मेंटल हेल्थ से जुड़े इन मिथ्स की सच्चाई के बारे में जानने के लिए पढ़ें यह लेख

मेंटल हेल्थ से जुड़े ऐसे कई मिथ्स हैं, जिन पर महिलाएं भरोसा करती हैं लेकिन आज हम आपको इसकी सच्चाई के बारे में रहे हैं।

mental health myths and facts quiz

किसी भी व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जितना जरूरी है, उतना ही आवश्यक है कि वह मेंटल हेल्थ पर भी फोकस करे। लेकिन कभी-कभी कुछ कारणों के चलते व्यक्ति मेंटल हेल्थ को लेकर कुछ प्रॉब्लम्स फेस कर सकता है। इतना ही नहीं, इन मानसिक समस्याओं के कारण व्यक्ति को सामाजिक तौर पर भी काफी कुछ झेलना पड़ता है।

दरअसल, मेंटल हेल्थ को लेकर आम लोगों के मन में कई तरह की धारणाएं, गलतफहमियां व मिथ्स आदि होती है। यह गलतफहमी, रूढ़िवादिता और दृष्टिकोण मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम से जूझ रहे लोगों के लिए कई अन्य समस्याएं भी खड़ी करती है।

हो सकता है कि आपके मन में भी मेंटल हेल्थ को लेकर कई तरह की गलत धारणाएं हों। आज हम आपको ऐसे ही कुछ मेंटल हेल्थ मिथ्स व उनसे जुड़ी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं-

मिथ 1: मानसिक बीमारी लाइलाज है।

तथ्यः अगर आप भी ऐसा ही सोचती हैं, तो आप गलत हैं। सही तरह की मदद से व उचित और जल्दी इलाज से ज्यादातर लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। वास्तव में, यह कई शारीरिक बीमारियों जैसे मधुमेह और हृदय रोग के रूप में ही है। इन अन्य दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थितियों की तरह, मानसिक बीमारी को भी प्रबंधित किया जा सकता है ताकि व्यक्ति पूरी तरह से जीवन जी सकें।

इसे जरूर पढ़ें: कैसे रोज़ाना का स्ट्रेस बदल जाता है डिप्रेशन में, साइकोलॉजिस्ट से जानें

mental health myths busted

मिथ 2: केवल कुछ विशेष प्रकार के लोगों में ही मानसिक बीमारी का विकास होता है।

तथ्यः यह भी सच नहीं है। पांच में से एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी स्तर पर एक मानसिक बीमारी का विकास कर सकता है। आज के समय में किसी ना किसी रूप में हर व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की चपेट में है। यह उम्र, शिक्षा, आय या संस्कृति की परवाह किए बिना लोगों को प्रभावित करता है।

मिथ 3: मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे लोग काम नहीं कर सकते

तथ्य : यह एक पुराना मिथक है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों वाले लोग नौकरी नहीं कर सकते या कार्यबल के उपयोगी सदस्य नहीं हो सकते। हालांकि, यह पूरी तरह से झूठ है। यह सच है कि कोई विशेष रूप से गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति वाला व्यक्ति नियमित काम करने में असमर्थ हो सकता है। हालांकि, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों वाले अधिकांश लोग उतने ही प्रॉडक्टिव हो सकते हैं, जितना कि एक पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्ति।

इसे जरूर पढ़ें: शरीर पर इन 8 तरह से होता है तनाव का असर, अगर रहती हैं अक्सर परेशान तो दिख सकते हैं ये लक्षण

mental health myths in india

मिथ 4: मेंटल हेल्थ से जुड़ी दवाएं एडिक्टिव हैं।

तथ्य: केवल एक मनोचिकित्सक समस्या को संबोधित करने और उचित निदान करने के बाद दवा लिख सकता है। यदि किसी भी दवा का दुरुपयोग किया जाता है तो यकीनन यह हानिकारक साबित हो सकता है अन्यथा दवा निर्धारित मस्तिष्क में रसायनों को संतुलित करने में मदद करती है ताकि बेहतर महसूस हो सके।

मिथ 5: शादी व्यक्ति की सोच व उसके व्यवहार को ठीक कर सकती है

तथ्य- आमतौर पर भारत में यह समझा जाता है कि अगर कोई समस्या है तो व्यक्ति की शादी करवा दो। इसके बाद सबकुछ ठीक हो जाएगा। हालांकि यह सोच ठीक नहीं है। चूंकि मस्तिष्क हमारे शरीर का एक हिस्सा है, इसलिए इसका इलाज केवल एक मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल के जरिए ही संभव है। शादी या समय पर मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स को यूं ही नहीं छोड़ देना चाहिए।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहे आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Image Credit: Freepik

Recommended Video

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP