दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला सबसे प्रसिद्ध और पांरपरिक त्यौहार ओणम है। जिसे 10 दिनों तक मनाया जाता है। ओणम को विशेष रूप से खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाने की परंपरा है। यह त्यौहार भगवान श्रीहरि विष्णु के वामन अवतार और राजा महाबलि को समर्पित है।
बता दें, इस साल ओणम का त्यौहार दिनांक 20 अगस्त से शुरू है और इसका समापन दिनांक 31 अगस्त को होगा। 10 दिनों तक मनाया जाने वाला इस त्यौहार का महत्व हर दिन का अलग-अलग है।
अगर मलयालम पंचांग के हिसाब से बात करें, तो ओणम थिरुवोणम नक्षत्र मे मनाया जाता है। अब ऐसे में इस ओणम त्यौहार मनाने की पौराणिक कथा और मान्यता क्या है, इसके बारे में जानना जरूरी है। आइए इस लेख में ओणम मनाने की धार्मिक मान्यता क्या है। इसके बारे में जानते हैं।
जानें ओणम की पौराणिक कथा और मान्यता
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसी मान्यता है कि, सतयुग में पृथ्वी के दक्षिण भारत हिस्से में राजा बलि का साम्राज्य फैला हुआ था। राजा बलि बहुत बड़े दानी थे। वह भगवान श्रीहरि विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) के भक्त प्रह्लाद के पोते थे। राजा बलि देवताओं को अपना शत्रु मानते थे, लेकिन इनके पास जब भी कोई आता था, तो खाली हाथ नहीं लौटता था। एक बार की बात है, राजा बलि ने स्वर्ग को जितने के लिए एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था।
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जिसके पुरोहित सभी दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य जी थे। इसके बाद सभी देवता समाधान निकालने की गुहार लगाते हुए भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने उपाय खोजा। तब उन्होने वामन अवतार लिया और सभी देवताओं की सहायता के उद्देश्य से राजा बलि के पास पहुंचे। वहां भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांग ली। तब गुरु शुक्राचार्य को ये सभी मामला समझ आया और उन्होंने राजा बलि को दान देने से मना करने को कहा। तब गुरु (गुरु मंत्र) के मना करने के बावजूद राजा बलि ने दान देने का संकल्प लिया।
उसके बाद वामन अवतार लिए भगवान विष्णु के अपने रूप को इता विशाल कर लिया कि उन्होंने एकज पग में धरती, दूसरे पग में स्वर्ग और तीसरे पग को रखने के लिए जब कोई स्थान नहीं मिला। तब राजा के कहने पर उन्होने अपना पैर राजा बलि के सिर पर रख दिया। ऐसा करने से राजा बलि सुतल में पहुंच गया । तब भगवान विष्णु उसकी दानवीरता से प्रसन्न हुए और उसे सुतल का राजा घोषित कर दिया। इसी के साथ उन्होंने यह भी वरदान दिया कि साल में एक बार वह अपनी प्रजा से मिल सकता है।
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ऐसी मान्यता है कि ओणम के दिन राजा बलि अपनी प्रजा का हाल-चाल लेने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। इसी कारण केरल के लोग राजा बलि के स्वागत में ओणम का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।
10 दिनों तक चलने वाले ओणम के त्यौहार की पौराणिक कथा के बारे में पढ़ें । अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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