जब बात प्रेम की होती है तो भगवान श्री कृष्ण और बरसाना की राधा रानी की आलौकिक प्रेम गाथा को ही याद किया जाता है। हिंदु धर्म में कई देवी देवता हैं, सभी की तरह भगवान कृष्ण और राधा रानी को भी पूजा जाता है। राधा और कृष्ण की प्रेम लीलाओं के बारे में सभी जानते हैं। दोनों ही एक दूसरे से बेहद प्रेम करते थे। दोनों का विवाह तक तय हो गया था मगर, वह हो न सका। कृष्ण के साथ विवाह टूटने पर राधा रानी का विवाह आयान से कर दिया जाता जो राधा रानी का बाल सखा होता है। राधा रानी के विवाह के बाद भी भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के बीच काफी मधुर संबंध थे। दोनों ही एक दूसरे अपना परम मित्र मानते थे और हमेशा ही एक दूसरे की सहायता के लिए उपस्थित रहते थे। मगर, क्या आपको यह बात ज्ञात है कि कंस वध के बाद जब श्री कृष्ण राधा रानी से विदा ले रहे होते हैं तो उससे पहले वह उनसे विवाह करते हैं और उनका विवाह दिव्य होता है। चर्चित टीवी सीरियल राधा-कृष्ण में भी इस अध्याय को दिखाया गया है। आइए जानते हैं कैसे हुआ था राधा-कृष्ण का विवाह।
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आपको बता दें कि राधा-कृष्ण का विवाह एक स्वप्न लीला थी, जो स्वंय भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी को खुश करने के लिए रची थी। कंस के वध के बाद मथुरा और उसके आसापास के गांव पर कंस के ससुर जरासंध के आक्रमण का खतरा मंडराने लगा था। इन सवालों के जवाब बताएं अगर आपका भी फेवरेट टीवी सीरियल है ‘राधाकृष्ण’
तब भगवान श्री कृष्ण को मथुरा के राज उग्रसेन से आदेश दिया कि वह बरसाना जाकर वहां की रानी राधा से बरसाना को खाली करने की बात कहें। तब श्री कृष्ण एक बार दोबारा बरसाना लौट कर आए थे। उस दौरान कुछ दिन बरसाना में ठहर कर उन्होंने अपनी परम सखी राधा के साथ एक स्वप्न लीली रची और उनके साथ विवाह किया। भगवान कृष्णा से यदि आपको भी है प्रेम तो जवाब दें इन आसान से सवालों का
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इस विवाह के लिए श्री कृष्ण ने भगवान ब्रह्मा और महेश के साथ-साथ पूरे देवलोक आमंत्रित किया। राधा और कृष्ण की शादी में स्वंय भगवा ब्रह्मा ने मंत्रों का उच्चारण किया। जब यह विवाह हो गया तब राधा रानी की नींद खुली और उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को धन्यवाद कहा क्योंकि इतने दिव्य विवाह की कल्पना उन्होंने कभी नहीं की थी।
यह बात केवल श्री कृष्ण ही जानते थे कि जो स्वप्न राधा रानी ने देखा है वास्तव में वह हकीकत ही है।
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त श्रीधामा जब उनके दर्शन के लिए गोलोक जाते हैं तो वह अपने आराध्य को उनकी प्रेमिका राधा के साथ पाते हैं। राधा के साथ अपने भगवान कृष्ण को देख कर उन्हें अच्छा नहीं लगता। वह राधा से घृणा करने लगते हैं। श्रीधामा को लगता है कि राधा उनकी भक्ती और श्री कृष्ण के मध्य विघ्न उत्पन्न कर रही हैं। ये 5 चीजें भगवान को करें अर्पित, जो पैंसों से नहीं खरीदी जा सकती
इतना ही नही जो माखन श्रीधामा भगवान कृष्ण को प्रसाद चढ़ाने के लिए लाते हैं उसे श्री कृष्ण खुद ही पहले राधा को खिलाते हैं और फिर खुद झूठे माखन को खाते हैं। यह देखा कर श्रीधामा और भी क्रोधित हो जाते हैं और राधा रानी को श्राप देते हैं कि 100 वर्षों तक वह मृत्यु लोक में रहेंगी और श्री कृष्ण से उनका मिलन नहीं हो पाएगा। इसके बाद राधा का जन्म पृथ्वी पर होता है और भगवान कृष्ण भी पृथ्वी पर अवतार लेते हैं।भगवान विष्णु के हैं भक्त तो दें इन 10 आसान सवालों के जवाब
जब विवाह की घड़ी नजदीक आती हैं तो श्री कृष्ण को यह याद ही नहीं रहता कि 100 वर्षों तक वह राधा के साथ नहीं रह सकते। ऐसे में श्री कृष्ण राधा रानी से विवाह नहीं करते हैं और उनका विवाह बरसाना के महा पंडित उग्रपत के बेटे आयान से हो जाता है।
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