टीनएज एक ऐसी अवस्था है, जब बच्चे एकदम से बड़ा होना शुरू हो जाते हैं। उनकी सिर्फ लंबाई ही नहीं बढ़ती है, बल्कि उनमें तेजी से हार्मोनल बदलाव भी शुरू हो जाते हैं। जिसके कारण कई बार बच्चे इसे हैंडल नहीं कर पाते हैं। टीनएज में होने वाले बदलावों का असर कहीं ना कहीं उनकी मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है।
इस उम्र में बच्चे बेहद ही भावुक होते हैं और किसी भी छोटी सी चीज को अपने दिल से लगा लेते हैं। ऐसे में उनमें चिड़चिड़ापन, गुस्सा, उदासी, निराशा या फिर तनाव के लक्षण नजर आ सकते हैं। एक पैरेंट के रूप में हम सभी अपने बच्चों को हमेशा खुश ही देखना चाहते हैं।
लेकिन टीनएज एक ऐसी अवस्था होती है, जब बच्चों की मेंटल हेल्थ पर सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे आसान टिप्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने टीनएज बच्चे की मेंटल हेल्थ का बेहतर तरीके से ख्याल रख सकती हैं-
इन दिनों सिर्फ बड़े ही नहीं, बल्कि बच्चे भी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। यह एक आभासी दुनिया है, लेकिन टीनएज में सोशल मीडिया पर होने वाली बुलिंग, लाइक और कमेंट का बच्चे के मन पर गहरा असर पड़ता है। इसलिए बच्चे का बेहतर तरीके से ख्याल रखने के लिए जरूरी है कि आप सिर्फ उनके रियल लाइफ दोस्तों की ही जानकारी ना रखें। बल्कि उनकी सोशल मीडिया एक्टिविटी पर भी एक पैनी नजर रखें।
टीनएज एक ऐसी उम्र होती है, जब हर बच्चे को यही लगता है कि उसके पैरेंट्स उसे समझ ही नहीं सकते। इसलिए अमूमन बच्चे अपनी परेशानी अपने पैरेंट्स के बांटना सही नहीं समझते। ऐसे में जब कोई बात या परेशानी बढ़ने लगती है।(टीनएज बच्चों की परेशानियों का ऐसे लगाएं पता)
तो इससे उनकी मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। इसलिए, यह बेहद जरूरी है कि आप अपने बच्चे को यह भरोसा दें कि वह अपनी बुरी से बुरी बात भी आपके साथ बांट सकता है। आप उसकी बातों को सुनने और समझने के लिए हमेशा अवेलेबल है। टीनएज में बच्चे को एक सख्त पैरेंट की नहीं, बल्कि एक दोस्त की जरूरत होती है।
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टीनएज में शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। मसलन, शरीर के विभिन्न अंगों यहां तक कि प्राइवेट पार्ट में भी बाल आने लग जाते हैं। लड़कियों को पीरियड्स शुरू हो जाते हैं या फिर इस उम्र में लड़का व लड़की एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं। यह सब कुछ नॉर्मल है। लेकिन सही जानकारी ना होने के कारण अक्सर बच्चे काफी घबरा जाते हैं।
इसका गहरा असर उनकी मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है। लेकिन वे शर्म की वजह से किसी से कुछ कह नहीं पाते हैं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि आप उन्हें उनके शरीर व मन में होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी दें। जब वे पहले से ही अवेयर होंगे तो इससे उनके लिए किसी भी सिचुएशन को हैंडल करना आसान होगा।
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टीनएज में बच्चे के दिलों-दिमाग में क्या चल रहा होता है, इसके बारे में वे खुद भी सही तरह से समझ नहीं पाते हैं। ऐसे में पैरेंट्स के लिए उनकी मदद कर पाना और उनकी मेंटल हेल्थ का ख्याल रख पाना काफी मुश्किल हो जाता है।
अगर आपको भी अपने बच्चे के स्वभाव में कुछ बदलाव नजर आते हैं और बच्चा आपसे कुछ शेयर नहीं कर रहा है तो ऐसे में आप किसी एक्सपर्ट की मदद भी ले सकते हैं। चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट आपके बच्चे को बेहतर तरीके से समझकर उनकी मेंटल हेल्थ का भी रखने में आपकी मदद करेंगे।(मेंटल हेल्थ से जुड़े मिथ्स)
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