मनु आज बहुत ही सुंदर लग रही थी। उसे लगने लगा था कि आज ही का तो दिन है जिसके लिए उसने पूरी दुनिया से टक्कर ले ली थी। आज ही का दिन तो था जिसके लिए उसने घर वालों से बहस की थी, दोस्तों से बैर लिया था। आज ही का दिन तो था जिसके लिए वो घर छोड़ आई थी।
आज रोहन के साथ उसकी शादी थी। एक ऐसी शादी जिसमें वह खुश तो थी, लेकिन अपने परिवार की कमी उसे खल रही थी। कुछ दोस्तों ने मिलकर उसका कन्यादान किया और मनु ब्याह गई। बाकी लड़कियों की तरह मनु का भी सपना था कि वह जिंदगी में किसी ऐसे साथी के साथ रहे जिसे वह हमेशा प्यार करे, जो उसकी केयर करे और उसके साथ हमेशा रहे।
मनु ने रोहन के साथ ऐसे ही प्यार के सपने देखे थे। सादी शादी के बाद ससुराल जाना था। शादी में रोहन की तरफ से भी सिर्फ उसके करीबी आए थे। शादी से पहले मनु को उनके बारे में कुछ भी नहीं पता था। मनु ने अपनी जिंदगी की सारी खुशियां सिर्फ रोहन के लिए ही रख ली थीं। ससुराल वाला घर बहुत पुराना था और यहां रोहन के परिवार के कई सदस्य रहते थे। बुआ जी भी फूफा जी के जाने के बाद यहीं थीं।
उनके बेटे भी यहीं थे। बेटे की पत्नी भी यहीं थीं, सास, ससुर, ननद, देवर और एक छोटा बच्चा। मनु का स्वागत करने सभी खड़े थे वहां। पर घर में शादी का माहौल होने के बाद भी कोई साज सजावट नहीं थी। कुछ वीरान सा लग रहा था मनु का ससुराल।
मनु ने सोचा कि सजावट तो उसके घर में भी नहीं हुई है, तो फिर क्यों ही वह इतनी परेशान हो रही है। मनु ने शांति से ससुराल में कदम रखा। उसे पता था कि अब यही उसका घर है। रोहन के घर आने के लिए मनु ने अपने घर को छोड़ा था। पर यह घर उसकी कल्पना से परे था। पुराना, वीरान, विशाल घर। अंदर आते ही बीच में एक आंगन था जिसमें सूखा हुआ तुलसी का पौधा भी था। 'भला तुलसी के पौधे को कौन सुखाता है', मनु ने सोचा। चौकोर आकार के आंगन के अगल-बगल कई कमरे बने थे और उसमें से एक थी रसोई। उसमें से इतना धुआं निकल रहा था मानो अभी किसी ने चूल्हा बुझाया हो। 'चूल्हा? आज के जमाने में चूल्हा कौन जलाता है और नई बहू के आते ही, उसमें पानी कौन डालता है,' मनु अपने ही खयालों में खोई हुई थी।
घर में अंदर आते ही मनु को बेचैनी हो रही थी। कुछ एक आध रस्में हुईं और मनु को कमरे में ले जाया गया। कमरा बहुत सादा सा था। सुहाग की सेज पर सिर्फ एक गुलाब का फूल रखा हुआ था। मनु को लग रहा था, जैसे उसका स्वागत कोई नहीं करना चाहता। मनु ने अपने मन को यहां भी मनाने की कोशिश की, 'रोहन तो साथ है...' इतने में मनु की सास लक्ष्मी ने उससे आकर कहा, 'चलो कुछ खा लो, भूख लगी होगी।'
मनु ने तो पिछली रात से ही कुछ नहीं खाया था, चुप-चाप चल दी। खाना भी सादा और कोई पकवान नहीं। मनु ने पहला निवाला जैसे ही मुंह में रखा, उसके मुंह में बाल आ गया। मनु ने तुरंत निवाला बाहर निकाल दिया और अजीब तरह से ससुराल वालों को देखा, 'वह निकाल दिया, दूसरा कौर खा लो, गलती हो गई होगी' मनु से उसकी बुआ सास रोशनी ने कहा। मनु जो खाने में बाल से सख्त चिढ़ती थी, उसने किसी तरह से बाकी खाना खत्म किया और कमरे में जाकर रोने लगी।
रात हो चली थी, अब तक रोहन का कुछ पता नहीं था। रोहन आया और मनु से कहा कि वह बहुत थक गया है और सोना चाहता है, मनु को बुरा तो बहुत लगा, लेकिन कर भी क्या सकती थी। जैसे-तैसे अगला दिन आया। मनु उठते ही थका हुआ महसूस कर रही थी। उसे नीचे जाकर पूजा करनी थी, लेकिन पूजा घर इतना वीरान जैसे वहां कुछ होता ही ना हो। तुलसी के सूखे पेड़ में ही उसने जल दे दिया। इतनी देर में वह बच्चा आकर मनु के पास खड़ा हो गया।
