कहानी अब तक- मनु के ससुराल वाले काला जादू कर रहे हैं, मनु को अलग चीजें दिख रही हैं और एक बच्चा मनु को बार-बार दिखता है, वह उसे एक डायरी देता है जिसमें किसी संध्या के बारे में लिखा है, मनु को ये भी पता है कि उसके ससुराल वाले उसकी बली चढ़ाने वाले हैं। अब आगे...
मनु डायरी पढ़ती जा रही थी और उसे अजीब लग रहा था। संध्या ने इस परिवार के बारे में बहुत कुछ लिखा था। उसकी कहानी पढ़ते-पढ़ते मनु की आंखों में आंसू आ रहे थे। संध्या ने एक पन्ने पर लिखा था, 'बृज जी ने आज उबलती हुई चाय मेरे ऊपर फेंक दी। उन्होंने अपनी नफरत मुझे दिखानी शुरू कर दी है। बृज जी की ये नफरत मेरी मां ने भी झेली और अब मैं भी झेल रही हूं।' मनु जैसे-जैसे पढ़ती जा रही थी उसे समझ आ रहा था कि क्यों उसके परिवार वाले रोहन से शादी के लिए मना कर रहे थे। यह कहानी अभी की नहीं बल्कि 10 साल पुरानी है।
रोहन के बारे में जानकर मनु के माता-पिता ने उसे आगाह किया था कि वह घर अच्छा नहीं है। रोहन के घर के बारे में उन्होंने कई बातें सुन रखी थीं, लेकिन सब दबी जुबान में। मनु ने अपनी मनमानी में मानी नहीं, लेकिन फिर भी मां की बात सही थी।
बृज किशोर और उसके परिवार के इतिहास की दास्तां अब मनु के सामने आ रही थी। लक्ष्मी उनकी पहली नहीं बल्कि दूसरी पत्नी थीं। पहली पत्नी थी संध्या की मां। संध्या ने अपनी मां के साथ बचपन से ही ना जाने क्या-क्या होते देखा और अपने पिता को नाम से बुलाने लगी। संध्या की मां के साथ होती चीजों का विरोध करने के नाम पर उनकी छोटी बहन लक्ष्मी उनके घर आईं और साथ ही रहने लगीं। धीरे-धीरे संध्या की मां की तबीयत बिगड़ने लगी और वह अचानक एक दिन तुलसी के पौधे के पास मरी हुई मिलीं। लोग कहते हैं कि लक्ष्मी और बृज ने मिलकर उन्हें मारा। बृज और लक्ष्मी का चक्कर पहले से ही चल रहा था, लेकिन संध्या की मां ने अपनी बहन पर भरोसा किया। संध्या की मां के खाने में भी रोजाना कोई ना कोई चीज निकलती थी, कभी बाल, कभी कंकड़, कभी कांटा... ठीक उसी तरह जैसे मनु के खाने में निकलती थी।
संध्या को बचपन से ही पिता और मौसी का अत्याचार झेलना पड़ता था। फिर हुआ रोहन और फूफा जी की मृत्यु के बाद बुआ और बबलू भइया भी आकर रहने लगे। संध्या के साथ नौकरानी वाला व्यवहार किया जाता। उसकी मां की एक तस्वीर ही है जो पूजा घर में लगी हुई है, ये उन्हीं तस्वीरों में से एक है जो मनु ने रात को कमरे के अंदर देखी थी, धुंधली...बेरंग तस्वीर। संध्या की मां के मरने के बाद वह अकेली हो गई थी और घर से बाहर निकलने का बस एक ही तरीका होता था। पैदल पास के सरकारी स्कूल तक जाने का। वह तीन किलोमीटर दूर था और पैदल चलते-चलते कब संध्या के साथ सूरज जुड़ गया था उसे पता ही नहीं चला।
सूरज के साथ वह अपने सुख-दुख बांटने लगी और वह साथ में इंटर तक पहुंच गए। संध्या और सूरज की दोस्ती प्यार में बदली और दोनों ने छुपते-छुपाते मंदिर में शादी भी कर ली। शादी करवाने वाले पंडित जी भी वही थे जिन्होंने मनु की कुंडली ससुराल वालों को दिखाई थी।
पंडित जी ने बात छुपाने की जगह पैसों के लिए बृज जी को बता दी। इंटर की परीक्षा से पहले ही 17 साल की संध्या को घर पर कैद कर लिया गया। दो महीने बाद पता चला कि वह मां बनने वाली है। बृज तो संध्या को उसी दिन मार देते, लेकिन लक्ष्मी ने रोक लिया। यह मौसी का प्यार नहीं, बदनामी का डर था। पड़ोसियों और समाज को क्या कहते? पहले ही संध्या की मां की मौत को लेकर बहुत विवाद हो चुका था।
