पत्नी हैं। विवाह के बाद भी राधा मन ही मन श्री कृष्ण के बारे में ही सोचती रहती थीं। यह बात अयान को बिलकुल भी नहीं भाती थीं। शादी के बाद राधा रानी की ससुराल में पंडितों के लिए महाभोज रखा गया था।तब ही राधा रानी को पता चला कि श्री कृष्ण वृंदावन छोड़ कर जा रहे हैं। वह यह सहन न कर सकीं और महाभोज छोड़ कर भगवान श्रीकृष्ण को रोकन पहुंच गईं।
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राधा रानी के ऐसा करने से ऋषि दुर्वासा के शिष्यों को बहुत बुरा लगा। उन्होंने राधा और अयान को सजा सुनाई और अपने आश्रम में कुछ दिन ऋषि दुर्वासा की सेवा करने के लिए कहा। तब ही श्री कृष्ण वहां पहुंचे और उन्होंने राधा से हुई गलती के पीछे खुद को कारण बताया। यह सुनने के बाद ऋषि दर्वासा के शिष्यों ने उन्हें भी दंड स्वरूप आश्रम बुलवा लिया। (राधा रानी की ये 5 बातें कर देंगी आपको मोहित)
आश्रम में रहने के दौरान ही गुरु पूर्णिमा का शुभ दिन आया। इस दौरान जहां राधा रानी ने पत्नी धर्म निभते हुए पति अयान को अपना गुरु चुना वहीं भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी को गुरु मानने का संकल्प ले लिया।
जब भगवान कृष्ण से पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो उन्होंने उत्तर दिया, ‘राधा से मैंने अंतर्आत्मा का प्रेम सीखा है। इसलिए वह मेरी गुरु हैं।’ राधा ने भी श्री कृष्ण को अपना शिष्य स्वीकार किया और पूरी विधि विधान के साथ श्री कृष्ण ने राधा रानी के चरणों में शीश झुका कर उन्हें अपना गुरु बना लिया।
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बेशक आज भी पूरी दुनिया भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को प्रेमी प्रेमिका के रूप में देखती हों मगर, श्री कृष्ण ने राधा रानी को अपना गुरु माना है। वह खुद हमेशा राधा रानी के चरणों में स्थान देते हैं। यहां भगवान श्री कृष्ण से आप सभी सबक ले सकते हैं कि गुरु का स्थान हमेशा सबसे ऊपर होता है। गुरु कोई भी हो सकता है, जिस व्यक्ति से आपको कुछ सीखने को मिले वह आपका गुरु ही है।
Image Credit: radhakrishnfanpage/instagram
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