महिलाओं के जोश और जज्बे की कहानी कहते हैं ओलम्पिक के ये पल, इतिहास के पन्नों में हमेशा रहेंगे दर्ज

Paris Olympic 2024 में महिला खिलाड़ियों ने अपने हौंसले से सभी को हैरान किया। इससे पहले भी महिलाओं ने ओलम्पिक के इतिहास में कई ऐसे पल रहे हैं, जब पूरी दुनिया का सर 'नारी शक्ति' के सामने झुका है।

Olympic historic moments that showed women power

Women in Olympics: नारी एक बेटी है, पत्नी है, बहन है, मां है। लेकिन, आज वह सिर्फ रिश्तों के बंधन में ही नहीं बंधी है। इन सब रिश्तों के बीच, उसकी खुद की भी एक पहचान है। आज नारी, एक बिजनेस वुमेन है, एक एस्ट्रोनॉट है, एक खिलाड़ी है और हर क्षेत्र में खुद को साबित कर रही है या यूं कहें कि साबित कर चुकी है। इतिहास के पन्नों को पलटने पर भी आपको नारी की वीरता, जोश, जज्बे और हौंसले की कई कहानियां पढ़ने को मिल जाएंगी। बात अगर ओलम्पिक की करें, तो यहां भी महिलाओं ने सिर्फ अपनी मौजूदगी ही दर्ज नहीं करवाई है, बल्कि, अपने हुनर और हिम्मत के आगे, पूरी दुनिया को झुकाया है। Paris Olympic 2024 में भी कई महिला खिलाड़ियों ने अपना लोहा मनवाया है। इससे पहले भी महिलाओं ने ओलम्पिक के इतिहास में कई ऐसे पल रहे हैं, जब पूरी दुनिया का सर 'नारी शक्ति' के सामने झुका है। चलिए, इन पलों पर एक नजर डालते हैं।

'7 महीने की प्रेग्नेंट ओलंपियन- नादा हाफिज'

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नादा हाफिज, 2024 पेरिस ओलम्पिक का हिस्सा रहीं और खुद को 7 महीने की प्रेग्नेंट ओलंपियन बताते हुए, उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की। 26 साल की नादा हाफिज, मिस्त्र की तलवारबाज हैं और मुकाबले के वक्त वह 7 महीने की प्रेग्नेंट थीं। उन्होंने महिलाओं की व्यक्तिगत स्पर्धा के पहले दौर में, अमेरिका की प्लेयर को हराया था। उन्होंने अपने जोश से इस बात को साबित किया कि 'शक्ति का नाम ही नारी है।'

बेशक मेडल नहीं आया, पर विनेश फोगाट पर हमें गर्व है

vinesh phogat olympic

विनेश फोगाट, ओलंपिक फाइनल से डिस्क्वालिफाई हो गई हैं। उनका वजन 50 किलो के मानक से 100 ग्राम ज्यादा निकला और इस वजह से उन्हें बाहर होना पड़ा। विनेश ने 6 अगस्त की रात को रेसलिंग मैच जीता था और उनकी जीत ने उनका मेडल तय कर दिया था। इसके बाद पूरा देश उनकी तारीफों के पुल बांधने लगा था और गोल्ड की उम्मीद भी हर देशवासी की आंखों में थीं। भले ही वह बाहर हो गईं और मेडल न आ सका लेकिन, हमें विनेश पर गर्व था, है और हमेशा रहेगा। उन्होंने कुश्ती से संन्यास ले लिया है और इसका दर्द उनकी आंखों और सोशल मीडिया पोस्ट में साफ दिखा। लेकिन, जिस तरह से विनेश ने खून-पसीन बहाकर देश का नाम रोशन किया, कहना पड़ेगा- 'म्हारी छोरियां छोरो से कम हैं के!'

