कहानी में अब तक- मनु के ससुराल वाले बहुत अजीब व्यवहार कर रहे हैं, मनु को उसकी सास ने उसके पैर में एक धागा बांधा था जिसके बाद उसके साथ अजीब घटनाएं हो रही थीं। उसे एक बच्चा भी दिखता है जो घर में किसी का नहीं है। मनु अपने ससुराल के उस सूखे तुलसी के पेड़ में पानी डालती है और सभी उसे डांट देते हैं, मनु वो धागा निकाल देती है और अपने ससुराल के बंद पड़े कमरे में जाती है। जहां उसे साया मिलता है और ससुराल वालों को भी पता चल जाता है। अब आगे...
मनु डर रही थी, यह ससुराल भूतों से भरा हुआ है। बच्चे के हाथ में किताब थी जो किसी डायकी की तरह लग रही थी। बच्चे के हाथ से वह किताब लेने में मनु डर भी रही थी। उसे पता था कि उसके ससुराल वाले अब उसे छोड़ने वाले नहीं हैं। वह फंस चुकी है यहां, लेकिन खुद को बचाने के लिए किसी भूत पर भरोसा करना सही होगा? मनु ने बालकनी से झांक कर देखा और निकलने की कोशिश की, लेकिन नीचे जाना उसके लिए मुमकिन नहीं था।
वह बच्चा अभी भी मनु को दिख रहा था। उसके हाथ में अभी भी वो किताब थी। मनु का दिल जोर से कांप रहा था। उसे समझ आ गया था कि उसके ससुराल वाले काला जादू करते हैं। तुलसी के पौधे के नीचे दबी कीलें, पूजा घर की दहलीज पर लगी हुई कील, उसके खाने में बार-बार निकलने वाले कांटे और वह धागा। मनु को बचने के लिए एक ही रास्ता दिख रहा था, वह उस बच्चे के पास जाती है और किताब ले लेती है। इतने में उसे किसी के आने की आवाज सुनाई देती है और वह किताब को बिस्तर के नीचे छुपा देती है।
'तुमने सही नहीं किया मनु, तुम्हें नीचे जाकर उस तुलसी के पौधे को नहीं खोलना चाहिए था।' रोहन ने आते ही मनु से कहा। 'देखो मैं जानता हूं तुम घबरा गई हो, लेकिन मेरी बात समझो, मैं मजबूर था। मुझे तुमसे शादी करके तुम्हें इस घर में लाना ही पड़ा। एक तुम ही हो जो हमारे घर को वापस से खुशहाल बना सकती हो, तुम ही हो जो पिताजी के किए पापों से हमें मुक्ति दिला सकती हो, तुम ही हो जिसकी बली जरूरी है।'
मनु के पैरों तले जमीन खिसक गई। 'बली?, कैसी बली? तुम लोग मुझे मारने की प्लानिंग कर रहे हो? मैं ऐसा होने नहीं दूंगी। मैं पुलिस में जाऊंगी, ठीक कहती थी मां कि इस घर में शादी नहीं करनी है। मैं ही तुम्हारे प्यार में पागल हो गई थी। तुम लोग काला जादू करते हो और मुझे मार दोगे।' मनु ने जोर से चिल्लाया।
'नहीं मारेंगे नहीं,' पीछे से लक्ष्मी ने कहा। सास की आंखें अब और खौफनाक हो चुकी थीं। 'तुम्हें जिंदा रखेंगे, लेकिन तुम्हारे खून की जरूरत है। बली तो बकरी की ही होगी। पर तुम्हें जिंदगी भर उसी कमरे में बंद रहना होगा, जिस कमरे को खोलकर तुमने आज देखा। बस दो दिन की बात है, फिर हम मुक्त हो जाएंगे। तुम्हारी कैद हम सबकी आजादी होगी। फिर रोहन को भी कुछ नहीं होगा और मेरे पति भी बच जाएंगे, और पुलिस के बारे में भूल जाओ। तुम्हारा फोन भी अब तुम्हारे पास नहीं है।' लक्ष्मी ने कहा। यहां क्या चल रहा था मनु की कुछ समझ नहीं आ रहा था।
इतने में रौशनी, स्वाति और बबलू की आवाज नीचे से आई। इतने दिन में पहली बार ससुरजी को तुलसी के पास खड़े देखा मनु ने। मनु ऊपर से देख रही थी कि वहां तुलसी के पौधे में कुछ बांधा जा रहा है। रोहन ने मनु को कमरे में रहने की ही हिदायत दी और नीचे चला गया। मनु ने उनकी बातें सुनने की कोशिश की, 'इसे सब पहले ही पता चल गया है, यह गलत है। इसने अगर भागने की कोशिश की, तो इसकी टांगें तोड़ दूंगा मैं,' स्वाति का पति बबलू बोला। 'इसे नींद का इंजेक्शन दे दो, बाहर नहीं जाएगी,' स्वाति ने कहा। 'तुमको तरस आ रहा है ना उसपर, उसकी जगह तुम्हें ले लें। मजबूरी ना होती, तो ये सब थोड़ी करते। पंडित जी ने बड़ी मुश्किल से मनु की कुंडली दी थी। पूरे 10 हजार में बताया था उसका पता। इतनी मेहनत से रोहन ने उसे पटाकर शादी की। उसके घर वालों को उससे अलग किया, अब इतनी मेहनत जाने दें।' रौशनी ने अपनी बहू से कहा।
