herzindagi
periods should not be a taboo

पीरियड्स से जुड़ी इन 7 बातों का असल जिंदगी से दूर-दूर तक नहीं है नाता

आज भी मासिक धर्म को लेकर कई ऐसे मिथक प्रचलित हैं जो महिलाओं को पीछे धकेल रहा है। आइए जानते हैं उन  मिथक के बारे में।
Editorial
Updated:- 2024-05-28, 18:09 IST

मासिक धर्म पीरियड्स या माहवारी... यह एक नेचुरल प्रोसेस है जिससे हर महिला को एक न एक दिन गुजारना पड़ता है। लेकिन लंबे समय से इसे सांस्कृतिक मान्यताओं से जोड़ दिया गया है और अब तक इससे जुड़ी गलत धारणाएं महिलाओं का पीछा करती आ रही हैं। अभी भी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान एक लंबी नसीहत दी जाती है। आज मेंस्ट्रुअल हाइजीन दिवस के मौके पर हम आपको पीरियड से जुड़ी उन 5 मिथक के बारे में बताएंगे जिससे सच से दूर-दूर तक नाता नहीं है।

पीरियड्स से जुड़ी इन 7 बातों का असल जिंदगी से दूर-दूर तक नहीं है नाता

myths and facts

पहला मिथ

अक्सर माना जाता है कि पीरियड्स के दौरान  महिलाएं या लड़कियां अशुद्ध हो जाती हैं ,इस वजह से ना ही उन्हें किचन में जाना चाहिए ना ही उन्हें नए चादर, बिस्तर पर बैठना चाहिए। आज भी भारत के कई हिस्सों में यह एक बहुत ही गलत धारणा है। यह मिथक के अलावा और कुछ भी नहीं है।

दूसरा मिथ

इसके अलावा एक और बहुत ही गलत धारणा चली आ रही है, वह यह है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को किसी भी पत्ते या पेड़ पौधे को नहीं छूना चाहिए,ना ही उनके आसपास फटकना चाहिए, ऐसा करने पर पौधे मुरझा जाते हैं।

तीसरा मिथ

आज भी कुछ लोग प्री मेंस्ट्रूअल सिंड्रोम जैसी बातों में यकीन नहीं करते हैं।उनका मानना होता है कि यह सब कुछ दिमाग में होता है। जबकि आपको बता दें कि पीएमएस के लक्षण वास्तविक होते हैं और इस दौरान सच में दर्द, मूड स्विंग्स, ऐंठन  जैसे समस्याएं देखने को मिलती है। ऐसा हार्मोनल बदलाव के कारण होता है।

यह भी पढ़ें-पीएमएस में नहीं होगी परेशानी, डाइट में शामिल करें ये 5 न्यूट्रिएंट्स 

चौथा मिथ

Why periods should be talked about

माना जाता है कि पीरियड्स के दौरान लड़कियों को खट्टा, दही, टमाटर अचार वगैरह नहीं खाना चाहिए। इससे मेंस्ट्रुअल साइकिल डिस्टर्ब हो जाता है। फ्लो भी खराब हो जाता है, लेकिन यह भी एक मिथक है आप क्या खाते हैं इससे आपके फ्लो का कोई लेना देना नहीं है।

पांचवा मिथ

आज भी देश के कई कोनों में ऐसा माना जाता है की लड़कियों को पीरियड्स के बारे में सार्वजनिक तौर पर बात नहीं करना चाहिए। इससे उनकी बदनामी होगी, लेकिन यह भी एक मिथ है यह ठीक उसी प्रकार से चर्चा का मुद्दा है जिस तरह से आप अपने बालों की लंबाई, आई लाइनर, लिपस्टिक के बारे में बात करते हैं। पीरियड्स में कुछ भी अनोखा नहीं होता है।

यह भी पढ़ें-थैलेसीमिया क्या है, क्यों बच्चों को रहता है इसका खतरा?

आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें

इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit- Freepik

 

 


यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।