मनु को अभी तक पता नहीं था कि यह किसका बच्चा है। उसका स्वागत करने के लिए दरवाजे पर तो यह खड़ा था, लेकिन उसके बाद से यह कहीं दिखा नहीं था। हाफ पैंट पहने, चेक वाला शर्ट, काले जूते और जमे हुए बाल। देखने में एकदम भोला-भाला। मनु ने तुलसी की पूजा खत्म की और वह भाग गया। जानें कहां चला गया, फिर मनु की बुआ सास रौशनी वहां आईं और उसे डांटने लगीं। 'तुमसे किसने कहा, इस पौधे को जल देने के लिए? तुम नई बहू हो तो नई रहो, भला नए रीति-रिवाज क्यों बना रही हो।', उन्होंने कहा। 'पर बुआ जी, तुलसी को जल देना, तो नया नहीं है। और क्या पता यह पौधा फिर से हरा-भरा हो...' मनु ने कहा, लेकिन बुआ ने उसे बीच में ही रोक दिया। 'ये पौधा हरा नहीं हो सकता। इसे ऐसे ही रहने दो।' बुआ इतना कहकर वहां से चली गईं।
मनु को बहुत अजीब लगा और फिर वह कुछ बोले बिना चली गई। थोड़ी देर में सबको पता चल गया कि मनु ने तुलसी को पानी दिया है। रोहन से साफतौर पर उसे मना कर दिया कि ऐसा नहीं करना है। रोहन इस बार गुस्से में था और कह रहा था कि मनु को इतनी आजादी नहीं कि वह ऐसा कुछ भी करे।
मनु की आंखों में आंसू थे और ससुराल वाले बहुत अजीब व्यवहार कर रहे थे। सबके पीछे खड़ा वह बच्चा फिर मनु को रोते हुए देखे जा रहा था। मनु ने उसकी तरफ देखा, तो वह भाग गया। 'तुम एक बात समझ लो, उस तुलसी के पेड़ से दूर रहना। खबरदार जो उसके करीब भी गईं', सास ने कहा। मनु ने चुप-चाप हां में सिर हिला दिया और रोहन की तरफ देखा। रोहन जो शादी से पहले इतने वादे किया करता था वह एक ही दिन में इतना क्या बदल गया। शाम तक मनु ने कुछ नहीं खाया, तो बुआ जी की बहू उसके लिए खाना लाई।
'परेशान ना हों आप भाभी, ठीक है आपसे गलती हुई। आगे से ऐसा ना करना।' उसने कहा। स्वाति नाम था उसका और वह अकेली थी जिसने इतने समय में मनु से प्यार से बात की थी। मनु रो पड़ी, लेकिन किसी तरह स्वाति ने उसे खाना खिलाने पर जोर दिया। इस बार पहला निवाला लेते ही मनु के मुंह में कंकड़ आ गया। 'शायद हमें खाना बनाने वाली अम्मा को निकालना पड़ेगा, रोजाना ऐसा हो रहा है। ' स्वाति ने झेंपते हुए कहा और मनु को कहा कि बाकी खाना खा ले।
स्वाति कमरे से जा ही रही थी कि मनु ने उससे पूछा, 'आपका बेटा कहां है?' स्वाति मुड़ी और एकदम चौंक गई? 'बेटा? मेरे तो कोई बच्चे नहीं हैं,' स्वाति ने कहा। 'फिर वो बच्चा कौन है, जो यहां घूमता रहता है?' मनु ने पूछा। 'कौन बच्चा? भाभी लग रहा है आप सपना देख रही हैं,' स्वाति ने बहुत अजीब सी स्माइल के साथ कहा। मनु को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों।
भला वो बच्चा कौन है जो बार-बार मनु को दिख रहा है? भला रोहन ने मनु के साथ ऐसा व्यवहार क्यों शुरू कर दिया? भला स्वाति की ऐसी स्माइल का कारण क्या था? और तुलसी के सूखे हुए पौधे में पानी देने से मनु ने ऐसा क्या कर दिया था? जानिए इन सभी सवालों के जवाब 'हॉन्टेड ससुराल- पार्ट 2' में।
डिस्क्लेमर: यह कहानी फिक्शन है और हरजिंदगी किसी भी तरह के काले जादू और भूत-प्रेत की बातों को प्रमोट नहीं करता है। यह कहानी सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए है।
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