ससुराल की बातें सोच-सोचकर मनु बहुत ही उदास होती जा रही थी। कभी बाल, कभी कंकड़, कभी कांटा खाने में भला ऐसा कौन देता है? रोहन रात भर घर नहीं आया। उसे फोन किया, लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं। सुबह जब वह आया, तो उसने मनु की हालत देखी। गुलाबी साड़ी का रंग तो वैसा ही था, लेकिन मनु के चेहरे का रंग उड़ चुका था। मनु को ऐसे देखकर रोहन को तरस आ गया। रोहन ने अपना बैग रखा और मनु के पास गया। 'मुझे माफ कर दो, मैं आ नहीं पा रहा तुम्हारे पास। काम इतना ज्यादा है, ऊपर से मैं मजबूर हूं।' रोहन कुछ कहते-कहते रुक गया।
'ऐसी क्या मजबूरी है कि तुम अपनी पत्नी के पास ही नहीं आ सकते, तुम्हारे लिए मैंने अपना घर बार सब छोड़ दिया, लेकिन तुम्हें अपनी मजबूरी दिख रही है। ऑफिस का काम क्या इतना जरूरी है?' मनु ने रोहन से सवाल किया और रोहन उसका जवाब नहीं दे पाया। मनु फिर उठकर खड़ी हुई और रोहन को वह धागा दिखा। रोहन को समझ आ रहा था कि क्या हो रहा है, लेकिन रोहन ने कुछ भी नहीं कहा। उसने मनु से बस यही बोला, 'इस धागे को अब मन बांधना।' रोहन की बात सुनकर मनु को अजीब लगने लगा। यह धागा क्या था?
मनु नहाने चली गई और रोहन नीचे अपने परिवार वालों से कुछ बात करने लगा। 'अब मैं यह और नहीं कर सकता, उसे सब सच बताना होगा।' रोहन अपने घर वालों से बात कर रहा था। रोहन की बातें सुनकर मनु को अजीब लग रहा था कि क्या हो रहा है। ससुराल में तीसरा ही दिन था और देखो ये क्या-क्या चल रहा है।
मनु को आते देख सभी चुप हो गए। मनु ने काम वाली को देखा और बोल पड़ी, 'तुम्हारा बच्चा बहुत क्यूट है। पर तुमने उस कांटा क्यों डाला था मेरे खाने में, इतनी लापरवाही कैसे हो सकती है। उस बच्चे ने ही मुझे उसे खाने से रोका,' मनु के इतना कहते ही सभी हैरान थे। 'पर मेरा तो कोई बच्चा नहीं, और वो बूढ़ी अम्मा जो आती हैं उनका भी नहीं है।' काम वाली ने कहा। मनु अचानक शॉक हो गई। ऐसा कौन सा बच्चा है जो आए दिन उसे घर में दिखता है, लेकिन किसी का है ही नहीं।
'मनु, तुम किस बच्चे की बात कर रही हो? किसने तुम्हें खाना खाने से रोका?', लक्ष्मी ने पूछा। 'वही हाफ पैंट पहने जो घूमता रहता है, जब आप लोग मेरा स्वागत करने खड़े थे, तो बगल में वह था। फिर वह कई बार दिखा है मुझे यहां।', मनु ने कहा। मनु का इतना कहते ही सब चौंक गए। 'अगर कभी तुम्हें दोबारा वह दिखे, तो दूर हो जाना।', रोहन ने चिंता भरे स्वर में कहा। बुआ, स्वाति, ससुर जी तीनों खड़े देख रहे थे। 'चलो बबलू आने वाला है, तैयारी करनी है।' बुआ ने बात पलटते हुए कहा। बबलू यानी स्वाति का पति काम से कई-कई दिनों तक घर के बाहर रहता है। घर वालों ने मनु को कहा कि वह अपने लिए कुछ बना ले और खाना खाकर आराम करे, उसके पैर में चोट लगी थी।
मनु ऊपर गई और बालकनी से देखा तो सारा परिवार उसी बंद कमरे का दरवाजा खोल रहा था। इस बार यह अजीब लग रहा था उसे। मनु ने फैसला किया कि रात में सबके सोने के बाद वह उस कमरे की ओर जाएगी। वह देखना चाहती थी कि क्या हो रहा है। अब मनु को शक हो गया था कि यहां दाल में कुछ काला है। उसने फैसला किया कि जब तक इस बात की तह तक नहीं जाएगी, ससुराल वालों का दिया कुछ नहीं खाएगी।
रात हो चली थी, रोहन आज कमरे में आकर मनु से बातें कर रहा था। मनु को रोहन की बातें अच्छी तो लग रही थीं, लेकिन उसे पता था कि कुछ तो गलत हो रहा है। रोहन ने आज मनु के करीब आने की कोशिश की और मनु ने सिरदर्द का बहाना बना दिया। मनु ने पूरी तरह से तैयारी कर ली थी आज वह कमरा खोलकर रहेगी। उसने देख लिया था कि सास ने इसकी चाभी रसोई घर के ऊपर वाले दराज में रखी है। रोहन के सोने के बाद वह कमरे से बाहर जाने के लिए दरवाजा खोल ही रही थी कि उसने देखा उसके पैर में फिर वही धागा था। शायद उसके सोते हुए रोहन ने बांध दिया होगा। मनु नीचे गई और रसोई से चाभी ले आई। उस कमरे की ओर जाते ही मनु को जोर से चक्कर आया, फिर मनु को कुछ लगा और उसने वह धागा तोड़कर पास रखी बाल्टी के पानी में डाल दिया।
बाल्टी में डालते ही पानी में से बुलबुले उठने लगे, जैसे कोई बहुत गर्म चीज मनु ने डाल दी हो। इस धागे में कुछ तो था, जिसकी वजह से मनु उस कमरे के पास नहीं जा पा रही थी। धागा तोड़ते ही मनु ने तुलसी के पौधे की तरफ देखा, उस पौधे की मिट्टी बिल्कुल सूख गई थी। फिर भी मनु ने हिम्मत दिखाई और उस मिट्टी में रसोई घर से लाकर पानी डाल दिया। मिट्टी गीली हो गई, लेकिन ऐसा लग रहा था कि मिट्टी पोरस है और पानी नीचे की ओर कहीं जा रहा है। इस बात का पता भी लगाना था कि तुलसी का पौधा आखिर ऐसा क्यों है।
वह पलटी, तो फिर वही बच्चा खड़ा था, उसी बच्चे ने मनु को रास्ता दिखाया, पहले उसने कमरे के दरवाजे से निकलती हुई एक कील को दिखाया, मनु को उससे बचकर कमरे में जाना था। मनु ने दरवाजा खोला और फिर वहां का माजरा देखकर मनु हैरान हो गई।
आखिर क्या था उस कमरे में? तुलसी के पौधे के नीचे क्या राज छुपा था, आखिर क्या था उस धागे का राज? वह बच्चा असलियत में था या फिर मनु की कल्पना? जानने के लिए कल पढ़ें हॉन्टेड ससुराल पार्ट -4।
डिस्क्लेमर: यह कहानी फिक्शन है और हरजिंदगी किसी भी तरह के काले जादू और भूत-प्रेत की बातों को प्रमोट नहीं करता है। यह कहानी सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए है।
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