Sha'ban Month Importance: पूरे साल इंतजार करने के बाद यह मुबारक रात मुसलमानों को नसीब होती है। इस रात की अहमियत इतनी ज्यादा है कि इसे हजार महीनों से बेहतर कहा गया है। यानी इस एक रात की इबादत का सवाब 83 साल 4 महीने की इबादत के बराबर होता है। इस्लाम धर्म में शब-ए-बारात को बेहद खास और बरकतों वाली रात मानी जाती है।
यही वह रात है जब फरिश्ते जमीन पर उतरते हैं, रहमतों की बारिश होती है और अल्लाह अपने बंदों की दुआएं कबूल करता है। इस साल शब-ए-कद्र की रात 13 फरवरी से 14 फरवरी को रहेगी। तो आइए इस लेख में जानते हैं कि आप इस रात नफिल नमाज कैसे अदा कर सकते हैं।
मगफिरत की रात है शब-ए-बारात (Shab e barat 2025 date in india)
इस्लाम धर्म के लोगों के लिए यह बहुत मुबारक रात है। इस रात में अल्लाह अपने बंदों की हर दुआ सुनता है और बंदों को हिदायत देते हैं। इसलिए इस रात इस रात ज्यादा से ज्यादा नफ्ली नमाज और कुरान शरीफ की तिलावत की जाती है। साथ ही कोशिश करें इस रात ज्यादा से ज्यादा जकात और सदका दें और जरूरतमंद की मदद करें।
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कैसे मनाते हैं शब-ए-बारात? (Shab-E-Barat Kab Hai)
शब-ए-बारात इस्लाम धर्म में एक जरूरी रात मानी जाती है, जिसे इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से शाबान महीने की 14वीं रात को मनाया जाता है। इसे माफी और रहमत की रात भी कहा जाता है। इस रात को इबादत, दुआ और मगफिरत मांगने का खास महत्व है।
शब-ए-बारात मनाने के तरीके
- इस रात को विशेष नफ्ल नमाजें अदा की जाती हैं।
- कुछ लोग 6 रकात, 12 रकात या 100 रकात नमाज पढ़ते हैं।
- तहज्जुद की नमाज का भी बहुत जरूरी होता है और
- इस रात को कुरान शरीफ की तिलावत करना सवाब होता है।
- यह रात अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगने के लिए सबसे खास मानी जाती है।
- दुआ में अपने और अपने परिवार के लिए रहमत और बरकत की अरदास की जाती है।
- बहुत से लोग इस रात अपनों की कब्र पर जाते हैं और उनके लिए मगफिरत की दुआ करते हैं।
- कई लोग अगले दिन यानी 15वीं शाबान को रोज़ा रखते हैं, जो काफी अच्छा माना जाता है।
- जरूरतमंदों को खाना खिलाना, गरीबों की मदद करना और जकात देना इस रात को और भी फलदायी बनाता है।
नफिल नमाज कैसे अदा करें?
शब-ए-बारात को इबादत, दुआ और मगफिरत की रात मानी जाती है। इसलिए लोग नफिल नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। इस रात ज्यादा से ज्यादा नफिल नमाज पढ़ने की हिदायत दी गई है।
दो-दो रकात करके नफिल नमाज पढ़ें (Shab-E-Barat Nafl Namaz)
यह सबसे आसान तरीका है। इसमें आप 2 रकात करके 12 या 20 रकात पढ़ सकते हैं।
क्या करें?
- पहली रकात में सूरह फातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ें जैसे सूरह इखलास।
- दूसरी रकात में सूरह फातिहा के बाद फिर कोई भी सूरह पढ़ें।
- दो रकात पूरी होने के बाद सलाम फेरें। फिर से दो-दो रकात पढ़ते रहें।
शब-ए-कद्र की दुआ (Shab e Qadr ki Dua)
अल्लाहुम्मा इंनका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफवा फ’अफु अन्नी
Allahumma innaka afuwwun tuhibbul afwa fa’Afu anni
इसका मतलब होता है कि ए अल्लाह तू माफ करने वाला है और बेशक तू माफ करना पसंद करता है... हमारे तमाम गुनाह तो माफ फरमा।
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तहज्जुद की नमाज
शब-ए-बारात की सबसे अहम इबादत तहज्जुद की नमाज है।यह रात के आखिरी हिस्से में पढ़ी जाती है। फिर इसमें अल्लाह से अपनी हर जरूरत के लिए दुआ की जाती है। अगर कोई ईशा के बाद वित्र की नमाज पढ़ चुका है, तो वह तहज्जुद की नमाज पढ़ सकता है। लेकिन अगर कोई वित्र नहीं पढ़ा, तो उसे तहज्जुद के बाद वित्र पढ़ना चाहिए।
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Image Credit- (@Freepik and shutterstock)
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