फिर शुरू हुआ संध्या के साथ वो अत्याचार जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। संध्या को कैद किया गया और उसके साथ काला जादू शुरू हुआ। संध्या ने एक लड़के को जन्म दिया और बचपन से ही उसके साथ इतने अत्याचार हुए कि वह लड़का कभी बोल नहीं पाया। उसे तरह-तरह की यातनाएं दी जातीं। लड़का 6 साल का हुआ, तब तक संध्या की मानसिक हालत खराब हो चुकी थी। पर संध्या रोजाना अपनी डायरी लिखती थी। मनु को अलमारी के पीछे संध्या की सभी डायरियां मिल गई थीं। वह पढ़ती जा रही थी कि एक ऐसी बात उसे पता चली कि उसके होश उड़ गए।
संध्या के बेटे की मौत भी उसी तुलसी के पौधे के पास हुई थी। पिता बृज ने उसके बेटे को वहीं गमले के नीचे की मिट्टी में गाड़ दिया। संध्या यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसने खुद को आग लगा ली। वह उसी पूजा घर में मारी गई जिसमें वह साया दिखा था। मनु ने जिसे देखा था, वह संध्या ही थी। उसकी मौत के बाद शायद ससुराल वालों ने उसे कैद करने के लिए उस पूजा घर को बंद कर दिया और वहां काला जादू करने लगे।
उस आत्मा से घर मुक्त हो जाए इसलिए मनु से शादी की गई और मनु के खून से यज्ञ करके ही उसकी आत्मा को घर से हमेशा के लिए निकाला जा सकता है। पंडित जी ने सारा इंतजाम किया हुआ है और यज्ञ अमावस को ही होगा। मनु ने घर वालों की बातों और संध्या की डायरी से यह सब जान लिया है। वह बच्चा असल में मनु की नहीं, संध्या की मदद करना चाहता है ताकि वह अपनी मां से मिल सके। जिस दिन मनु ने दरवाजा खोला, उस दिन वह बच्चा संध्या को देख पाया, तभी वह रो रहा था।
अब मनु को खुद को बचाना था और उसके लिए उसे कुछ तरकीब सोचनी थी। जब रोहन दोपहर में उसे खाना देने आया, तो उसे पता था कि क्या करना है। मनु ने रोहन के सामने रो-रोकर उसे इमोशनल करने की कोशिश की। रोहन के मन में कुछ हद तक मनु के लिए हमदरदी भी थी, लेकिन संध्या की आत्मा ने कई बार रोहन पर हमला किया था इसलिए उसे बचना था। रोहन ने मनु से कहा, 'मनु, मुझे माफ कर दो, तुम उस कमरे में जिंदगी भर कैद रहोगी, लेकिन तुम्हारी जान बचाने का इसके अलावा और कोई तरीका मुझे नहीं सूझा। ये लोग तुम्हें मारने वाले थे। यकीन मानो मुझे भी तुम्हारा भोलापन पसंद था।' मनु ने रोहन से बात करते-करते किसी तरह से उसका फोन ले लिया।
रोहन खाना देकर चला गया और मनु ने पुलिस को फोन मिला दिया। मनु कह पाई, 'हैलो पुलिस, मैं बृज कोठी से बोल रही हूं, यहां मेरे ससुराल वाले मेरी बली चढ़ाने वाले हैं, प्लीज मुझे बचा लीजिए....', इतने में रोहन ने कमरे में आकर मनु के हाथ से फोन छीन लिया। 'मुझे तुमपर यकीन ही नहीं करना था, समझ नहीं आता तुम्हारी? मेरी जिंदगी खतरे में है, बंद रहो यहीं...' इतना कहकर रोहन कमरे से चला गया।
रात में मनु की बली चढ़ने वाली थी। उसके शरीर से खून निकाल कर यज्ञ होना था। मनु बच भी सकती थी और नहीं भी। वह बच्चा अब मनु को दिख नहीं रहा था। उसकी अस्थियां कहां गईं पता नहीं। मनु को तैयार करने उसकी सास और बुआ आईं। उसे लाल रंग के कपड़े जबरदस्ती पहनाए गए। ये कपड़े संध्या के थे। मनु को नीचे ले जाया गया और उसे यज्ञ वेदी के सामने बैठाया गया। मनु के शरीर से खून निकालने के लिए खंजर भी था। मनु ने मान लिया था कि ये उसकी जिंदगी की आखिरी रात है... तभी अचानक उसे वही साया दिखा और फिर…
आगे क्या हुआ? मनु बच पाई या नहीं? संध्या और उस बच्चे का क्या हुआ? पढ़िए हॉन्टेड ससुराल-अंतिम भाग में कल।
डिस्क्लेमर: यह कहानी फिक्शन है और हरजिंदगी किसी भी तरह के काले जादू और भूत-प्रेत की बातों को प्रमोट नहीं करता है। यह कहानी सिर्फ एंटरटेनमेंट के लिए है।
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