चैंपियन मां- केर्स्टिन स्जिमकोवियाक

ओलंपिक खेल में 2002 में एक मां, खतरे और हर चुनौती को मात देती नजर आई थी। हम बात कर रहे हैं जर्मनी की खिलाड़ी केर्स्टिन स्जिमकोवियाक की। उन्होंने एक ऐसे खेल में भाग लिया था, जो काफी चुनौतीपू्र्ण था। इसमें एक खिलाड़ी को बर्फ में मुंह के बल लेटकर, दूसरे खिलाड़ी से रेस करनी होती है और इस खेल में केर्स्टिन तब उतरीं, जब वह 2 महीने की प्रेग्नेंट थीं और उन्होंने इस खेल में सिल्वर मेडल हासिल कर, खुद को 'चैंपियन मां' साबित किया।

ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला- पीवी सिंधु

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वक्त के साथ खुद को कैसे तराशा जाए, यह पीवी सिंधु से सीखना चाहिए। उन्होंने अपने नाम कई बड़े रिकॉर्ड्स और अवॉर्ड्स किए हैं। 8 साल की उम्र में उन्होंने बैडमिंटन रैकेट थाम लिय था और ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। 2016 ओलंपिक खेलों में रजत पदक और टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता था।

कभी न टूटने वाली हिम्मत की मिसाल- मैरी कॉम

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मैरी कॉम ने 2012 में लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल हास‍िल किया था। हालांकि, वह ओलंपिक में गोल्ड नहीं जीत पाईं लेकिन उन्होंने बेशक सबका जिल जीता। 2018 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज हैं। मैरी कॉम ने टोक्यो ओलंपिक में शानदार आगाज किया था और प्री-क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया था। लेकिन, इसके बाद वह हार गई थीं। मैरी कॉम का शुरुआती जीवन मुश्किलों से भरा रहा था और उन्होंने यह साबित किया कि प्रतिभा किसी भी चीज की मोहताज नहीं होती है।

पेट में नन्ही जान और आंखों में दुनिया जीतने का ख्वाब- यायलागुल रमाजानोवा

yaylagul ramazanova in olympicsअजरबेजान की तीरंदाज यायलागुल रमाजानोवा पेरिस ओलम्पिक 2024 का हिस्सा रहीं। इस दौरान, वह साढ़े छह महीने की गर्भवती थीं। इसके बारे में उन्होंने मैच के अगले दिन बताया। उन्होंने कहा कि शॉट लेने से पहले उन्हें बच्चे की किक महसूस हुई और इसके बाद उन्होंने परफेक्ट 10 स्कोर किया। मां बनना, अपने अंदर एक नन्ही सी जान को पालना और फिर उसे दुनिया में लाना, बेशक बहुत मुश्किल है और इसके लिए, हर मां को सलाम है। लेकिन, ओलम्पिक में ये खिलाड़ी इस बात का उदाहरण बन रही हैं कि मां बनने के साथ, हर महिला के लिए, अपने सपनों को जीना भी जरूरी है।

ओलंपिक की पहली भारतीय महिला खिलाड़ी- नीलिमा घोष

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एक वक्त पर महिलाओं के लिए घर से निकलना ही मुश्किल था, उस समय पर नीलिमा घोष ने कुछ ऐसा किया कि बाकी महिला एथलीट के ख्वाबों को भी पंख लग गए। 1952 में ओलंपिक खेलों में आजाद भारत से नीलिमा घोष ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। 17 साल की उम्र में उन्होंने ओलंपिक में दौड़ लगाई थी। हालांकि, वह आगे क्वालिफाई नहीं कर पाई थीं लेकिन बेशक उनकी हिम्मत और जज्बे ने महिलाओं को ओलंपिक के सपने देखना जरूर सिखा दिया था।

प्रेग्नेंसी में दो बार लिया ओलंपिक में हिस्सा- कॉर्नेलिया फोल

कॉर्नेलिया फोल, अमेरिका की एक ऐसी महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने प्रेग्नेंसी में 2 बार ओलंपिक खेलो में हिस्सा लिया। साल 2004 में जब वह आखिर बार ओलंपिक के मैदान में उतरी, तब भी वह 7 महीने की प्रेग्नेंट थीं। इससे पहले 2000 में सिडनी ओलंपिक के दौरान भी वह प्रेंग्नेंट थीं और उन्होंने तीरंदाजी में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था।

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तीन बार की ओलंपिक जिम्नास्टिक स्वर्ण पदक विजेता-गैबी डगलस

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गैबी डगलस, व्यक्तिगत ऑल-अराउंड स्वर्ण जीतने वाली (और टीम स्वर्ण साझा करने वाली) पहली अफ्रीकी अमेरिकी खिलाड़ी हैं। उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने नाम यह बड़ा रिकॉर्ड किया। पहले उनके इस साल ओलंपिक में वापिसी की उम्मीद थी हालांकि बाद में ऐसा नहीं हुआ।

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