'चुप रहो, वो खड़ी सुन रही है।' पहली बार मनु ने ऐसे ससुरजी की आवाज सुनी थी। 'मनु तुम चिंता मत करो, रोहन के कहने पर हम तुम्हें मारेंगे नहीं, लेकिन तुम्हें नहीं छोड़ सकते। तुम्हारा इस घर में आना तय था और आगे जो होगा वह भी तय है।' ससुर जी ने डरावनी आवाज में कहा और मनु ने देखा दहशत का वो रूप। उन्होंने तुलसी के पौधे के नीचे वाले हिस्से को तोड़ दिया। उसमें था एक कंकाल। किसी बच्चे का लग रहा था। छोटे-छोटे हाथ-पैर, छोटी सी खोपड़ी। मनु ने जो देखा क्या वह सच था? ये कंकाल, उसी बच्चे का है जो मनु को कब से कुछ कहना चाह रहा है। इस कंकाल को निकाल कर क्या करने वाले हैं ये लोग?
मनु कमरे में भाग गई और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। मनु को उस किताब के बारे में याद आया, तो बिस्तर के नीचे वही बच्चा दुबका हुआ था। इस बार भी वो रो रहा था। मनु समझ गई थी कि उसके पास इस बच्चे की बात सुनने के अलावा और कोई चारा नहीं है। मनु ने किताब उठाई और उस बच्चे से कहा, 'मैं यहां से कैसे निकलूं?'
बच्चे ने किताब खोलने का इशारा किया। यह वाकई एक डायरी थी। किसी लड़की की डायरी। इस डायरी पर नाम था, संध्या। डायरी के पहले कुछ पन्नों पर एक कविता लिखी थी। उसके बाद लिखा था संध्या ने अपना दुख, 'बृज जी ने मेरे साथ जो किया, वह दुश्मन के साथ भी कोई नहीं करता। मैंने तो उन्हें सच्चे दिल से प्यार किया था, लेकिन उन्होंने तो मुझे कैद ही कर लिया।'
मनु जैसे-जैसे उस डायरी के पन्ने पढ़ती जा रही थी, उसकी समझ में आ रहा था कि यहां क्या चल रहा है। मनु के ससुरजी का नाम बृज किशोर था। पर संध्या कौन थी? वह बच्चा कौन था? उस घर में ऐसा क्या था जिससे सारे घर वाले डरे थे और मनु की बली तक चढ़ाने को तैयार हो गए थे। आखिर मनु को रोहन की चाल के बारे में पहले से क्यों नहीं पता चल पाया? इन सारे सवालों के जवाब मिलेंगे कल कहानी के अगले भाग हॉन्टेड ससुराल पार्ट 6 में।
डिस्क्लेमर: यह कहानी फिक्शन है और हरजिंदगी किसी भी तरह के काले जादू और भूत-प्रेत की बातों को प्रमोट नहीं करता है। यह कहानी सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए है।
इसे जरूर पढ़ें- Haunted Sasural Part 1: आखिर क्यों मनु के ससुराल में जाते ही उसके साथ ऐसी अजीब हरकतें होने लगीं जिन्हें समझाया नहीं जा सकता?
इसे जरूर पढ़ें- Haunted Sasural Part 2: आखिर वो कौन सा बच्चा था, जो मनु को बार-बार दिख रहा था? क्यों उसके अलावा वह किसी और को नहीं दिखता था?
इसे जरूर पढ़ें- Haunted Sasural Part 3: मनु की सास ने जो काला धागा उसके पैर में बांधा था, उसके पीछे का राज यह होगा उसने सोचा भी नहीं था
इसे जरूर पढ़ें- Haunted Sasural Part 4: मनु ने वो दरवाजा खोल तो लिया था, लेकिन उसके पीछे के खौफनाक राज के लिए वह तैयार नहीं थी
इसे जरूर पढ़ें- Haunted Sasural Part 6: मनु को मारने के लिए ससुराल वालों ने पूरी तैयारी कर ली है, लेकिन उस डायरी का राज भी उसे पता चल गया है
इसे जरूर पढ़ें- Haunted Sasural Part 7: मनु के पास सिर्फ एक ही मौका था, एक गलती और उसकी जान चली जाएगी, लेकिन अचानक...
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों